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October 13, 2025

त्रिपुरा में 14 माह की मासूम से दरिंदगी के बाद हत्या, आरोपी गिरफ्तार, देशभर में आक्रोश 

The CSR Journal Magazine
त्रिपुरा के उत्तर जिले में मानवता को झकझोर देने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां पनिसागर (Panisagar) क्षेत्र में एक व्यक्ति ने 14 महीने की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी को पड़ोसी राज्य असम से गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना ने पूरे प्रदेश में गुस्सा और शोक की लहर फैला दी है।

घुमाने के बहाने मां की गोद से ले गया बच्ची

पुलिस के अनुसार, आरोपी ने शनिवार को बच्ची की मां से कहा कि वह उसे थोड़ी देर के लिए बाहर घुमाने ले जाएगा। मां ने विश्वास कर बच्ची को उसके हवाले कर दिया। लेकिन कई घंटे बीत जाने के बाद भी जब बच्ची वापस नहीं आई, तो परिवार को शक हुआ और उन्होंने आसपास तलाश शुरू की। ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। रातभर चली तलाशी के बाद, बच्ची का शव पनिसागर इलाके के एक धान के खेत में मिट्टी में दबा हुआ मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गई थी।

आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी

पुलिस ने आरोपी की पहचान जयनलुदिन (Jaynal Uddin) के रूप में की है, जो कथित तौर पर बच्ची का रिश्तेदार बताया जा रहा है और दिहाड़ी मजदूरी का काम करता है। वारदात के बाद वह मौके से फरार हो गया था। त्रिपुरा पुलिस ने विशेष टीम गठित कर जांच शुरू की और मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग के आधार पर आरोपी को असम के नीलामबाजार (Nilambazar) क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। रविवार को आरोपी को त्रिपुरा लाया गया, जहां उससे पूछताछ जारी है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 302 (हत्या), धारा 376 (दुष्कर्म) तथा POCSO अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारी ने बताया कि आरोपी को अदालत में पेश किया जाएगा और मामले की विस्तृत जांच चल रही है।

बच्ची के साथ हुए अधर्मी कृत्य के बाद फैला जनाक्रोश

घटना के बाद पूरे पनिसागर क्षेत्र में भारी आक्रोश देखा गया। लोगों ने सड़कों पर उतरकर आरोपी के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा की मांग की। स्थानीय महिला संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे “त्रिपुरा की सबसे अमानवीय घटनाओं में से एक” बताया। मुख्यमंत्री ने इस जघन्य अपराध की निंदा करते हुए कहा कि दोषी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और Fast Track Court में मुकदमा चलाया जाएगा।

समाज पर सवाल

यह घटना एक बार फिर समाज में बच्चों की सुरक्षा और यौन अपराधों के खिलाफ जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए सामाजिक शिक्षा, पारिवारिक सतर्कता और कानूनी जागरूकता बेहद ज़रूरी है। त्रिपुरा की यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की परीक्षा है बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर भी प्रश्नचिह्न छोड़ती है। 14 महीने की मासूम की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है, और अब सबकी निगाहें न्याय की दिशा में उठे हर कदम पर टिकी हैं।

मासूम की चीख़- समाज की चुप्पी कब टूटेगी

त्रिपुरा की 14 महीने की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को झकझोर दिया है। आरोपी ने न केवल उसका बचपन छीना, बल्कि उसकी ज़िंदगी भी बेरहमी से खत्म कर दी। यह केवल एक अपराध नहीं , बल्कि हमारी सामूहिक असंवेदनशीलता का आईना है।

कानून सख्त है, लेकिन अमल धीमा क्यों

हमारे देश में POCSO कानून, धारा 376, और फास्ट ट्रैक कोर्ट्स जैसे प्रावधान मौजूद हैं। फिर भी ऐसे मामलों की गिनती कम नहीं होती। सवाल उठता है कि जब हर बार जनता सख्त सज़ा की मांग करती है, तो अपराधी क्यों नहीं डरता? सच्चाई यह है कि कानून का डर तभी तक असरदार होता है जब उसका क्रियान्वयन तेज़, पारदर्शी और निडर हो। अदालतों में वर्षों तक खिंचते मुकदमे और गवाहों पर दबाव अपराधियों को हिम्मत देते हैं। अक्सर हम ऐसे अपराधों के बाद सोशल मीडिया पर गुस्सा जताते हैं, मोमबत्ती मार्च निकालते हैं, लेकिन क्या हम रोज़मर्रा के जीवन में सतर्क रहते हैं? मासूम बच्चों की सुरक्षा केवल पुलिस या प्रशासन का काम नहीं, हर पड़ोसी, हर शिक्षक, हर परिवार को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि कोई बच्चा किसी अजनबी या रिश्तेदार के साथ असुरक्षित न रहे।

चुप्पी ही अपराध को बढ़ावा देती है

ग्रामीण इलाकों में ऐसे अपराधों का सबसे बड़ा कारण चुप्पी और डर है। लोग बदनामी के डर से शिकायत नहीं करते, परिवार मामले को दबा देते हैं। यह मौन अपराधी का सबसे बड़ा हथियार है। हमें इसे तोड़ना होगा। त्रिपुरा की इस घटना में आरोपी को जल्द से जल्द सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन यह सिर्फ एक केस का अंत नहीं होना चाहिए बल्कि यह एक नज़ीर बननी चाहिए। देश के हर हिस्से में संदेश जाए कि मासूमों के साथ दरिंदगी करने वालों के लिए भारत की धरती पर कोई जगह नहीं। जब भी किसी बच्चे के साथ ऐसा अपराध होता है, तो पूरी मानवता हार जाती है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि सभ्यता केवल तकनीक से नहीं, संवेदनाओं से मापी जाती है। यदि हम अब भी चुप रहे, तो अगली मासूम की चीख़ हमारे ही कानों में गूंजेगी।
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