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December 5, 2025

Cold Moon से चमका आसमान: साल का आख़िरी सुपरमून चमका पूरी दुनिया में !

The CSR Journal Magazine

 

साल 2025 का आखिरी सुपरमून, जिसे Cold Moon कहा जाता है, 5 दिसंबर की रात दुनिया भर में साफ दिखाई दिया। चांद पृथ्वी के सबसे नज़दीक होने के कारण यह सामान्य से लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज़्यादा चमकीला दिखा। भारत में इसका सबसे खूबसूरत दृश्य सुबह 4:44 बजे दर्ज किया गया। लोगों ने छतों, पार्कों और समुद्र किनारे से इस दुर्लभ दृश्य को देखा और तस्वीरें साझा कीं।

2025 का अंतिम ‘Cold Moon’- एक जादुई रात

दिसंबर की ठंडी रात ने इस साल के आखिरी सुपरमून को और भी खास बना दिया। गुरुवार की रात से लेकर शुक्रवार की सुबह तक आसमान में उभरा Cold Moon या शीत पूर्णिमा, अपने सामान्य आकार से कहीं अधिक बड़ा और चमकीला दिखाई दिया। यह चंद्र दृश्य दुनिया के कई हिस्सों में साफ मौसम वाले आसमान के तहत आसानी से नज़र आया। इस सुपरमून के दौरान चांद पृथ्वी के सबसे निकट बिंदु (Perigee) पर था। इसी कारण यह सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और लगभग 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखा। आसमान में उभरते ही चंद्रमा की चमक ऐसी थी मानो किसी ने रात में एक विशाल प्राकृतिक स्पॉटलाइट जला दी हो।

दुनियाभर में छाया Cold Moon का जादू

Cold Moon ने एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और मध्य पूर्व तक करोड़ों लोगों को अपनी ओर खींचा। कई शहरों में लोग घरों की छतों, समुद्र तटों, पार्कों और खुले स्थानों पर जाकर आसमान में चमकते इस विशाल चंद्रमा को निहारते दिखे। कई देशों में इस अवसर पर आम लोग, फोटोग्राफर और खगोल विज्ञान प्रेमियों ने शानदार तस्वीरें लीं। सोशल मीडिया पर #ColdMoon2025 और #SuperMoon2025 जैसे हैशटैग ट्रेंड करते रहे।

भारत में दृश्य और समय

भारत में शीत पूर्णिमा का सबसे चमकदार दृश्य 5 दिसंबर की सुबह लगभग 4:44 बजे दर्ज किया गया। इससे एक रात पहले यानी 4 दिसंबर की शाम से ही चांद अपने बड़े आकार में दिखाई देना शुरू हो गया था। मुंबई, दिल्ली, जयपुर, चेन्नई और पहाड़ी राज्यों में रह रहे लोगों ने खुली हवा और साफ आसमान में इसका अद्भुत रूप देखा। जिन शहरों में बादल नहीं थे, वहां चांद की रोशनी ने रात को लगभग सांझ जैसा उजाला बना दिया।

Cold Moon क्यों कहलाता है?

दिसंबर में पड़ने वाली पूर्णिमा को पारंपरिक रूप से “Cold Moon” कहा जाता है। इसका नाम 12वीं सदी से जुड़ी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धारणाओं से लिया गया है। उत्तरी गोलार्ध में Cold Moon को सर्दियों की शुरुआत और नए बदलावों का प्रतीक माना जाता है, जब दिन छोटे और रातें लंबी होती जाती हैं। इसे कई संस्कृतियों में पुनर्विचार, आत्मनिरीक्षण, और नए आरंभ का प्रतीक भी माना जाता है।

बिना दूरबीन भी बेहतरीन दृश्य

क्योंकि यह सुपरमून था, इसलिए इसे देखने के लिए किसी वैज्ञानिक उपकरण की आवश्यकता नहीं थी। स्मार्टफोन कैमरे से भी इसकी चमक और आकार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। फोटोग्राफी विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि ऐसे क्षणों में चांद को क्षितिज के पास फोटो खींचा जाए, जहां वह आसपास की इमारतों, पेड़ों या समुद्र के साथ और भी बड़ा दिखाई देता है।

अगला ऐसा दृश्य कब?

Cold Moon 2025 का आखिरी सुपरमून था। अगले कुछ महीनों में चांद अपनी साधारण स्थिति में दिखाई देगा। अब अगला सुपरमून 2026 में दिखाई देने की संभावना है, हालांकि उसका आकार और चमक इस साल दिखे Cold Moon जितना अनोखा नहीं माना जा रहा।

एक यादगार रात

Cold Moon ने 2025 की विदाई को बेहद खूबसूरत बना दिया, एक शांत, चमकीली, ठंडी रात जिसने दुनिया को रुककर आसमान देखने की वजह दी। कई लोगों के लिए यह रात सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं थी, बल्कि एक अनुभव था, शांति, प्रकृति और समय के बहते होने का एहसास !
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