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April 22, 2025

मिलिये कानपुर के महबूब मलिक से,जिन्होंने चाय बेचकर 3000 बच्चों को पढ़ाया

Kanpur के Mehboob Malik की कहानी उन सभी लोगों के लिए मिसाल है जो सकारात्मक सोच के साथ जीवन को देखते हैं। अपनी जिंदगी में कमियों का रोना रोने के बजाय दूसरों के लिए राह आसान बनाने की कोशिश करते हैं। बचपन में Mehboob Malik को आर्थिक तंगी के चलते 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। तभी उन्होंने सोच लिया था कि खुद पढ़ नहीं सके तो क्या हुआ, गरीब बच्चों को पढ़ाई में हर संभव मदद करेंगे। जीवन जीने और समाज में सर उठाकर चलने के लिए शिक्षित होना कितना ज़रूरी है, इसे महबूब बखूबी समझते हैं। आज वो अपनी चाय की दुकान से होने वाली कमाई का 80 प्रतिशत हिस्सा गरीब बच्चों की पढ़ाई में लगा देते हैं। उनकी कहानी ऐसे सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं।
Kanpur के Mehboob Malik, जो विपरीत परिस्थितियों के चलते अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके, उन्होंने हजारों बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया है। चाय बेचकर बच्चों को फ्री में पढ़ाने वाले महबूब को राज्यपाल सम्मान से नवाजा जा चुका है। उन पर बच्चों को पढ़ाने और काबिल बनाने का जुनून इस कदर हावी हो गया कि उन्होंने स्लम बस्तियों में जाकर उनके माता-पिता को शिक्षा के लिए जागरुक किया, फिर उनके बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का इंतजाम कराया।

Mahboob Malik की कहानी उन्हीं की जुबानी…

कानपुर के काकादेव में रहने वाले Mehboob Malik बचपन से पढ़ाई करना चाहते थे। शहर के PPN इंटर कॉलेज से हाई स्कूल की पढ़ाई उस समय आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण छोड़नी पड़ी। इसके बाद अनुराग चौराहे के पास काकादेव में ही एक चाय की दुकान सड़क पर शुरू की और उसी से परिवार चलाने लगे। लेकिन Mehboob Malik ने यह ठान लिया कि वह खुद शिक्षा हासिल नहीं कर सके तो नन्हें बच्चों तक शिक्षा जरूर पहुंचाएंगे। जब उन्होंने चाय की दुकान शुरू की तो सुबह-सुबह नन्हें बच्चे स्कूल जाते हुए दिखाई देते। उन्हें देखकर Mehboob को अपना बचपन याद आता। उसी समय कुछ नन्हें बच्चे हाथों में बोरियों लेकर कूड़ा बीनते हुए भी नजर आते। यह देखकर महबूब मलिक ने सोचा कि कितना फर्क है इन बच्चों में! उनके काम तो अलग-अलग हैं, लेकिन उम्र तो एक ही है। अगर कूड़ा बीनते बच्चों की ये उम्र निकल गईं, तो वो फिर कभी नहीं पढ़ पाएंगें।
इस उद्देश्य के साथ उन्होंने अपने नए लक्ष्य की शुरूआत की। सन् 2014 में सबसे पहले उन्होंने सड़क के किनारे फुटपाथ पर अपनी दुकान में बस्तियों के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसके लिए चाय की दुकान से समय निकालकर शहर की अलग-अलग बस्तियों में जाकर और सड़क पर कूड़ा उठाने वाले बच्चों को ढूंढकर, उन्हें पढ़ाई के मायने बताए। बच्चों को पढ़ाई और समय का महत्व बताया। इसके बाद Mehboob ने 2016 में अनुराग चौराहे के पास ही एक कमरा किराए पर लिया। कुछ बच्चों के लिए ड्रेस, कॉपी, किताब और बैग का इंतजाम किया और इस कमरे में दो टीचर के साथ खुद पढ़ाने का काम शुरू किया। चाय की दुकान से जो कमाई होती थी, उसे नन्हें बच्चों की शिक्षा के लिए लगाता देख लोग थोड़ी बहुत मदद भी कर दिया करते थे।

