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December 5, 2025

इंडिगो संकट पर DGCA का आश्वासन: उड़ानों के रद्दीकरण और एयरपोर्ट हंगामे की स्थिति जल्द सामान्य होने का दावा

The CSR Journal Magazine

 

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन Indigo में चल रहे परिचालन संकट के बीच DGCA ने आश्वासन दिया है कि हालात पर काबू पाया जाएगा और यात्रियों की परेशानियों को जल्द खत्म कर दिया जाएगा। वहीं, आइए समझते हैं कि कैसे शुरू हुआ ये संकट, किन-किन हवाई अड्डों पर हालात बिगड़े, और क्या है इससे हुए लाखों/करोड़ों रुपये के नागरिक व आर्थिक नुकसान।

DGCA का बयान- IndiGo संकट जल्द समाप्त होगा: राहत की उम्मीद

DGCA ने 5 दिसंबर 2025 को घोषणा की कि उसने IndiGo पर  लागू हुए नए पायलट-ड्यूटी नियम (Flight Duty Time Limitations- FDTL) के उन प्रावधानों को अस्थायी रूप से “रद्द / पाबंदियों से मुक्ति” दे दी है, ताकि आने वाले हफ्तों में उड़ानों को पुनर्स्थापित करना आसान हो सके।  DGCA ने IndiGo को निर्देश दिया है कि वह जल्द से जल्द एक सही रोस्टर प्लान (Crew Scheduling + Back-Up Crew + विमान Induction + प्रशिक्षण) बनाए और 10 फरवरी 2026 तक पूरी सेवा सामान्य करने का लक्ष्य रखें।  साथ ही DGCA ने पूरे विमानन क्षेत्र (पायलट एसोसिएशन्स, क्रू, एयरलाइन्स) से अपील की है कि वे मौजूदा हंगामे के बीच पूरी सहयोगात्मकता दिखाएं ताकि देरी, रद्दीकरण और यात्रियों की असुविधा न्यूनतम हो सके।
DGCA ने यह स्पष्ट किया कि यह राहत पैकेज सुरक्षा को प्रभावित किए बिना दी जा रही है, यानी पायलट/क्रू की थकान या सुरक्षा मानकों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। DGCA ने IndiGo से ये भी कहा है कि वे अपनी अगली उड़ानों के लिए पर्याप्त क्रू व बैक-अप सिस्टम सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में इसी तरह का संकट दोबारा न आए।

संकट की शुरुआत- नया नियम और तैयारियों की कमी

नवंबर 2025 के अंत में DGCA ने क्रू (पायलट और अन्य कर्मचारी) के लिए नए “Flight Duty Time Limitations (FDTL)” नियम लागू किए। इन नियमों के अनुसार क्रू मेंबर्स को पर्याप्त आराम दिया जाना आवश्यक है, रात्री उड़ानों और काम करने के घंटों पर पाबंदी आई। कई अन्य एयरलाइन्स ने इन तैयारियों को पहले से कर लिया था, लेकिन IndiGo, जो देश में उड़ानों का एक बड़ा हिस्सा चलाती है, ने पर्याप्त अतिरिक्त पायलट या क्रू की भर्ती/शेड्यूलिंग नहीं की। इसका नतीजा हुआ कि नियमित शेड्यूल पर उड़ानों को चलाना मुश्किल हो गया। इसके अलावा, मौसम, एयर-ट्रैफिक जाम, टेक्निकल दिक्कतें और बढ़ते परिचालन बोझ ने मिलकर समस्या को और गहरा कर दिया। इस तरह नए नियम + तैयारी की कमी + ऑपरेशनल चुनौतियों का तिकड़ा मिलकर संकट की शुरुआत बनी।

रद्द उड़ानों के आंकड़े और एयरपोर्ट-वार स्थिति

4 दिसंबर 2025 को, IndiGo ने देश भर में लगभग 550 उड़ानें रद्द कीं। उसी दिन प्रमुख एयरपोर्ट्स में रद्द उड़ानों का विवरण इस प्रकार था-
Delhi Airport- लगभग 95–172 उड़ानें रद्द।
Mumbai Airport- करीब 85–118 उड़ानें रद्द।
Kempegowda International Airport (बेंगलुरु)- लगभग 73–100 उड़ानें रद्द।
Rajiv Gandhi International Airport (हैदराबाद)– लगभग 70–75 उड़ानें प्रभावित।
इसके अलावा, अन्य छोटे और माध्यमिक एयरपोर्ट्स, जैसे कि Goa International Airport, Chennai International Airport आदि पर भी रद्द Flights देखी गईं।
5 दिसंबर 2025 (शुक्रवार) तक स्थिति और बिगड़ी। आज एक दिन में अकेले लगभग 500 उड़ानें रद्द की गई।  दिल्ली से उस दिन सभी घरेलू उड़ानें (Domestic Departures) रद्द कर दी गई थीं। मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद समेत अन्य एयरपोर्ट्स पर भी भारी रद्द-उड़ान और देरी जारी रही। पिछले एक महीने (नवंबर–दिसंबर) में सरकारी आंकड़ों के अनुसार IndiGo ने कुल करीब 1,232 उड़ानें रद्द की थीं।

