Shillong मेघालय के कैबिनेट मंत्री और खलीहरियात से यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP) के विधायक किरमेन शायला ने बेतुका बयान देते हुए कहा है कि राज्य के दो डिपो से लगभग 4,000 मीट्रिक टन कोयला गायब होने के लिए भारी बारिश जिम्मेदार हो सकती है।
4000 मीट्रिक टन कोयला घोटाला
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीपी कटेके समिति द्वारा पिछले सप्ताह मेघालय उच्च न्यायालय को 31वीं अंतरिम रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद राज्य के 2 डिपो से 4000 मीट्रिक टन कोयले के गायब होने का मामला सामने आया है। इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मेघालय के कैबिनेट मंत्री और खलीहरियात से यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP) के विधायक किरमेन शायला ने कहा कि मेघालय देश में सबसे अधिक वर्षा वाले राज्यों में से एक है, और सुझाव दिया कि बारिश के कारण कोयला बह गया होगा। उन्होंने हाल ही में असम में आई बाढ़ का संबंध मेघालय में भारी वर्षा से होने के दावों का भी हवाला दिया। मंत्री ने ये दावा किया कि भारी बारिश के कारण कोयला बहकर असम और बांग्लादेश में चला गया होगा। ये कोयला रानीकोर ब्लॉक के स्टोर में रखा गया था।
साइंटिफिक माइनिंग पर जताई खुशी
शायला ने कहा कि उन्हें राज्य में किसी भी अवैध कोयला खनन की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियों की पुष्टि करना संबंधित विभाग की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “स्थानीय लोग कभी भी अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं होते, जब तक कि यह उनके जीवन-यापन का मामला न हो।”
सरकार द्वारा साइंटिफिक माइनिंग की घोषणा के बाद उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि लोग कानून का पालन करेंगे।” उन्होंने कहा, ‘हम सभी इसका स्वागत करते हुए प्रसन्न हैं और हम इसे साकार होते देखना चाहते हैं। मेरा मानना है कि हमारे लोग ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे अदालत या कानून को हम पर उंगली उठाने का मौका मिले।’
मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार
मेघालय हाईकोर्ट ने 4000 टन से ज्यादा कोयला गायब होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। साथ ही अदालत ने कोयले की निगरानी कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मेघालय बेसिन विकास प्राधिकरण (MBDA) के रिकॉर्ड के अनुसार, री-भोई जिले के डिएंगन गांव में एक डिपो में 1,839.03 मीट्रिक टन कोयला संग्रहित था। हालांकि, हाल ही में हुए निरीक्षण में केवल 2.5 मीट्रिक टन कोयला ही मिला, साथ ही कोयले के अंश भी मिले। इसी प्रकार, पश्चिमी खासी हिल्स जिले के राजाजू गांव में भी केवल लगभग 8 मीट्रिक टन कोयला ही पाया गया, जबकि पहले 2,121.62 मीट्रिक टन कोयला दर्ज किया गया था।
हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश
इन निष्कर्षों पर गौर करते हुए, न्यायमूर्ति हमरसन सिंह थांगखियू और न्यायमूर्ति वानलुरा डिएंगदोह की खंडपीठ ने कहा कि मामला गंभीर है, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व सूचना के बावजूद अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कोयला उठाया और ले जाया गया था। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को जिम्मेदार लोगों की पहचान करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
मेघालय में कोयला खनन और परिवहन पर प्रतिबंध राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2014 में लगाया था, जिसमें अनियंत्रित और असुरक्षित खनन प्रथाओं, विशेष रूप से राज्य में प्रचलित विवादास्पद ‘Rat-Hole’ खनन तकनीक का हवाला दिया गया था। न्यायाधिकरण का ये आदेश पर्यावरणीय क्षरण, जल प्रदूषण और खतरनाक खदानों, विशेषकर पूर्वी जैंतिया हिल्स में लगातार हो रही मौतों पर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर आया था।
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