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CSR फंड से बन रहा है रैन बसेरा, गरीबों को कपकपाती ठंड से मिलेगी राहत

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उत्तर भारत ठंड की चपेट में है, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, बिहार, दिल्ली ये तमाम राज्य है जहां कड़ाके की ठंड है, उत्तर भारत में रविवार को अत्यधित ठंड के चलते काफी ठिठुरन रही, लगातार तापमान लुढ़कने के कारण न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। सिर्फ ठंड ही नहीं घने कोहरे के कारण शहर में विजिबलिटी बेहद कम हो गयी है, इसने हवाई यातायात और गाड़ियों के आवागमन पर प्रभाव देखा जा रहा है, साथ ही सभी स्कूल को दो जनवरी तक के लिए बंद कर दिया है। ठंडी का आलम ये है कि लोग अपने घरों में दुबके है लेकिन उन लोगों का क्या जिनके सिर पर छत नहीं होता, जिनका खुद का आशियाना नहीं होता, जो खुले आसमान में जीते है, खाते है, सोते है, लेकिन ठंडी की ये सितम जानलेवा है इसलिए राज्य की सरकारों ने सीएसआर की मदद ली और सीएसआर फंड से गरीब लोगों के लिए रैन बैसेरे बनाये जा रहे है।

CSR की मदद से लखनऊ में बन रहा है  30 अस्थायी रैन बसेरा

अकेले उत्तर प्रदेश की बात करें तो लोगों को ठंड से बचाने के लिए लखनऊ नगर निगम एक हफ्ते के भीतर 30 अस्थायी रैन बसेरे बनवाएगा। इन रैन बसेरों की कुल क्षमता करीब 2000 लोगों की होगी। अभी शहर में कुल 23 स्थायी रैन बसेरे हैं। नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी की माने तो इस बार कई जगह निजी रैन बसेरे तैयार नहीं हो पाए हैं। इसी कारण नगर निगम ने अपने स्तर पर अस्थायी रैन बसेरे बनाने की पहल की है। नगर निगम की कोशिश है कि ये रैन बसेरे वहीं बनाए जाएं, जहां आसपास शौचालय मौजूद हो। इन रैन बसेरों में सीएसआर फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है, कॉर्पोरेट कंपनियां सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन रैन बसेरों के लिए कंबल-गद्दों का भी इंतजाम कर रही है।

मदद के लिए सामने आते कॉर्पोरेट्स

ठंड से बचाने के लिए देश के हर राज्यों में जहां भयानक ठंडी होती है वहां की सरकारें रैन बसेरों का निर्माण करती है, लेकिन अब राज्य सरकारें सीएसआर फंड के लिए कॉर्पोरेट कंपनियों की मदद लेतीं है, इन रैन बसेरों में सोने और ठंड से बचने के लिए सारे इंतज़ाम किये जाते है, लेकिन कुछ मुनाफाखोर यहाँ भी बदमाशी करते है और मुनाफे के लिए गड़बड़ घोटाला करते है, यही कारण है कि कभी कहीं किसी रैन बसेरों में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी होती है, इनसे निपटने के लिए आला अधिकारी यहाँ तक कि खुद मुख्यमंत्री इन रैन बसेरों का निरिक्षण करते रहते है। हालही में सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के सामने बने शेल्टर हाउस पहुंचे। सीएम ने रैन बसेरों की हालत का जायजा लिया।

CSR के तहत करोड़ों का रैन बसेरा होने के बावजूद फर्श पर है तीमारदार

पिछले साल की बात करें तो दिसंबर महीने में ही लखनऊ के केजीएमयू में शताब्दी अस्पताल के पास पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी यानि सीएसआर के तहत 7.60 करोड़ रुपये की लागत से बनवाए गए रैन बसेरे का केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकार्पण किया। इसमें 210 बेड हैं और यहां मरीजों को होटल जैसी सुविधाएं थी, दो मंजिला इस रैन बसेरे में हर फ्लोर पर सात डॉरमेट्री और चार प्राइवेट रूम हैं। पंखे और बिजली का भी अच्छा इंतजाम है। मरीजों के तीमारदारों के रुकने के लिए यहां अच्छी व्यवस्था है लेकिन केजीएमयू में बना करोड़ों का रैन बसेरा होने के बावजूद फर्श पर है तीमारदार, तीमारदारों की तादाद इतनी ज्यादा है कि रैन बसेरा काम पड़ रहा है। बहरहाल सीएसआर और कॉर्पोरेट कंपनियों की रैन बसेरों की ये पहल सराहनीय है इससे लोगों को राहत तो मिल ही रही है बल्कि जिंदगियां भी बच रही है।