सोशल मीडिया और कुछ समाचारों में दावा किया जा रहा है कि बाजार में बिकने वाले भुने चने (रोस्टेड चना) में औद्योगिक रंग Auramine मिलाया जा रहा है, जो संभावित रूप से कैंसरजनक है। यह रंगद्रव्य खाद्य उपयोग के लिए अनुमति प्राप्त नहीं है और इसे मानव स्वास्थ्य के लिए कैंसर कारक माना गया है।
सुनहरे चनों के पीछे छिपा ज़हर?
देशभर के कई बाजारों में बिक रहे भुने चनों के नमूनों को लेकर चिंताजनक जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन चनों को अधिक चमकदार और सुनहरा दिखाने के लिए “Auramine” नामक औद्योगिक रंग का उपयोग किया जा रहा है। यह वही रासायनिक रंग है जो वस्त्र, कागज़ और चमड़े को रंगने में इस्तेमाल होता है, परंतु खाद्य पदार्थों में इसका उपयोग कानूनन प्रतिबंधित है।
क्या है Auramine और क्यों है खतरनाक?
Auramine एक औद्योगिक डाई (Industrial Dye) है, जिसका उपयोग मुख्यतः रंगाई उद्योगों में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अंतर्गत आने वाली International Agency for Research on Cancer (IARC) ने इसे संभावित कैंसरजनक पदार्थ की श्रेणी में रखा है।
शोधों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि लंबे समय तक इस रसायन के सेवन या संपर्क से यकृत (liver), गुर्दे (kidney) और मूत्राशय (bladder) में कैंसर जैसे रोग उत्पन्न हो सकते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों में केवल कुछ निर्धारित रंगों की अनुमति दी है। Auramine जैसे औद्योगिक रंगों का प्रयोग “Food Safety and Standards Act, 2006” के तहत गंभीर अपराध माना जाता है। दोषी पाए जाने पर निर्माता या विक्रेता को जेल और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
मिलावट की जांच में क्या सामने आया ?
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में यह दावा किया गया कि बाजार में बिकने वाले भुने चनों को चमकदार दिखाने के लिए रंग मिलाए जा रहे हैं। कुछ स्थानीय प्रयोगशालाओं द्वारा की गई प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई कि कुछ नमूनों में गैर-खाद्य रंगों के अंश मिले हैं। हालांकि, सभी उत्पादों में यह मिलावट प्रमाणित नहीं हुई है, लेकिन चेतावनी के संकेत गंभीर हैं।
Auramine- स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव
डॉक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार Auramine जैसे रसायनों का लगातार सेवन करने से शरीर में धीरे-धीरे विषैले तत्व जमा होने लगते हैं।
इससे व्यक्ति को निम्नलिखित बीमारियों का खतरा हो सकता है:
यकृत (लिवर) की कार्यक्षमता में कमी
मूत्राशय और गुर्दे के कैंसर की संभावना
त्वचा और पाचन तंत्र में जलन
बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर विषैले प्रभाव
FSSAI ने क्या कहा?
FSSAI ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे भुने चने, नमकीन या अन्य स्नैक्स विश्वसनीय ब्रांड्स से ही खरीदें।
यदि किसी उत्पाद का रंग अत्यधिक चमकीला पीला या सुनहरा लगे, तो उसकी शिकायत तुरंत दर्ज कराएँ।
संस्था ने अपनी वेबसाइट और टोल-फ्री नंबर के माध्यम से उपभोक्ता शिकायत व्यवस्था भी उपलब्ध कराई है।
FSSAI हेल्पलाइन: 1800-11-2100 / 1800-180-5533
शिकायत दर्ज करें: www.fssai.gov.in
कैसे करें मिलावटी चने की पहचान?