दोस्त ने दी Mehboob को NGO बनाने की सलाह

Mehboob ने गरीब बच्चों को अपनी दुकान पर पढ़ाना  शुरू किया तो धीरे धीरे इन बच्चों की संख्या बढ़ती चली गयी। 2017 में कुछ पैसा इकठ्ठा कर के Mehboob नें इन बच्चों के लिए शारदा नगर गुरुदेव टाकीज़ के पास मलिन बस्ती में Coaching Centre खोला, जहां बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जाता था। महबूब के दोस्त नीलेश को जब उनके Coaching Centre के बारे पता चला तो उन्होंने NGO बनाने की राय दी, जिसके बाद Mehboob ने’ मा तुझे सलाम फॉउण्डेशन’(Maa Tujhe Salaam Foundation) के नाम से NGO बनाया। धीरे-धीरे महबूब के पास 50 बच्चे इकठ्ठा हो गए। महबूब के निशुल्क शिक्षा केंद्र की चर्चा धीरे धीरे हर तरफ़ फैलने लगी। गरीब घर के मां बाप के लिए अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिये ये एक उम्मीद की किरण थी, लिहाज़ा उन्होंने अपने बच्चो को महबूब के पास भेजना शुरू किया। कोचिंग सेंटर का किराया करीब दस हज़ार था और बच्चों की स्टेशनरी पर हज़ारों का खर्च था जो महबूब अपनी चाय की दुकान से निकालते थे, बल्कि अपनी इनकम का 80 % महबूब इन बच्चों पर खर्च कर देते हैं।

हज़ार से ज़्यादा बच्चों को दी निशुल्क शिक्षा

Mehboob के NGO के ज़रिये आज 1500 बच्चे निशुल्क शिक्षा हासिल कर रहे हैं, 12 शिक्षक मिलकर दो प्राइमरी स्कूल चला रहे हैं। महबूब के स्कूल के पढ़ाए हुए बच्चे आज दसवीं और बारहवीं में टॉप कर रहे हैं। ‘Maa Tujhe Salaam Foundation’ की सफलता से प्रेरित होकर Chapeda Puliya, Shivpuri में ‘मां शारदा तुझे सलाम सोशल फाउंडेशन स्कूल’ (Maa Sharda Tujhe Salaam Foundation School) की स्थापना हुई, जहां वर्तमान में 125 बच्चे मुक्त शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इन बच्चों के लिए ड्रेस, टाई, जूता, कॉपी-किताब से लेकर हर चीज मुफ्त व्यवस्था की जाती है। बच्चों को पढ़ाने के लिए पांच अध्यापिकाएं स्कूल में हैं। जिनमें आकांक्षा पांडे, रानी, गुलब्जा, सोनम मिश्रा और शिक्षक विकास नन्हें बच्चों को शिक्षा देने का काम करते हैं। नर्सरी से लेकर कक्षा 5 तक यहां बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दी जाती है। इसके बाद भी संस्था के द्वारा आगे की पढ़ाई के लिए अन्य स्कूलों में जाने के लिए बच्चों की मदद की जाती है। Mehboob Malik ने अब तक तकरीबन 3000 बच्चों को शिक्षा देने का काम किया है। यहां से शिक्षा लेने वाले बच्चे शहर के बड़े-बड़े स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं, जिनमें महाराणा प्रताप, सरदार पटेल ,कानपुर विद्या मंदिर, रामलला मंदिर स्कूल जैसे नाम शामिल हैं।

Mehboob Malik के नाम इतने सम्मान

साल 2017 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक द्वारा समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर Mehboob Malik को सम्मानित किया गया। 2019 में भारत के महान बल्लेबाज क्रिकेटर VVS Laxman ने अपने ट्विटर हैंडल से महबूब मलिक को प्रेरणा स्त्रोत बताया। 31 दिसंबर 2019 को LDD नेशनल ने देश के 12 समाजसेवियों को सम्मानित किया, जिसमें कानपुर के Mehboob Malik को भी समाज में शिक्षा प्रचार प्रसार करने के लिए सम्मानित किया गया।
महबूब के पिता ने बताया कि जब महबूब ने चाय की दुकान शुरू की और बच्चों को पढ़ाने के लिए भी जाता था, तो कुछ दिन हम लोग भी उस पर गुस्सा करते थे। लेकिन जब देखा कि उसकी लगन को लोगों का समर्थन और प्यार मिल रह है, और वह समाज के लिए अच्छा काम कर रहा है, तो हम लोगों ने भी उसका साथ देना शुरू किया। अब जिस तरह से उन्होंने हजारों गरीब बच्चों तक शिक्षा पहुंचाई है, यह देखकर बहुत खुशी होती है, और Mehboob को आगे ना पढ़ा पाने का ग़म कुछ कम हो जाता है ।

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