जब मन किया स्कूटर से चल लिए जब मन किया साइकिल की सवारी कर ली, रास्ते पर रुककर खाना खा लिया, कोई जान पहचान का मिला तो गप्पे मार लिया, ना किसी का डर, ना रुतबे का घमंड, एकदम से अल्हड़ अंदाज़, एकदम निराला, कुछ ऐसे ही थे मनोहर पर्रिकर, गोवा के सबसे शीर्ष पद पर विराजमान लेकिन पैर हमेशा से ही जमीन पर टिके रहे, मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर मनोहर कम जनता के बीच मन्या के नाम से ज्यादा जाने जाते, जनता का मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का लंबी बीमारी के बाद रविवार रात को निधन हो गया। वे 63 वर्ष के थे और पिछले एक साल से पैंक्रिअटिक कैंसर से जूझ रहे थे। मनोहर पर्रिकर का जीवन बेहद सादगीपूर्ण था। मुख्यमंत्री होते हुए भी वो किसी आम इंसान की तरह ही रहते थे। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी उन्होंने अपना घर नहीं छोड़ा।
मनोहर पर्रिकर ऐशोआराम की ज़िन्दगी से हमेशा कोसों दूर थे। न तो वे महंगे सूट-बूट पहनते और न ही किसी तरह के दिखावे में यकीन करते थे। हाफ स्लीव शर्ट, साधारण पैंट और सादा चप्पल उनकी पहचान थी, चाहे कोई मीटिंग हो या अपने बेटे की शादी, या फिर कोई और खास मौका वे हमेशा से ही सादगी में नज़र आते थे।पर्रिकर ने अपने मंत्रिपद का कभी भी लाभ नहीं उठाया। वे हमेशा कम खर्च में गुजारा करते रहे। उन्हें स्कूटी वाले नेता के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि वे अक्सर गोवा की सड़कों पर स्कूटी चलाते नज़र आ जाते। पर्रिकर ऐसे नेता थे जिसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने में कोई गुरेज नहीं होता था, हवाईजहाज में भी वे बिज़नेस क्लास नहीं बल्कि इकॉनोमी क्लास में सफर करते थे। लाइन लगाकर बोर्डिंग पास लेते तो ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे मनोहर पर्रिकर। पर्रिकर कहा करते थे कि चाय स्टॉल पर सभी नेताओं को चाय पीनी चाहिए, राज्य की सारी जानकारी यहां मिल जाती हैं। वह पंक्ति में लगकर खाना खाते थे, अपना काम भी लाइन में लगकर ही करवाते थे।
डॉ. मनोहर गोपालकृष्णन प्रभु परिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 2000 से 2002 तक, दूसरी बार 2002 से 2005, तीसरी बार 2012 से 2014 और चौथी बार 14 मार्च 2017 से अब तक। 2017 में जब बीजेपी गोवा विधानसभा चुनाव में बहुमत से दूर थी, तब दूसरे दलों ने परिकर को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर ही समर्थन दिया था। इसके चलते वह दिल्ली से फिर गोवा चले गए। इसके पहले ढाई साल तक वे देश के रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने पहला आम चुनाव 1991 में लड़ा था, पर हार गए थे। 1994 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार जीते थे। जून 1999 में वह नेता प्रतिपक्ष बने।
प्रधानमंत्री पद के लिए पहली बार मोदी के नाम का प्रस्ताव पर्रिकर ने रखी थी। मनोहर पर्रिकर मुख्यमंत्री बनने वाले देश के पहले आईआईटियन हैं। 1978 में उन्होंने आईआईटी मुंबई से मेटलर्जिकल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। 2001 में आईआईटी बांबे ने उन्हें एल्यूमिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया था। पर्रिकर की पत्नी का नाम मेधा था, उनकी 1981 में शादी हुई थी। पत्नी का 2001 में कैंसर से मौत हो गई थी। परिकर के दो बेटे हैं, बड़े बेटे उत्पल इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं। दूसरे बेटे अभिजीत व्यवसाय करते हैं।
बहरहाल मनोहर पर्रिकर पंच तत्व में विलीन हो गए लेकिन भारतीय राजनीति में मनोहर पर्रिकर का नाम अमर रहेगा और दूसरे नेताओं को हमेशा प्रेरित करता रहेगा कि जनता का नेता अगर बनना है तो जनता जैसा, जनता के बीच रहकर जमीनी स्तर की राजनीति करनी पड़ेगी। मन्या आप हमारे बीच नही हो लेकिन आप हमारे दिलों में एक प्रेरणा बनकर सदैव रहेंगे।