बिहार के नवगछिया में कोसी और गंगा के उफान ने हालात भयावह कर दिए हैं। रंगरा और गोपालपुर प्रखंड के सैकड़ों गांव पानी में डूब चुके हैं। स्कूल, प्रखंड कार्यालय और मुख्य सड़कें जलमग्न हैं। लोग नावों के सहारे सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं, लेकिन हालात हर घंटे बिगड़ते जा रहे हैं। लाखों लोग इस आपदा से प्रभावित हैं।
जमीनी हालात
रंगरा प्रखंड के सधवा गांव समेत कई इलाकों में पानी कमर से ऊपर तक पहुंच गया है। ग्रामीण मजबूरी में इसी पानी में रह रहे हैं। कोसी का पानी पिछले 10 दिनों से लगातार फैल रहा है, जिससे हजारों की आबादी प्रभावित हुई है।
गोपालपुर प्रखंड में स्थिति और भी गंभीर है। सैदपुर गांव में गंगा का पानी तेजी से घरों में घुस रहा है। कटाव ने सड़क मार्ग को पूरी तरह तोड़ दिया है। प्रशासन रेत की बोरियां लगाकर कटाव रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन गंगा की तेज धार में ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
शिक्षा और प्रशासन पर असर
बाढ़ ने दोनों प्रखंडों के स्कूल, प्रखंड कार्यालय और सरकारी इमारतों को डुबो दिया है। गोपालपुर गांव का पूरा इलाका पानी में समा गया है। ग्रामीणों का आरोप है— प्रशासनिक मदद समय पर नहीं मिल रही और राहत कार्य बेहद धीमी रफ्तार से चल रहे हैं।
राज्यभर में बाढ़ की स्थिति
गंगा नदी इस वक्त भागलपुर, पटना और मुंगेर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बिहार के 10 जिले— वैशाली, भोजपुर, पटना, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, बेगूसराय, सारण, खगड़िया और सुपौल— बाढ़ की चपेट में हैं। अब तक 17.62 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की 10 और एसडीआरएफ की 22 टीमें तैनात हैं। पानी का दबाव और कटाव की रफ्तार राहत कार्यों के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मौसम विभाग की चेतावनी
अगले दो दिनों में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, अररिया, सुपौल और किशनगंज में भारी से अति भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। ऐसे में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। स्थानीय लोग प्रशासन से पुख्ता राहत और बचाव व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, ताकि जान-माल का नुकसान रोका जा सके।