मुंबई का सायन अस्पताल और डॉ. निरंजन चव्हाण 12 दिसंबर 2012 का दिन कभी नहीं भूल पाएंगे। इसी दिन, बिल्कुल 12 बजे, 12 मिनट और 12 सेकंड पर, एक ऐसी डिलीवरी हुई जिसने न सिर्फ अस्पताल बल्कि वहां मौजूद मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए भी इसे यादगार बना दिया। आज यही बच्चा मास्टर आनंद सहानी 13 साल का हो गया है। सायन अस्पताल में सी-सेक्शन द्वारा आनंद के जन्म की ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे डॉ. निरंजन चव्हाण, जो उस समय प्रोफेसर और यूनिट चीफ थे। डिलीवरी भी एकदम विशेष थी, तारीख 12-12-12, समय ठीक 12:12:12, और डिलीवरी हुई लेबर वार्ड 12 में। ऐसा संयोग शायद ही कभी दोबारा देखने को मिले।
ऑपरेशन थिएटर में 20–25 MBBS छात्र, मोबाइल कैमरे ऑन
उस समय मेडिकल कॉलेज का बैच प्रशिक्षण के लिए OT में मौजूद था। करीब 20–25 MBBS छात्र इस अनोखे पल के गवाह बने। OT में मौजूद डॉक्टरों और छात्रों के लिए यह क्षण किसी उत्सव से कम नहीं था। मेडिकल क्षेत्र में आमतौर पर तनाव और आपात स्थिति का माहौल होता है, लेकिन यह क्षण बेहद खुशी और रोमांच लेकर आया।
परिवार की संघर्ष भरी कहानी
आनंद के पिता अजेंद्र प्रसाद सहानी मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव हैं, जबकि मां ममता सहानी गृहिणी हैं। यह परिवार पहले भी दो बार मां-बाप बनने का सुख देख चुका था, लेकिन किस्मत ने दोनों बच्चों को उनसे छीन लिया। दोनों बच्चों की मृत्यु के बाद यह तीसरा जन्म उनके लिए उम्मीद का भी जन्म था। इन दुखों के बाद आनंद का अनोखा जन्म उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। परिवार आज भी बताता है कि 12-12-12 का पल उन्हें भगवान का आशीर्वाद लगता है।
अब 7वीं क्लास में पढ़ रहा है आनंद
आज आनंद 7वीं कक्षा में पढ़ रहा है। परिवार बताता है कि वह पढ़ाई में तेज है, और जन्म से जुड़ी यह अनोखी कहानी आज भी हर किसी को आकर्षित करती है। स्कूल में भी उसका 12-12-12 बेबी वाला किस्सा अक्सर सुर्खियों में रहता है।
डॉक्टरों और अस्पताल के लिए भी खास
Unit Chief & Professor in the Dept. of Obstetrics & Gynaecology, Sion Hospital, Mumbai के Dr. Niranjan Chavan आज भी इस डिलीवरी के बारे में बात करते हैं। The CSR Journal से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि इतना सटीक टाइमिंग, इतना बड़ा संयोग, और इतनी खुशी का माहौल शायद ही कभी देखने को मिलता है। परिवार का मानना है कि आनंद सिर्फ नाम से नहीं, बल्कि अपने जन्म से ही खुशियां लेकर आया है। 13 साल बाद भी यह कहानी उतनी ही नई और यादगार लगती है। यह सिर्फ एक बच्चे का जन्म नहीं, बल्कि किस्मत और विज्ञान के संगम का एक अनोखा पल था।
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