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May 23, 2025

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के दरवाजे विदेशी छात्रों के लिए बंद, ट्रम्प ने फिर बढ़ाया टेंशन

Harvard University: दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हार्वर्ड को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका की मशहूर और दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित Harvard University को बड़ा झटका लगा है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड का SEVP (स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम) सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया है, जिससे अब यह यूनिवर्सिटी नए विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकेगी। इतना ही नहीं अब पहले से पढ़ रहे विदेशी छात्रों का भी अमेरिका में भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए Harvard University की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की स्वतंत्रता रद्द कर दी है। फिलहाल यहां करीब 7 हजार विदेशी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जो यूनिवर्सिटी के कुल छात्रों का करीब 27 प्रतिशत हैं। यहां 778 के करीब भारतीय छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिर दिखाए तेवर

Harvard University: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता में आए हैं, तब से हर क्षेत्र में कुछ न कुछ बदलाव हो ही रहे हैं और अब तो ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के एडमिशन पर ही रोक लगा दी है। यानी अब इस यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों का एडमिशन नहीं सकेगा। बीते गुरुवार को लिए गए ट्रंप प्रशासन के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) के इस फैसले का असर लगभग 6,800 विदेशी छात्रों पर पड़ेगा, जो इस समय Harvard University में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें भारत के भी 788 छात्र हैं। शैक्षणिक वर्ष 2024-2025 के दौरान हार्वर्ड विश्वविद्यालय में कुल 6,793 विदेशी छात्र थे, जो यहां पढ़ने वाले कुल छात्रों का लगभग 27 प्रतिशत हैं।
Harvard University: होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि हार्वर्ड ने यहूदी-विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकामी दिखाई है, साथ ही उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंधों पर भी सवाल उठाए हैं। नोएम ने कहा कि विदेशी छात्रों को एडमिशन देना किसी यूनिवर्सिटी का अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है, जिसे जब जरूरत हो, वापस लिया जा सकता है।
SEVP सर्टिफिकेशन अमेरिका की एक सरकारी व्यवस्था है, जो यह तय करती है कि विदेशी छात्र सही वीजा के साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं या नहीं। इस सर्टिफिकेशन के बिना, विदेशी छात्रों को F-1 या J-1 वीजा पर हार्वर्ड में पढ़ने की अनुमति नहीं रहेगी। ऐसे में पहले से नामांकित छात्रों को या तो किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करना होगा या फिर उन्हें अपने देश लौटना पड़ सकता है।

ट्रंप की कार्रवाई को Harvard ने बताया अवैध

Harvard University: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस कार्रवाई को पूरी तरह अवैध और राजनीति से प्रेरित बताया है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने कहा कि दुनिया भर से आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्र हार्वर्ड और अमेरिका दोनों को समृद्ध बनाते हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल हार्वर्ड के शिक्षण और शोध कार्यों को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी ठेस पहुंचाता है। यूनिवर्सिटी ने यह भी साफ किया है कि वह इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देगी। कुछ समय पहले भी एक फेडरल जज ने ट्रंप प्रशासन को विदेशी छात्रों की कानूनी स्थिति खत्म करने से रोका था, जब तक कि अदालत में एक मुकदमा चल रहा है।
बता दें कि ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड के बीच यह तनाव कोई नया नहीं है। अप्रैल में प्रशासन ने हार्वर्ड की सरकारी ग्रांट को फ्रीज कर दिया था और 60 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि भी रोक दी थी। इसके अलावा, ट्रंप ने यह भी धमकी दी थी कि यूनिवर्सिटी की टैक्स-फ्री स्थिति को भी खत्म किया जा सकता है।

अमेरिकी सरकार ने क्यों रद्द की एडमिशन की पात्रता

Harvard University: दरअसल, पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी सरकार और Harvard University के बीच विदेशी छात्रों से जुड़े रिकॉर्ड को लेकर तनातनी चल रही है। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने पिछले महीने ये सख्त चेतावनी दी थी कि अगर यूनिवर्सिटी ने 30 अप्रैल तक विदेशी छात्रों के अवैध और हिंसक मामलों का रिकॉर्ड नहीं दिया, तो उनका एसईवीपी (SEVP) यानी स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया जाएगा। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने विदेशी छात्रों का रिकॉर्ड दिया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन उससे संतुष्ट नहीं दिखा।

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