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October 22, 2025

ताज होटल ने ‘YourStory’ Founder श्रद्धा शर्मा से कहा ‘ठीक से बैठें’, सभ्यता बनाम भारतीयता पर छिड़ा संग्राम

The CSR Journal Magazine
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर: देश की जानी-मानी उद्यमी और ‘रतन टाटा-इनवेस्टेड’ YourStory की संस्थापक श्रद्धा शर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में श्रद्धा शर्मा दिल्ली के ताज होटल प्रबंधन पर नाराज़गी जाहिर करती नजर आ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि होटल के एक कर्मचारी ने उनसे ‘पद्मासन’ (Cross Legged) मुद्रा में बैठने पर आपत्ति जताई और उनसे “ठीक से बैठने” के लिए कहा।

पालथी मारकर बैठने पर ताज होटल ने जताई आपत्ति

भारत अपनी परंपराओं, संस्कारों और विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के लिए जाना जाता है। परंतु विडंबना यह है कि कई बार आधुनिकता की चकाचौंध में हमारी अपनी भारतीयता को ही “असभ्य” या “अनुचित” करार दिया जाता है, खासकर बड़े होटलों और रेस्तरांओं में। हाल ही में दिल्ली के ताज होटल में ‘रतन टाटा-इनवेस्टेड’ YourStory की संस्थापक श्रद्धा शर्मा से पद्मासन मुद्रा में बैठने पर “ठीक से बैठने” के लिए कहा गया, जिससे सोशल मीडिया पर सभ्यता और संस्कृति को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।

श्रद्धा शर्मा ने X पर पोस्ट कर पूछा सवाल

श्रद्धा शर्मा ने X पर पोस्ट कर अपनी नाराज़गी व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “ताज होटल में खाना खाते वक्त मैं सामान्य पद्मासन मुद्रा में बैठी हुई थी, लेकिन होटल के मैनेजर ने आकर कहा कि इस तरह बैठना दूसरे मेहमानों को असहज कर रहा है। क्या अब ताज होटल मुझे सिखाएगा कि कैसे बैठना है और क्या करना है?” श्रद्धा के इस पोस्ट और वीडियो के सामने आते ही इंटरनेट पर बहस छिड़ गई है। एक वर्ग श्रद्धा के समर्थन में उतर आया है, तो दूसरा होटल के नियमों का बचाव कर रहा है।

सोशल मीडिया पर हुए दो फाड़

कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने होटल की आलोचना करते हुए लिखा, “अब ताज होटल में बैठने का तरीका भी बताया जाएगा?” वहीं, कुछ लोगों ने श्रद्धा की मुद्रा को अनुचित बताया। एक यूज़र ने लिखा, “आप चाहती हैं कि लोग उसी सोफे पर बैठें जिस पर आपके पैरों की धूल और बैक्टीरिया लगे हों?” एक अन्य ने कहा, “हर जगह बैठने के अपने नियम होते हैं। ज़मीन पर बैठकर खाते समय पद्मासन ठीक है, लेकिन कुर्सी पर नहीं।” इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर शिष्टाचार, संस्कृति और आधुनिकता को लेकर बहस छिड़ गई है। कुछ लोगों का मानना है कि भारतीय परंपरा की मुद्रा को सार्वजनिक स्थलों पर भी अपनाना स्वाभाविक है, जबकि अन्य इसे “हॉस्पिटैलिटी शिष्टाचार” का उल्लंघन मान रहे हैं।

आम लोगों की गाथा को ख़ास बनाती YourStory 

गौरतलब है कि ‘YourStory’ भारत का प्रमुख स्टार्टअप मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसमें टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने निवेश किया था। साल 2008 में जब भारत में स्टार्टअप की लहर उठ रही थी, उस समय श्रद्धा शर्मा को यह समझ आया कि इन नए उद्यमियों की सफलता की कहानियां दुनिया तक नहीं पहुंच रही थीं, क्योंकि बड़े मीडिया हाउस केवल नामी-गिरामी कंपनियों या नामों पर ही फोकस करते हैं। छोटे शहरों, कस्बों या गांवों में पल रहे सपनों को कोई मंच नहीं दे रहा। उनकी सफलता, बेहतर कारोबार या आईडिया का भी जिक्र नहीं हो रहा।यहीं से जन्म हुआ YourStory का! 16 सितंबर 2008 को श्रद्धा ने इस प्लेटफॉर्म की नींव रखी, जिसका मकसद था हर उस स्टार्टअप की कहानी को दुनिया तक पहुंचाना, जो कुछ नया और अनोखा कर रहा हो। YourStory मंच पर कई लोगों के सपनों और सफलता की गाथा है। आज यह भारत का सबसे बड़ा स्टार्टअप न्यूज़ और कहानियों का प्लेटफॉर्म है, जो हर महीने लगभग 1 करोड़ से ज्यादा लोगों तक पहुंचता है। YourStory कई भारतीय भाषाओं में संचालित होता है जैसे हिंदी, कन्नड़, तमिल आदि। अभी तक इस प्लेटफार्म के जरिये 2 लाख से ज्यादा स्टार्टअप्स की कहानी दुनिया तक पहुंचाई गई है।

