What is Digital Rape: हरियाणा में गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एयर होस्टेस से डिजिटल रेप के मामले की पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। मामले में गुरुग्राम पुलिस ने अस्पताल में कथित तौर पर काम करने वाले एक तकनीशियन को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि इस व्यक्ति पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर उस समय Digital Rape किया, जब महिला आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी दीपक के रूप में हुई है, जो कुछ समय से गुरुग्राम में रह रहा था। Gurugram Airhostess Rape
डिजिटल रेप एक अपराध है जिसका डिजिटल दुनिया या इंटरनेट से कोई लेना देना नहीं है
What is Digital Rape: पूरे देश भर में हर रोज रेप के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि डिजिटल रेप क्या होता है, जिसका इंटरनेट या गूगल से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। निर्भया मामले (Delhi Nirbhaya Rape Case) के बाद डिजिटल रेप (Digital Rape Case) शब्द सुनने को मिला। इसके बाद डिजिटल रेप को अपराध माना गया और इसे सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की में रखा गया। Gurugram Airhostess Rape
What is Digital Rape: क्या होता है डिजिटल रेप?
डिजिटल रेप के मामले में अगर आपको लग रहा है कि इसका मतलब ऑनलाइन पॉर्न देखना या फिर महिला के खिलाफ किसी तरह के ऑनलाइन अपराध से है। लेकिन ऐसा नहीं होता है। डिजिटल रेप का मतलब है कि बिना इजाजत के इंसान किसी के साथ अपनी उंगलियों या पैर के अंगूठे से पेनिट्रेशन करना। ऐसे में यह रेप वह है, जिसमें उंगली, अंगूठा या पैर की उंगली का इस्तेमाल किसी पीड़िता के नाजुक अंगों पर किया गया हो। डिजिटल रेप एक घिनौना अपराध है। डिजिटल रेप शब्द दो शब्दों को मिलाकर बना है, ‘डिजिटल’ और ‘रेप’. इंग्लिश में ‘डिजिट’ का मतलब अंक होता है। इसके अलावा इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार, उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली इनको भी ‘डिजिट’ कहा जाता है। डिजिटल रेप के बारे में लोगों को पता ही नहीं है। कानून के जानकारों के अनुसार, डिजिटल रेप का अर्थ यह नहीं कि किसी लड़की या लड़के का शोषण इंटरनेट से जरिए किया जाए।
What is Digital Rape: केस में आरोपी को कितनी मिलती है सजा?
डिजिटल रेप को सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया है। इस मामले में कई बार उम्रकैद की सजा भी सुनाई जाती है और जुर्माने का भी प्रावधान होता है। ऐसे मामलों में ज्यादातर पीड़ित छोटी बच्चियां होती हैं, इसलिए आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत भी कार्रवाई होती है। अपराध की गंभीरता को देखते हुए एक्ट में 20 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है। अगर अपराध के दौरान पीड़िता की मौत हो गई तब तो फांसी की सजा भी हो सकती है।