बेंगलुरु, गुरुग्राम और हरियाणा में अब लग्ज़री कारें टैक्सियों की तरह दौड़ रही हैं। बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज़ से लेकर लैंड रोवर डिफेंडर और रोल्स-रॉयस तक- भारत का सफर अब केवल मंज़िल नहीं, बल्कि अनुभव बन चुका है।
लग्ज़री टैक्सी ट्रेंड: भारत के ट्रांसपोर्ट कल्चर में असाधारण बदलाव
भारत में परिवहन की कहानी हमेशा साधारण टैक्सियों, ऑटो और अब ऐप-आधारित कैब सेवाओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन 2025 में यह तस्वीर तेजी से बदली। देश के कुछ बड़े महानगरों में अब सड़कों पर ऐसी गाड़ियां टैक्सी के रूप में नजर आ रही हैं, जिनके नाम कभी सिर्फ फिल्मों, रॉयल फैमिलीज़ या अरबपतियों के गैराज में सुनाई देते थे।बेंगलुरु, गुरुग्राम और हरियाणा के हाई-एंड सेक्टरों में अब Rolls Royce Phantom, BMW-7 Series, Mercedes Maybachs, Jaguars, F-Pace और LandRover Defender जैसी कारें टैक्सी के तौर पर रजिस्टर हो चुकी हैं। लोग आश्चर्य से पूछते हैं, “क्या ये सच में टैक्सी है?” और जवाब होता है- “हां, बिल्कुल!”
टैक्सी नहीं, स्टेटस सिंबल: भारत में बढ़ा लग्ज़री कैब ट्रेंड
आज का भारत बदल चुका है। यहां युवा केवल मंज़िल तक पहुंचने के लिए कैब बुक नहीं कर रहे, वे अनुभव बुक कर रहे हैं। वेडिंग एंट्री हो, एयरपोर्ट ड्रॉप हो, बिज़नेस एग्ज़िक्यूटिव की मीटिंग हो या सिर्फ रात की सैर, लग्ज़री टैक्सी अब एक लाइफ़स्टाइल स्टेटमेंट बन चुकी है। किसी शादी में दूल्हा डिफेंडर में एंट्री लेता है, किसी कॉर्पोरेट CEO को सुबह ऑफिस तक रोल्स-रॉयस फैंटम छोड़ कर आती है, तो कभी एनआरआई परिवार भारत यात्रा में मेबैक बुक करता है ताकि उन्हें “एक्सपीरियंस इंडिया इन स्टाइल” मिले।
ट्रेंड के पीछे असली चेहरा: रमेश बाबू- द रोल्स-रॉयस बार्बर
बेंगलुरु की सड़कों पर लग्ज़री टैक्सी की कहानी अगर किसी के नाम से शुरू होती है, तो वो हैं रमेश बाबू! एक समय महज ₹5 में बाल काटने वाले नाई की दुकान चलाने वाले इस व्यक्ति ने कल्पना, मेहनत और साहस से कुछ ऐसा कर दिखाया जो आज बिज़नेस मॉडल और प्रेरणा दोनों बन गया है। रमेश बाबू ने पहले एक साधारण कार टैक्सी सर्विस शुरू की, फिर एक मर्सिडीज़ खरीदी और धीरे-धीरे उनका फ्लीट भारत के सबसे महंगे रेंटल कलेक्शन में बदल गया। आज उनकी गैराज में मौजूद है-
Rolls-Royce Phantom,
BMW 7 Series,
Mercedes-Maybach,
Jaguar,
Land Rover Defender,
Audi A8 और दर्जनों हाई-एंड मॉडल ! उनकी कारें VIP यात्रियों, बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़, टॉप बिज़नेस फैमिली, NRIs और इंटरनेशनल टूरिस्ट्स की पहली पसंद बन चुकी हैं।
किराया कितना? महंगा ज़रूर- पर अनुभव अमूल्य
जहां सामान्य टैक्सी ₹15–20 प्रति किलोमीटर में मिलती है, वहीं यह लग्ज़री टैक्सी रेंज कुछ इस तरह है:
कार मॉडल |
किराया (लगभग) |
BMW 7-Series |
₹15,000–₹25,000 / घंटा |
Mercedes-Maybach |
₹30,000–₹50,000 / घंटा |
Jaguar / Audi A8 |
₹12,000–₹20,000 / घंटा |
Land Rover Defender |
₹18,000–₹40,000 / घंटा |
Rolls-Royce Phantom |
₹1–3 लाख / घंटा |
कई मामलों में यह केवल किलोमीटर या समय का खेल नहीं, बल्कि इंश्योरेंस वैल्यू, ड्राइवर ट्रेनिंग, सिक्योरिटी और एक्सक्लूसिविटी का संयोजन है।
क्यों बढ़ रही है इस ट्रेंड की मांग?