1. चने का रंग अगर असामान्य रूप से चमकीला या रासायनिक गंध वाला लगे तो उसे न खरीदें।
2. खुले बाजार में बिकने वाले बिना पैक चनों से बचें।
3. पैक्ड प्रोडक्ट पर FSSAI लाइसेंस नंबर, बैच कोड, और निर्माण तिथि अवश्य देखें।
4. किसी भी संदेह की स्थिति में नमूना स्थानीय खाद्य निरीक्षक को सौंपें।
एम्स (AIIMS) के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार, “Auramine जैसी औद्योगिक डाई का भोजन में प्रयोग किसी भी रूप में सुरक्षित नहीं है। यह धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर कोशिकाओं की संरचना को नुकसान पहुंचाती है, जिससे कैंसर जैसे गंभीर रोग उत्पन्न हो सकते हैं।”
देश में बढ़ती खाद्य मिलावट की समस्या
भारत में हर साल खाद्य मिलावट के हजारों मामले दर्ज होते हैं। 2024 में FSSAI की रिपोर्ट के अनुसार, जांच किए गए 1.3 लाख नमूनों में से लगभग 28 प्रतिशत नमूने नियमों के विरुद्ध पाए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि मिलावट रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर सघन निगरानी और त्वरित कार्रवाई ज़रूरी है। भारत में हाल के वर्षों में सामने आये प्रमुख खाद्य मिलावट (Food-Adulteration) के मामले–
1) सांगली (महाराष्ट्र)- (7 May 2025) 30,400 लीटर मिलावटी दूध नष्ट
सांगली के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने सड़क किनारे से कई दूध-टैंकरों के नमूने जांच कर कुल 30,400 लीटर मिलावटी दूध जब्त कर नष्ट किए। जांच में पाया गया कि दूध में नमक/अन्य घटक मिलाकर उसकी मात्रा और वसायुक्तता बढ़ाई जा रही थी। स्थानीय अधिकारियों ने उक्त स्टॉक मौके पर नष्ट कर दिया और आगे की जांच शुरू की।
2) जयपुर/मौसमी छापे- (2025 के अनेक मामले) नकली पनीर और मिलावटी दूध- मिठाइयां
जयपुर में त्योहारों के मौके पर कई बड़े छापे हुए- 1,000–1,800 किलोग्राम तक नकली पनीर पकड़ा गया, साथ ही मिलावटी पनीर, मिलावटी घी और संदिग्ध मिठाइयों को जब्त/नष्ट किया गया। आरोप है कि कुछ आपूर्तिकर्ता मिलावटी पनीर/घी, जो दूध पाउडर, पाम ऑइल/सोयाबीन तेल, ग्लूकोज़ आदि से बनता था, थोक बाजारों तक सप्लाई कर रहे थे। स्थानीय प्रशासन ने नमूने लैब भेजे और असली ब्रांड्स की नकल करने वालों पर कार्रवाई की आशंका जताई।
3) पंजाब/राज्यों में दुग्ध गुणवत्ता जांच-(2023–2024 सर्वे/रिपोर्ट)
पंजाब समेत कई राज्यों की जांचों में पाया गया कि एक बड़ी संख्या में दूध-नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। उदाहरणतः पंजाब में अप्रैल 2023-फरवरी 2024 के सैंपलों में 15 प्रतिशत से अधिक नमूने असुरक्षित पाए गए। FSSAI और राज्य एजेंसियां लगातार निगरानी और सर्वे कर रही हैं।
4) राष्ट्रीय-स्तरीय सर्वे/रिपोर्ट- (FSSAI Milk Survey 2020) दूध उत्पादों में मिलावट की रिपोर्ट
FSSAI के 2020 के मिल्क-प्रोडक्ट सर्वे में कुछ श्रेणियों (जैसे खोआ/खोया) में विदेशी वसा व मिलावट के नमूनों की उच्च अनुपात दिखाई दिया। राष्ट्रीय औसत और क्षेत्रीय अंतर दोनों पर रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। यह दर्शाता है कि कुछ मैन्युफैक्चरिंग/प्रोसेसिंग चैनलों में मिलावट एक स्थायी समस्या बन चुकी है।
5) 2015-2016 के बड़े विवाद – Maggi (Nestlé) और मिलीजुली घटनाएं
2015 में नेस्ले के Maggi noodles के मामलों ने देशभर में खाद्य-सुरक्षा चर्चाओं को हवा दी। कुछ प्रयोगशालाओं ने नियमों से अधिक सामग्री पाये जाने के दावे किए। उससे पहले-बाद में भी दूध/दूध उत्पादों में डिटर्जेंट/अन्य संदिग्ध पदार्थ मिलने की रिपोर्टें आती रहीं (उदा. Mother Dairy के कुछ नमूनों पर 2015 में शिकायतें)। इन घटनाओं ने उपभोक्ता जागरूकता और नियामकीय जांच की ज़रूरत को रेखांकित किया।
राज्य-स्तरीय बड़े रेड/छापे, नकली घी, मिलावटी मिठाई, असंगत लेबलिंग