एयरपोर्ट्स पर हंगामा: यात्रियों की शामत

देश भर के प्रमुख हवाई अड्डे, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता सहित पर यात्रियों की कतारे लगीं, कई-कई घंटे इंतजार, अनिश्चितता और सूचना का अभाव हुआ। विशेष रूप से दिल्ली और चेन्नई हवाई अड्डों से Indigo की सभी घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गईं। यात्रियों का हाल ऐसा था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती साझा की।

कई ने 12 घंटे तक का इंतजार, जानकारी का अभाव, सेवा-कर्मियों का न होना, और अदालत के खाली व्योम जैसे हालात बताए। परिस्थिति इतनी खराब हो गई कि यात्रियों को बांह तले सामान लेकर, फ्लाइट-काउंटरों पर घंटों खड़े रहना पड़ा, कईयों को अगली यात्रा के लिए महंगे टिकट लेने पड़े, और कुछ को योजनाबद्ध यात्रा पूरी तरह ही छोड़नी पड़ी।

आर्थिक नुकसान

Indiga रोज़ाना हजारों उड़ानें संचालित करती है। अचानक इतनी बड़ी संख्या में रद्दीकरण से सिर्फ एयरलाइन ही नहीं, यात्रियों, हवाई अड्डों, टैक्सी/रेल नेटवर्क और अन्य प्रदाताओं को भी भारी आर्थिक झटका लगा। यात्रियों ने महंगे इमरजेंसी टिकट लिए, होटल, टैक्सी एवं अन्य सेवाओं में खर्च बढ़ा! इन सबका भार सीधे या परोक्ष रूप से उठाया गया। एयरलाइन का भरोसा और ब्रांड वैल्यू गिरा, स्टॉक मार्केट में इसके शेयर गिरावट में आए। साथ ही, हवाई अड्डों पर भी सुरक्षा, लॉजिस्टिक, बैगेज हैंडलिंग आदि पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। इस अस्थिरता का आर्थिक और परिचालन असर लंबी अवधि तक देखने को मिल सकता है।

DGCA का हस्तक्षेप- राहत की किरण

DGCA ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एयरलाइन का आकलन शुरू किया और IndiGo से विस्तृत रोडमैप मांगा, जिसमें क्रू भर्ती, ट्रेनिंग, शेड्यूलिंग, विमान/क्रू बैकअप, और नव-नियमों (FDTL) के तहत ऑपरेशन सुचारू करने की रणनीति शामिल हो। DGCA ने यह भी निर्देश दिया कि उड़ान भाड़ों (फेयर) को अनियंत्रित रूप से न बढ़ाया जाए, ताकि यात्रियों पर आर्थिक बोझ न बढ़े।  IndiGo ने जवाब में कहा है कि 8 दिसंबर से शेड्यूल में समायोजन करेंगे, और संभवतः पूरा संचालन 10 फरवरी 2026 तक पूर्ववत ठीक हो जाएगा। DGCA द्वारा पायलट ड्यूटी नियमों (FDTL) में कुछ बदलाव या अस्थायी राहत की संभावना पर विचार किया जा रहा है ताकि बेहद दबाव की इस अवधि को सुचारू बनाया जा सके।
DGCA का यह कहना है कि, “हां, परिस्थिति बिगड़ी है, लेकिन हम कदम उठा रहे हैं। जल्द राहत मिलेगी, यात्रियों को फिर से भरोसेमंद सेवा मिलेगी।”

संकट सिर्फ एक एयरलाइन या कुछ हवाई अड्डों का नहीं- पूरे देश पर असर

चूंकि IndiGo भारत की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन है और देश के अधिकांश घरेलू मार्गों पर उसकी पकड़ है, इसलिए उसकी विफलता का असर पूरे देश के हवाई यातायात, यात्रियों, व्‍यवसायों और आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा है। यदि इसको समय पर संभाला न गया तो यात्रियों का भरोसा टूट सकता है, अन्य एयरलाइन्स पर दबाव बढ़ सकता है, और भारत का एयर-हब का स्थान दांव पर लग सकता है। DGCA की सक्रिय भूमिका, स्पष्ट निर्देश, और IndiGo द्वारा भरोसा दिलाना इस समय स्थिति को स्थिर करने के लिए बेहद ज़रूरी है।
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