इसके पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं:
1. बढ़ती आय और बढ़ता आत्मविश्वास- भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है। नई-नई हाई इनकम क्लास तेजी से उभर रही है।
2. सोशल मीडिया का प्रभाव- इंस्टाग्राम रील, सिनेमैटिक शॉट्स, रील एडिट्स- अब सफर सिर्फ सफर नहीं, वाइब बन चुका है।
3. अनुभव आधारित जीवनशैली- युवाओं के लिए “Own Less, Experience More” यानी कम खरीदो, ज्यादा जियो अब नया मंत्र है।
4. शादी-कॉर्पोरेट-इवेंट इंडस्ट्री का बूम- भारत की शादियां और कॉर्पोरेट इवेंट्स पहले से कहीं ज्यादा भव्य हो चुके हैं।
ड्राइवर भी अब सिर्फ ड्राइवर नहीं- ट्रेनिंग और प्रोटोकॉल के साथ पेशेवर
इन कारों के ड्राइवरों की ट्रेनिंग एयरलाइन क्रू जैसी होती है- फॉर्मल ड्रेस या टक्सीडो, क्लाइंट से बातचीत के प्रोटोकॉल, सुरक्षित ड्राइविंग प्रशिक्षण, विदेशी ग्राहकों के लिए अंग्रेज़ी का ज्ञान ! कॉर्पोरेट बुकिंग में ड्राइवर का व्यवहार, भाषा और विनम्रता कार जितनी ही महत्वपूर्ण होती है।
बड़ा शहर, बड़ी पहचान और लग्ज़री सफर
यह ट्रेंड केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का प्रतीक है। यह बताता है कि भारत अब महत्वाकांक्षी है, आत्मविश्वासी है और सपने सिर्फ देखने नहीं, जीने लगा है। एक समय जो रोल्स-रॉयस केवल राजाओं, टायकून या फिल्मी सितारों की गाड़ी मानी जाती थी, आज वही कार किसी छात्र या आम नौकरीपेशा व्यक्ति की “बकेट लिस्ट एक्सपीरियंस” बन चुकी है।
भारत में लग्ज़री अब क्लोज़्ड-डोर प्रिविलेज नहीं, ओपन एक्सपीरियंस
नया बाजार हमें यह सिखाता है कि दौलत अब सिर्फ स्वामित्व नहीं, अनुभव है। स्टेटस अब केवल खरीदने से नहीं, महसूस करने से बनता है और भारत की नई पीढ़ी वह सब चाहती है जो कभी असंभव माना जाता था, और उसे पाने के तरीके भी ढूंढ रही है। भारत के शहरों में लग्ज़री टैक्सियों का यह दौर बस शुरुआत है। आने वाले वर्षों में यह इंडस्ट्री और तेजी से बढ़ेगी और शायद जल्द ही भारत की सड़कों पर फेरारी, लेम्बोर्गिनी या बेंटली टैक्सियों का दृश्य भी आम हो जाए क्योंकि आज का भारत सिर्फ सफर नहीं करता, वो सफर को यादगार बनाता है !
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