ब्रिटेन, यूरोप और जापान के केंद्रीय बैंकों के अहम ब्याज दर फैसलों से पहले वैश्विक मुद्रा बाजार में हलचल तेज हो गई है, सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने से अमेरिकी डॉलर मजबूत बना हुआ है, महंगाई में अप्रत्याशित गिरावट के बाद पाउंड पर दबाव है, जबकि बैंक ऑफ जापान की संभावित ऐतिहासिक दर बढ़ोतरी को लेकर येन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
ब्रिटेन में महंगाई की नरमी, जापान में ब्याज दर बढ़ोतरी की संभावना, यूरोप की सुस्त अर्थव्यवस्था
दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों, ब्रिटेन, यूरोप और जापान के अहम मौद्रिक नीति फैसलों से पहले वैश्विक विदेशी मुद्रा बाजार में अनिश्चितता का माहौल गहरा गया है। इसी बीच अमेरिकी डॉलर गुरुवार को अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मुद्राओं के मुकाबले व्यापक रूप से मजबूत बना रहा। निवेशक जोखिम भरे सौदों से दूरी बनाते हुए डॉलर जैसी सुरक्षित मुद्रा की ओर झुकते दिखाई दिए। डॉलर मजबूत रहने की प्रमुख वजहें कुछ ऐसी रहीं।
1. सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग- वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता, धीमी आर्थिक वृद्धि और ब्याज दरों के भविष्य को लेकर भ्रम के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्प तलाश रहे हैं। ऐसे समय में अमेरिकी डॉलर पारंपरिक रूप से “सेफ हेवन” माना जाता है, जिससे इसकी मांग बढ़ गई है।
2. केंद्रीय बैंकों के फैसलों से पहले पोजिशनिंग– ब्रिटेन, यूरोप और जापान में मौद्रिक नीति को लेकर बड़े फैसले अपेक्षित हैं। निवेशक इन फैसलों से पहले अपनी पोजिशन सुरक्षित करने के लिए डॉलर में निवेश बढ़ा रहे हैं, जिससे डॉलर इंडेक्स को सहारा मिला है।
3. अमेरिकी अर्थव्यवस्था की तुलनात्मक मजबूती– हालांकि अमेरिका में भी ब्याज दर कटौती को लेकर चर्चा है, लेकिन अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अमेरिकी अर्थव्यवस्था अधिक स्थिर नजर आ रही है। रोजगार बाजार और उपभोक्ता खर्च में मजबूती के संकेत डॉलर के पक्ष में जा रहे हैं।
ब्रिटेन: महंगाई में गिरावट और पाउंड पर दबाव
ब्रिटेन से आए ताजा आंकड़ों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में अनुमान से अधिक गिरावट दर्ज की गई। इसका सीधा असर पाउंड पर पड़ा और वह डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गया। वजहें-
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महंगाई में नरमी से संकेत मिलता है कि कीमतों पर दबाव कम हो रहा है।
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इससे बैंक ऑफ इंग्लैंड पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ता है।
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निवेशकों को आशंका है कि दर कटौती से पाउंड पर रिटर्न घटेगा।
नतीजा– पाउंड की मांग में कमी, विदेशी निवेशकों का ब्रिटिश संपत्तियों से अस्थायी दूरी बनाना, और आयात सस्ता हो सकता है, लेकिन निर्यातकों को सीमित लाभ के साथ !
जापान: ऐतिहासिक मोड़ पर बैंक ऑफ जापान
जापानी येन ने पिछले सत्र की तुलना में कुछ मजबूती जरूर दिखाई, लेकिन कुल मिलाकर बाजार सतर्क बना रहा। बैंक ऑफ जापान की दो-दिवसीय बैठक से बड़ी उम्मीदें जुड़ी हैं। वजह-
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जापान में लंबे समय बाद महंगाई स्थिर रूप से लक्ष्य के करीब बनी हुई है।
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मजदूरी में बढ़ोतरी और घरेलू मांग में सुधार के संकेत!
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अत्यधिक ढीली मौद्रिक नीति से बाहर निकलने की जरूरत!
नतीजे:
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यदि ब्याज दर बढ़ती है तो येन में मजबूती आ सकती है।
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जापानी बांड यील्ड बढ़ सकती है।
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वैश्विक बाजारों में पूंजी प्रवाह की दिशा बदल सकती है, खासकर एशियाई बाजारों में।
यूरोप: सुस्ती और नीति को लेकर दुविधा
यूरोप में आर्थिक गतिविधियां अपेक्षाकृत कमजोर बनी हुई हैं। ऊर्जा लागत, कमजोर उपभोक्ता मांग और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) की चुनौती बढ़ा दी है। वजहें-
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महंगाई में गिरावट, लेकिन आर्थिक वृद्धि कमजोर,
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ऊंची ब्याज दरों से निवेश प्रभावित,
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नीति में ढील की संभावनाएं!
नतीजे:
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यूरो पर दबाव,
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डॉलर के मुकाबले यूरो की कमजोरी,
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यूरोपीय शेयर बाजारों में सीमित उतार-चढ़ाव!
वैश्विक असर और आगे की राह
इन सभी घटनाक्रमों का संयुक्त असर वैश्विक मुद्रा बाजार पर साफ दिख रहा है।
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डॉलर मजबूत बना हुआ है।
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पाउंड और यूरो दबाव में हैं।
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येन में अस्थिरता बनी हुई है! विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों में केंद्रीय बैंकों के फैसले न केवल मुद्रा बाजार, बल्कि शेयर बाजार, बॉन्ड यील्ड और वैश्विक निवेश धाराओं की दिशा भी तय करेंगे। जब तक नीति को लेकर स्पष्टता नहीं आती, तब तक डॉलर को मजबूती मिलने की संभावना बनी रहेगी।
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