DGCA का बड़ा फैसला, 48 घंटे के भीतर टिकट कैंसिल करने पर कोई शुल्क नहीं, रिफंड नियम हुए पारदर्शी ! भारत की नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हवाई यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए टिकट रद्दीकरण नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए प्रस्तावित नियमों के अनुसार, यदि कोई यात्री बुकिंग के 48 घंटे के भीतर अपनी टिकट रद्द करता है तो उस पर कोई भी Cancellation Charge नहीं लगेगा
फैसला जो बदल सकता है भारत का हवाई यात्रा अनुभव
Flight Ticket Cancellation Charges-फ्लाइट टिकट कैंसिलेशन के मौजूदा नियमों को लेकर यात्रियों की शिकायतें लंबे समय से बढ़ रही थीं। कई बार रिफंड में हफ्तों की देरी होती है या चार्ज इतना ज्यादा होता है कि कैंसिल करना ही घाटे का सौदा बन जाता है। DGCA के इस नए प्रस्ताव से यह परेशानी काफी हद तक खत्म हो जाएगी। भारत की नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हवाई यात्रियों को बड़ी राहत दी है। नए प्रस्तावित नियमों के अनुसार, अगर कोई यात्री टिकट बुक करने के 48 घंटे के भीतर अपनी यात्रा रद्द या संशोधित करता है, तो उस पर कोई Cancellation Charges नहीं लगेंगे। यह नियम घरेलू उड़ानों के लिए तब लागू होगा जब यात्रा की तारीख कम से कम 5 दिन बाद की हो, और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में 15 दिन का अंतर हो।
यात्रियों के लिए राहत, उपभोक्ता अधिकार हुए मजबूत
पिछले कुछ वर्षों में यात्रियों को टिकट रद्दीकरण के समय भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। कई बार 5,000 रुपये के टिकट पर 3,000 रुपये से अधिक तक Cancellation Charges काट लिए जाते थे। अब DGCA का यह प्रस्ताव यात्रियों को शुल्क-मुक्त रद्दीकरण का अवसर देता है। इसके अलावा, DGCA ने यह भी स्पष्ट किया है कि
टिकट रद्द करने पर सभी टैक्स और सर्विस चार्ज यात्रियों को लौटाए जाएंगे,
एयरलाइंस को अपने रद्दीकरण नियम और शुल्क पहले से स्पष्ट दिखाने होंगे,
क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर 7 दिनों के भीतर रिफंड अनिवार्य होगा।
यह कदम उपभोक्ता हितों को सशक्त बनाता है और एयरलाइनों की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
एजेंट या पोर्टल से टिकट खरीदा? फिर भी एयरलाइंस देगी रिफंड
अक्सर लोग MakeMyTrip, Yatra या किसी ट्रैवल एजेंट के जरिए टिकट बुक करते हैं और कैंसिलेशन के बाद रिफंड में देरी होती है। DGCA के नए प्रस्ताव में इस परेशानी को भी दूर करने की बात कही गई है। अब अगर आपने टिकट किसी एजेंट या पोर्टल से खरीदी है, तब भी रिफंड की जिम्मेदारी सीधे एयरलाइन की होगी। DGCA ने साफ कहा है कि एजेंट या ट्रैवल पोर्टल एयरलाइंस के ऑथराइज्ड प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए अगर टिकट कैंसिल होता है तो पैसे लौटाने की जिम्मेदारी एयरलाइन कंपनी की होगी, न कि एजेंट की !
21 दिनों में रिफंड पूरा करने का नियम
DGCA ने एयरलाइंस को यह भी निर्देश दिया है कि टिकट कैंसिल होने के बाद रिफंड की प्रक्रिया 21 वर्किंग डेज के भीतर पूरी करनी होगी। यानी अब महीनों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी।
मेडिकल इमरजेंसी में रिफंड या क्रेडिट शेल का विकल्प
नए नियम के तहत अगर किसी यात्री को मेडिकल इमरजेंसी की वजह से यात्रा कैंसिल करनी पड़े, तो एयरलाइंस उसे पूरा पैसा वापस कर सकती हैं या फिर क्रेडिट शेल (Credit Shell) का विकल्प दे सकती हैं, जिसे बाद में उपयोग किया जा सकेगा।
टिकट में नाम की गलती सुधारने पर नहीं लगेगा चार्ज
अगर किसी यात्री ने टिकट बुक करते समय नाम की स्पेलिंग में गलती कर दी और 24 घंटे के अंदर एयरलाइन को बता दिया, तो उसे भी कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा। यह सुविधा तब मिलेगी जब टिकट सीधे एयरलाइन की वेबसाइट से बुक किया गया हो।
एयरलाइनों के लिए नई चिंता: रेवेन्यू पर असर
जहां यात्रियों के लिए यह राहत की खबर है, वहीं एयरलाइनों के लिए यह प्रस्ताव वित्तीय चुनौती साबित हो सकता है। टिकट Cancellation Charges एयरलाइनों की सहायक आय (Ancillary Revenue) का बड़ा हिस्सा होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह नियम लागू हुआ, तो एयरलाइनों को टिकट प्राइसिंग और रिफंड नीतियों में बड़ा बदलाव करना पड़ेगा। इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि, “DGCA के इस कदम से शॉर्ट-नोटिस टिकट बुकिंग्स और रद्दीकरण बढ़ सकते हैं। इससे इन्वेंटरी मैनेजमेंट और प्राइसिंग स्ट्रेटेजी प्रभावित होगी।”
उद्योग पर असर- यात्रियों की जीत, पर संतुलन जरूरी
1. यात्रियों के लिए: मानसिक और आर्थिक राहत, अब टिकट बुक करते समय “रद्द होने का डर” कम होगा।
2. एयरलाइनों के लिए: नीतिगत परिवर्तन और संभावित राजस्व हानि।
3. ट्रैवल एजेंसियों के लिए: डिजिटल और थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म्स को भी रिफंड प्रक्रिया में पारदर्शिता रखनी होगी।
विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला हवाई यात्रा को अधिक “उपभोक्ता-हितैषी” बनाएगा, पर साथ ही एयरलाइन बिज़नेस मॉडल को पुनर्गठित करने की आवश्यकता भी बढ़ाएगा।
क्या यह बदलाव वास्तव में लागू होगा?
फिलहाल DGCA ने इसे एक ड्राफ्ट प्रस्ताव के रूप में जारी किया है। एयरलाइनों, ट्रैवल एजेंट्स और उपभोक्ता संगठनों से प्रतिक्रिया लेने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि DGCA के सूत्रों के अनुसार, नियम 2026 की शुरुआत तक लागू किए जा सकते हैं।
इंडस्ट्री की बदलेगी दिशा
यह नियम अगर लागू होता है तो भारत में हवाई यात्रा का चेहरा बदल सकता है। अब उपभोक्ता के पास “बुक करो, बदलो या रद्द करो- बिना डर” जैसी स्वतंत्रता होगी। यह पारदर्शी व्यवस्था न केवल यात्रियों का भरोसा बढ़ाएगी बल्कि यात्रा उद्योग में जिम्मेदारी और संतुलन भी लाएगी। DGCA का यह कदम उस दिशा में है जहां ‘यात्रा सुविधा’ और ‘उपभोक्ता अ धिकार’ एक साथ चलें। यद्यपि एयरलाइनों को इस परिवर्तन से प्रारंभिक झटका लग सकता है, परंतु दीर्घकाल में यह भारतीय विमानन क्षेत्र को अधिक विश्वसनीय और व्यवस्थित बनाएगा।
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