सभ्यता बनाम भारतीयता: जब होटलों में भारतीय संस्कृति को ‘असभ्य’ कहा गया

भारत अपनी परंपराओं, संस्कारों और विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल ही में दिल्ली के ताज होटल में YourStory की संस्थापक श्रद्धा शर्मा से पद्मासन मुद्रा में बैठने पर “ठीक से बैठने” के लिए कहा गया, जिससे सोशल मीडिया पर सभ्यता और संस्कृति को लेकर तीखी बहस छिड़ गई। यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारतीय आचरण को “शिष्टाचार के विरुद्ध” बताया गया हो। नीचे ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं जो बताते हैं कि “भारतीयता” को अकसर “असभ्यता” समझ लिया जाता है।

पारंपरिक पोशाक पर रोक

चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगरों के कई प्रतिष्ठित होटलों में पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनकर आने वाले मेहमानों को प्रवेश से रोके जाने की घटनाएं सामने आई हैं। 2019 में चेन्नई के एक पांच सितारा होटल ने एक व्यक्ति को ‘लुंगी’ पहनने पर रोक दिया। होटल प्रबंधन ने कहा कि यह “ड्रेस कोड” के अनुरूप नहीं है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे “भारतीय पोशाक का अपमान” बताते हुए कहा कि अगर सूट-बूट सभ्यता का प्रतीक है, तो लुंगी और धोती असभ्यता क्यों?

हाथ से खाना खाने पर टिप्पणी

भारत में भोजन हाथ से करना परंपरा का हिस्सा है, जिसे स्वच्छ और आत्मिक रूप से जुड़ा माना जाता है। फिर भी, कई बार होटलों के स्टाफ ने ग्राहकों को “कटलरी का प्रयोग करने” की सलाह दी है। 2022 में एक भारतीय दंपति ने शिकायत की थी कि यूरोपीय होटल में जब वे हाथ से खा रहे थे, तो वेटर ने उन्हें ऐसा न करने को कहा जिससे विवाद खड़ा हुआ।

नंगे पांव या चप्पल में प्रवेश पर रोक

मंदिरों से लौटे भक्तों को कई बार होटल या रेस्तरां में नंगे पांव होने या हवाई चप्पल पहनने के कारण प्रवेश नहीं दिया गया। होटल प्रबंधन इसे “डाइनिंग एटिकेट के खिलाफ” बताता है, जबकि लोगों का कहना है कि “पूजा के बाद नंगे पांव रहना हमारी संस्कृति का सम्मान है।”

धार्मिक आचरण पर असहजता

कई बार परिवार भोजन से पहले प्रार्थना या मंत्रोच्चारण करते हैं। 2019 में मुंबई के एक रेस्तरां में एक परिवार ने संस्कृत प्रार्थना की, तो वेटर ने कहा, ‘कृपया दूसरे ग्राहकों को डिस्टर्ब न करें।’ यह घटना भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी, और लोगों ने इसे “आस्था पर रोक” कहा।

पद्मासन विवाद, श्रद्धा शर्मा का मामला

हाल ही में श्रद्धा शर्मा को ताज होटल, दिल्ली में ‘पद्मासन मुद्रा’ में बैठने पर “ठीक से बैठने” के लिए कहा गया। श्रद्धा ने पोस्ट करते हुए कहा, “क्या अब ताज होटल मुझे सिखाएगा कि कैसे बैठना है और क्या करना है?” इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या भारतीय मुद्रा में बैठना असभ्यता है?

सभ्यता का अर्थ पश्चिम की नकल क्यों

इन घटनाओं से यह सवाल बार-बार उठता है कि क्या सभ्यता का अर्थ केवल पश्चिमी तौर-तरीकों तक सीमित रह गया है? क्या भारतीय संस्कृति को आधुनिक शिष्टाचार में “असंगत” समझा जा रहा है? कई समाजशास्त्री मानते हैं कि यह “सांस्कृतिक असुरक्षा” का परिणाम है, जहां हम अपने ही तौर-तरीकों को “कमतर” मानने लगते हैं। भारत में आधुनिकता और परंपरा के बीच यह टकराव नया नहीं है, पर अब सोशल मीडिया ने इन बहसों को और तेज़ कर दिया है। कभी पहनावे पर, कभी खाने के तरीके पर, और अब बैठने की मुद्रा पर सवाल उठ रहे हैं। यह बहस हमें याद दिलाती है कि सभ्यता की परिभाषा केवल पश्चिम नहीं तय कर सकता! भारतीयता भी शिष्टाचार है, संस्कृति भी सभ्यता है।

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