नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूचियों को अधिक पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए Special Intensive Revision (SIR) की शुरुआत की है। यह विशेष अभियान उन क्षेत्रों में चलाया जा रहा है जहां बड़ी संख्या में जनसंख्या परिवर्तन, डुप्लिकेट नाम, मृत मतदाताओं की एंट्रियां या पते में बेमेल जैसी शिकायतें लगातार मिल रही थीं। आयोग के अनुसार SIR एक सामान्य वार्षिक संशोधन से अलग, अत्यधिक गहन (Intensive) प्रक्रिया है, जिसमें घर-घर सत्यापन, बूथ स्तर अधिकारियों की विशेष तैनाती, और कॉलेजों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक बड़े पैमाने पर पंजीकरण अभियान चलाए जाएंगे।
मृतकों के नाम मतदाता सूची में, युवाओं के नाम शामिल करने में देरी
चुनाव आयोग का कहना है कि जनसंख्या के तेजी से बदलते पैटर्न, प्रवास, और नए शहरी विस्तार की वजह से मतदाता सूची में अनेक विसंगतियां दर्ज हो रही थीं। कई क्षेत्रों में मृत व्यक्तियों के नाम हटे नहीं थे, एक मतदाता की दो जगह प्रविष्टि थी, जबकि 18 वर्ष पार करने वाले युवाओं का नाम जुड़ने में देरी हो रही थी। इन स्थितियों को देखते हुए SIR को आवश्यक माना गया। इस अभियान के दौरान ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जाएगी, उस पर आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी, और अंतिम सूची निर्धारित समय में प्रकाशित होगी। राजनीतिक दलों को भी सूची की जांच का अवसर दिया जाएगा ताकि मतदाता सूची पर किसी तरह का विवाद न रहे।
SIR के बाद बढ़ेगी पारदर्शिता
आयोग को उम्मीद है कि SIR के बाद मतदाता सूची काफी हद तक सटीक होगी, फर्जी मतदान की गुंजाइश घटेगी और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी। ग्रामीण क्षेत्रों, शहरी बस्तियों और उच्च प्रवास वाले क्षेत्रों में विशेष जोर दिया गया है। एक अधिकारी के अनुसार, “मतदाता सूची चुनाव की रीढ़ है। अगर सूची साफ और सटीक है, तो चुनाव भी निष्पक्ष होंगे। इसी उद्देश्य से SIR को अभियान मोड में लागू किया गया है।”
FACT SHEET: (SIR) क्या है ?
चुनाव आयोग की एक विशेष गहन समीक्षा प्रक्रिया, जिसके तहत मतदाता सूची की बड़े पैमाने पर जांच और सुधार किए जाते हैं।
कब की जाती है?
जब किसी क्षेत्र में जनसंख्या में तेज बदलाव हो,
जब मतदाता सूची में बड़ी विसंगतियां मिलें, किसी बड़े चुनाव (लोकसभा/विधानसभा) से पहले,
जब राजनीतिक दल या नागरिकों द्वारा व्यापक शिकायतें हों!
SIR क्यों है ज़रूरी?
डुप्लिकेट या फर्जी नाम हटाने के लिए,
मृत व्यक्तियों की प्रविष्टियां हटाने के लिए,
युवाओं (18+) को आसानी से जोड़ने के लिए,
पते, उम्र और पहचान संबंधी त्रुटियां सुधारने के लिए,
चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए!
मुख्य कदम
घर-घर सत्यापन (Door-To-Door Verification),
BLO की विशेष तैनाती,
फॉर्म 6, 7, 8, 8A के माध्यम से सुधार,
ड्राफ्ट और फाइनल रोल का प्रकाशन,
राजनीतिक दलों को निरीक्षण का अवसर,
कॉलेज/गांव/शहरी बस्तियों में पंजीकरण अभियान!
SIR के तहत क्या बदलाव आएंगे?
मतदाता सूची अधिक सटीक और साफ होगी,
फर्जी या डुप्लिकेट मतदान की संभावना घटेगी,
नए मतदाताओं का पंजीकरण बढ़ेगा,
चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा मजबूत होगा,
विवाद और शिकायतें कम होंगी!
लोकतंत्र की मजबूती का आधार: क्यों ज़रूरी है ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न’ SIR!
मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे अहम दस्तावेज़ है। चुनाव कितने भी शांतिपूर्ण हों, बूथों पर कितनी भी सुरक्षा तैनात हो, यदि मतदाता सूची त्रुटिहीन नहीं है, तो चुनावी प्रक्रिया की पूरी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ जाती है। यही कारण है कि चुनाव आयोग ने Special Intensive Revision (SIR) को एक बड़े अभियान के रूप में शुरू किया है। यह कदम केवल तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है।बीते वर्षों में मतदाता सूची से जुड़ी कमियां बार-बार सामने आती रही हैं, कई मृत व्यक्तियों के नाम, एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग पते, और शहरी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते प्रवास के कारण बेमेल डाटा! दूसरी ओर, 18 वर्ष पूरे कर चुके लाखों युवाओं का नाम जुड़ने में देरी होना हमारा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक नुकसान है। ऐसे में SIR की ज़रूरत केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि नैतिक भी है।
घर-घर सत्यापन पंजीकरण अभियान-SIR
इस बार की प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने घर-घर सत्यापन, कॉलेजों में पंजीकरण अभियान, और बूथ स्तर अधिकारियों की विशेष तैनाती जैसे कदम उठाए हैं। ये प्रयास मतदाता सूची को डिजिटल और भौतिक दोनों स्तरों पर सटीक बनाने में सहायक होंगे। राजनीतिक दलों को सूची की जांच का अवसर देकर आयोग ने पारदर्शिता को और मजबूत किया है।
पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए नागरिक सहयोग आवश्यक
लेकिन SIR की इस पूरी प्रक्रिया की सफलता तभी सुनिश्चित होगी जब नागरिक भी सक्रिय भागीदारी निभाएं। अपने नाम की जांच करें, त्रुटियां पाएं तो सुधार करवाएं, और यह सुनिश्चित करें कि किसी अन्य का नाम बेवजह सूची में न बना हो। लोकतंत्र केवल सरकार या चुनाव आयोग का दायित्व नहीं, यह जनता और संस्थाओं के बीच साझा ज़िम्मेदारी का मॉडल है।
पारदर्शी चुनाव-स्वस्थ लोकतंत्र
आज जब चुनावों पर अविश्वास फैलाने वाली आवाज़ें बढ़ रही हैं, SIR जैसी पहलें उस भरोसे को फिर से स्थापित करती हैं कि देश की चुनावी मशीनरी अभी भी सजग, उत्तरदायी और सुधार की इच्छाशक्ति से भरी हुई है। मतदाता सूची जितनी स्वच्छ होगी, लोकतंत्र उतना ही मज़बूत होगा और SIR इसी स्वच्छता का सबसे महत्वपूर्ण औज़ार है। यह आवश्यक है कि इस प्रक्रिया को केवल एक औपचारिकता न समझा जाए। SIR एक संदेश है कि भारत का चुनाव आयोग बदलते समय के साथ खुद को अपडेट कर रहा है, और यह भी कि लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए नियमित सफाई और जांच उतनी ही जरूरी है जितनी चुनाव के दिन मतदान।
अन्ततः एक सटीक मतदाता सूची से केवल एक चुनाव नहीं सुधरता, बल्कि भविष्य की हर सरकार की वैधता मजबूत होती है। यही SIR की असली ताकत है और यही कारण है कि यह अभियान सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादा का उत्सव माना जाना चाहिए।
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