ध्यान देने योग्य और बार-बार पकड़े जाने वाले उदाहरणों में नकली घी (पर्याप्त जांच में वनस्पति तेल/पामोलिन का उपयोग), मिठाई बनाते समय सस्ता तेल या वनस्पति प्रोटीन का प्रयोग, एवं पैकेज्ड उत्पादों पर गलत लेबलिंग शामिल हैं। त्योहारों के आसपास ऐसे छापे आम हैं। किसी-किसी छापे में हजारों किलोग्राम/लीटर सामान नष्ट किया जाता है। विभिन्न रिपोर्टों व अध्ययनों से संकेत मिलता है कि खाद्य मिलावट भारत में एक व्यापक समस्या बनी हुई है। कुछ वर्षों में नमूनों में अनियमितता की दर बढ़ी है और दोषियों पर मिलती-जुलती सजाएं अक्सर कम या धीमी पायी गयीं। FSSAI और राज्य इकाइयां राष्ट्रीय-स्तर पर सर्वे, त्वरित जांच किट और लैब नेटवर्क बढ़ा रही हैं, पर व्यवहारिक निगरानी और निवारक कदमों की ज़रूरत बनी रहती है।
उपभोक्ता के लिए त्वरित संकेत (क्या देखें/क्या करें)
पैकिंग-लेबल देखें: FSSAI लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन नंबर, बैच, निर्माण-तिथि व एक्सपायरी अवश्य जांचें।
असामान्य गंध/रंग/स्वाद: यदि रंग बहुत चमकीला, गंध रसायन जैसी या स्वाद असामान्य लगे तो खरीदना/खाना टालें।
त्योहारों पर सतर्क रहें: त्योहारों के समय मिलावटी मिठाई/पनीर/घी के प्रसार के जुड़े मामले बढ़ते हैं। नजदीकी दुकानदार/सप्लायर पर भरोसा जांचें। शिकायत दर्ज कराएं – शक हो तो FSSAI की वेबसाइट/टोल-फ्री या राज्य फूड-सेफ्टी कार्यालय में रिपोर्ट करें।
भुने चने, नमकीन या किसी भी खाद्य पदार्थ को खरीदते समय सतर्क रहें। “सस्ता या ज्यादा चमकीला” हमेशा अच्छा नहीं होता। अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों के खिलाफ आवाज उठाएं और संदिग्ध उत्पाद की तुरंत शिकायत करें।
खाद्य मिलावट के मामलों में शिकायत कहां और कैसे करें?
1. मुख्य संस्था – FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण)- भारत में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा की देखरेख FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India)करती है। अगर आपको किसी खाद्य उत्पाद में मिलावट, गंध, खराब गुणवत्ता या झूठे लेबलिंग का संदेह हो, तो आप सीधे FSSAI को शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
2. ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने का तरीका- आप FSSAI की आधिकारिक वेबसाइट या ऐप के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं:
वेबसाइट: https://www.fssai. gov.in
शिकायत पोर्टल (Consumer Grievance): https:// foodlicensing.fssai.gov.in/ cmsweb/
मोबाइल ऐप: Food Safety Connect App (Google Play Store और Apple App Store पर उपलब्ध)
3. हेल्पलाइन नंबर– आप सीधे कॉल करके भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं या सलाह ले सकते हैं।टोल-फ्री नंबर:1800-11-2100
वैकल्पिक नंबर: 1800-180-5533
ईमेल: compliance@fssai.gov.in
राज्य/जिला स्तर पर शिकायत कहां करें
हर राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिकारी (Food Safety Officer) और राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त (Commissioner of Food Safety) नियुक्त होते हैं। आप अपने जिले के Chief Food Safety Officer या District Food Safety Office में जाकर लिखित शिकायत दे सकते हैं।
सोशल मीडिया माध्यम
FSSAI सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है। आप टैग करके भी शिकायत कर सकते हैं-
Twitter (X): @fssaiindia
Instagram / Facebook: @fssaiindia
सावधान रहें, सुरक्षित रहें
उपरोक्त मामलों से स्पष्ट है कि दूध, डेयरी, पनीर/घी, मिठाइयां और स्नैक्स बार-बार मिलावट के शिकार होते रहे हैं। प्रशासनिक छापे व नष्ट करने की कार्रवाइयां मिलावट को रोके रखने का हिस्सा हैं, पर समग्र सुधार के लिए व्यावसायिक पारदर्शिता, उपभोक्ता जागरूकता और तेज़-लैब जांच की ज़रूरत हमेशा बनी रहेगी। FSSAI के राष्ट्रीय सर्वे और रिपोर्ट इस दिशा में मार्गदर्शक साबित हो रहे हैं। भुना चना भारतीय आहार का पौष्टिक हिस्सा माना जाता है, लेकिन अगर उसमें Auramine जैसे रासायनिक रंग मिलाए गए हों, तो यह धीरे-धीरे कैंसर का निमंत्रण बन सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि उपभोक्ता जागरूक रहें, सरकार सख्त कार्रवाई करे और मिलावटखोरों पर नकेल कसी जाए। तभी “सुरक्षित भारत, स्वस्थ भारत” का सपना साकार होगा।
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