Frank Caprio America’s Nicest Judge Death: अमेरिका के ‘सबसे दयालु जज’ कहे जाने वाले फ्रैंक कैप्रियो का निधन हो गया है। रोड आइलैंड के इस रिटायर्ड म्युनिसिपल जज ने 88 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर बताया गया कि कैप्रियो ने Pancreatic Cancer से लंबी और साहसिक लड़ाई के बाद शांति से अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले ही फ्रैंक कैप्रियो ने फेसबुक पर एक भावुक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी और दुनिया भर के प्रशंसकों से दुआओं में याद रखने की अपील की थी।
फ्रैंक कैप्रियो- न्याय की दुनिया का सबसे सहिष्णुतापूर्ण चेहरा
दुनियाभर में मशहूर जज फ्रैंक कैप्रियो का निधन हो गया है। उनके निधन की Pancreatic Cancer से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जज फ्रैंक कैप्रियो ने 88 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। दिसंबर 2023 में उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर डिटेक्ट हुआ था और मई 2024 में उन्होंने कीमोथेरेपी और रेडिएशन कोर्स पूरा कर लिया था, लेकिन उम्र संबंधी समस्याओं के कारण वे रिकवर नहीं कर पाए और उनका निधन हो गया। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट लिखकर निधन की जानकारी दुनिया को दी गई।
कौन थे जज फ्रैंक कैप्रियो
फ्रांसिस्को फ्रैंक कैप्रियो अमेरिका के जाने-माने और लोकप्रिय न्यायाधीश थे, जिन्हें दुनिया भर में America’s Nicest Judge यानी सबसे दयालु जज कहा जाता था। 1936 में रोड आइलैंड के प्रोविडेंस शहर में एक साधारण इटैलियन-अमेरिकन परिवार में जन्मे कैप्रियो ने अपनी ज़िंदगी का ज़्यादातर समय इसी शहर में बिताया। 1985 से लेकर 2023 तक वह प्रोविडेंस म्युनिसिपल कोर्ट के चीफ़ जज रहे और लगभग चार दशक तक न्याय की सेवा की। उनके पिता का नाम एंटोनियो कैप्रियो था, जो फल और दूध बेचते थे। उनकी मां का नाम फिलामेना कैप्रियो था। स्कूलिंग के दौरान उन्हें रेसलिंग का शौक रहा। साल 1953 में वे स्टेट रेसलिंग चैंपियन बने। 1958 में ग्रेजुएशन के बाद बोस्टन की लॉ यूनिवर्सिटी से डिग्री ली। दिन में वे बर्तन धोकर, जूते पॉलिश करके और अखबार बांटकर पैसे इकट्ठे करते थे और रात में पढ़ाई करते थे।
राजनीति में भी आजमाया हाथ
1962 से 1968 तक फ्रैंक कैप्रियो प्रोविडेंस सिटी काउंसिल के मेंबर रहे। 1970 में उन्होंने रोड आइलैंड का ही अटॉर्नी जनरल इलेक्शन लड़ा, लेकिन वे हार गए। 1975 में फ्रैंक कैप्रियो रोड आइलैंड के संवैधानिक सम्मेलन के प्रतिनिधि और रोड आइलैंड बोर्ड ऑफ गवर्नर्स फॉर हायर एजुकेशन के अध्यक्ष रहे। उन्होंने बोस्टन की लॉ यूनिवर्सिटी में ‘कैप्रियो स्कॉलरशिप फंड’ की स्थापना की थी।
हाल में 4 फरवरी 2025 को उनकी किताब Compassion in the Court: Life-Changing Stories from America’s Nicest Judge छपी थी। उनकी शादी जोयस ई. कैप्रियो से हुई थी, जिनके साथ उनका 60 साल तक रिश्ता रहा। उनके 5 बच्चे फ्रैंक टी, डेविड, मारिसा, जॉन, पॉल हैं, जिनसे उनके 7 पोते-पोतियां और 2 परपोते हैं।
Caught In Prividence ने कर दिया मशहूर
फ्रैंक कैप्रियो की पहचान सिर्फ एक सख़्त जज के तौर पर नहीं, बल्कि इंसानियत से भरपूर फैसले करने वाले न्यायाधीश के रूप में बनी। ट्रैफिक चालान या छोटे मामलों में वे अक्सर लोगों की व्यक्तिगत परिस्थितियों को समझकर करुणा दिखाते और कई बार जुर्माना माफ़ भी कर देते। यही वजह रही कि उनका कोर्टरूम शो ‘Caught in Providence’ दुनियाभर में मशहूर हो गया। इंसाफ की दुनिया में उनके योगदान को Caught in Providence नामक शो के जरिए दिखाया गया था। जज कैप्रियो ने सबसे दयालु जज के नाम से और पीड़ित को इंसाफ देने के अपने सबसे अनोखे अंदाज के लिए दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल की थी। इस शो के क्लिप्स सोशल मीडिया पर अरबों बार देखे गए और लोगों ने उन्हें इंसाफ़ और इंसानियत का प्रतीक माना।
क्यों कहा जाता है ‘सबसे दयालु जज’
फ्रैंक कैप्रियो को उनकी इंसानियत भरी न्यायशैली ने दुनिया भर में अलग पहचान दिलाई। वे हमेशा अपराध या गलती के पीछे छिपी परिस्थितियों को समझने की कोशिश करते थे। अगर किसी व्यक्ति की मजबूरी सामने आती, तो वे कठोर सज़ा देने की बजाय नरमी और करुणा का रास्ता अपनाते। ट्रैफिक जुर्माना, रेड लाइट उल्लंघन या पार्किंग टिकट जैसे छोटे मामलों में वे अक्सर लोगों की आर्थिक स्थिति सुनते और कई बार पूरा जुर्माना माफ़ कर देते। कोर्टरूम में जब लोग अपनी निजी परेशानियां, जैसे परिवार में मौत, आर्थिक तंगी या बीमारी बयान करते, तो कैप्रियो उन्हें पूरी संवेदनशीलता से सुनते और इंसानियत दिखाते।
फ्रैंक कैप्रियो द्वारा लिए गए फैसले
जज फ्रैंक कैप्रियो ने 96 साल के बुजुर्ग को स्पीडिंग टिकट के लिए माफ किया था। उन्होंने नियम का उल्लंघन इसलिए किया था, क्योंकि वे कैंसर से जूझ रहे बेटे को डॉक्टर के पास लेकर जा रहे थे। उन्होंने अपनी बेटी की देखभाल करने के लिए संघर्ष कर रही अकेली मां पर लगा जुर्माना माफ कर दिया था। साथ ही उस महिला की आर्थिक मदद भी की थी। उन्होंने एक बच्चे को कोर्ट में पेश होने के लिए बुलाया था। उसे अपने पिता के टिकट पर फैसला लेने का हक दिया था। बाद में उन्होंने बच्चे के पिता को माफ कर दिया था।
HEARTBREAKING: America’s nicest judge, Frank Caprio, has passed away at 88 due to pancreatic cancer.
This man showed what true, Christ-like compassion looks like.
Rest in peace, sir. 🫡 pic.twitter.com/VILi8ech4s
— David J Harris Jr (@DavidJHarrisJr) August 20, 2025
मुस्कुराते हुए देते थे फैसले
फ्रैंक कैप्रियो का फैसला सुनाने का अंदाज़ भी सबसे जुदा था। अदालत का सख़्त माहौल वे अपने ह्यूमर और दोस्ताना बातचीत से हल्का-फुल्का बना देते थे। उनकी मुस्कान और सहजता ने कोर्ट को डर की जगह राहत और भरोसे की जगह बना दिया। सबसे खास बात यह रही कि वे हर व्यक्ति को सम्मान से पेश आते। कई बार तो बच्चों को भी बेंच पर बुलाकर फैसले में शामिल करते। उनके फैसले यह संदेश देते कि न्याय सिर्फ सज़ा देने से नहीं, बल्कि करुणा, इंसाफ और दयालुता से भी किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए कोर्टरूम के कई वीडियो
पिछले कई साल से कोर्टरूम में केस की सुनवाई करते हुए फ्रैंक कैप्रियो के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए, जिनमें वे आम लोगों के साथ सहानुभूतिपूर्ण तरीके से बातचीत करते और संवेदनशील फैसले देते नजर आते थे। लोग एक अनोखे और दयालु जज फ्रैंक कैप्रियो को याद करते हुए शोक संदेश लिख रहे हैं। उनके निधन के बाद अमेरिका में रोड आइलैंड में सभी सरकारी भवनों पर लगे झंडे आधे झुकाए गए हैं। वहीं उनके सम्मान में अमेरिका की प्रोविडेंस म्यूनिसिपल कोर्टरूम का नाम ‘द चीफ जज फ्रैंक कैप्रियो कोर्टरूम’ रख दिया गया है।
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