दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा Child Trafficking Gang दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में सक्रिय था। वे नवजात शिशुओं को चुरा लेते थे या खरीद लेते थे और ऊंची कीमत पर निसंतान दंपतियों को बेच देते थे। ये अक्सर मजबूर हालात से जूझ रहे परिवारों का शोषण करते थे।
दिल्ली पुलिस ने पकड़ा Child Trafficking गैंग
एक बड़ी कार्रवाई में दिल्ली पुलिस ने अंतर्राज्यीय बाल तस्करी गिरोह Child Trafficking Gang का भंडाफोड़ किया। नवजात बच्चों की ख़रीद-फ़रोख़्त में लिप्त गिरोह का पर्दाफाश जाल बिछाकर किया गया। इस रैकेट से जुड़े 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और एक वर्ष से कम उम्र के 6 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि यह रैकेट लंबे समय से सक्रिय है और इसका एक संगठित व व्यापक नेटवर्क है।
गुमशुदगी के 48 घंटों के भीतर पुलिस ने पाई सफलता
अधिकारियों के अनुसार, Child Trafficking गिरोह दिल्ली और आसपास के राज्यों में सक्रिय था और गरीब परिवारों व अस्पतालों को निशाना बनाता था। यह समूह नवजात शिशुओं को चुरा लेता था या ख़रीद लेता था और अक्सर मजबूर हालात का सामना कर रहे परिवारों का शोषण करता था। दिल्ली पुलिस के साउथ-ईस्ट जिले के स्पेशल स्टाफ की टीम ने Child Trafficking के एक बड़े अंतरराज्यीय गैंग का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गैंग के 10 लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही इस गैंग के कब्जे से एक साल से कम उम्र के 6 बच्चों को छुड़ाया है। इनमें एक छह महीने का बच्चा भी शामिल है, जिसे महज 48 घंटों में सकुशल बरामद कर लिया गया।
पुलिस को मिली खुफिया खबर
पुलिस को इस गिरोह की जानकारी एक गुप्त सूचना के आधार पर मिली थी। जानकारी मिलने के बाद Railway Police Unit और Crime Branch ने संयुक्त रूप से कार्रवाई शुरू कर दी। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (रेलवे) K P S Malhotra ने बताया हम इस गैंग के पीछे पिछले साल अक्टूबर से ही पड़े थे। ये गैंग पहली बार हमारे संज्ञान में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक महिला के ढाई साल के बेटे के अपहरण की शिकायत के बाद आया था।
फरीदाबाद तक गैंग की पहुंच
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और फोन ट्रैकिंग के जरिए एक संदिग्ध महिला को ट्रेस किया। वह बच्चे को ऑटो-रिक्शा में लेकर फरीदाबाद-बदरपुर टोल गेट के पास गई थी। इसके बाद छापेमारी में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसमें एक स्वयंभू डॉक्टर और एक वकील का क्लर्क शामिल थे। ये जाली डॉक्यूमेंट बनाने का काम करते थे। बाद में छह अन्य संदिग्धों को दिल्ली और पड़ोसी राज्यों से पकड़ा गया।
लाखों में हो रहा था सौदा
पुलिस ने बताया कि हमारी जांच और गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के बाद से खुलासा हुआ कि ये गैंग बच्चों को निःसंतान दंपतियों को गोद लेने के नाम पर 5 से 15 लाख रुपये में बेचता था। गिरोह के सदस्य कोडेड भाषा और बार-बार फोन नंबर बदलकर पुलिस से बचते रहे हैं। पुलिस के गिरफ्त में आया सूरज नाम का शख्स तस्करों और खरीदारों के बीच दलाल का काम करता था। पुलिस ने लोनी, गाजियाबाद और पहाड़गंज, दिल्ली से दो बच्चों को बचाया, जबकि चार अन्य बच्चों को राजस्थान और गुजरात से रेस्क्यू किया गया। यह नेटवर्क 2023 से सक्रिय था और अब तक 35 से अधिक बच्चों की तस्करी का संदेह है।
दिल्ली में Child Trafficking के 11,869 मामले दर्ज
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले तीन सालों में दिल्ली में बच्चों के अपहरण के 11,869 मामले सामने आए हैं।
2024 में 3,948 मामले
2023 में 3,974 मामले
2022 में 3,947 मामले
डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में 18,246 बच्चे लापता हुए हैं। पुलिस ने बताया कि 80 प्रतिशत मामलों में इन बच्चों का पता लगा लिया गया और उन्हें उनके परिवारों से मिलवाया गया।
हालिया मामले में पुलिस ने पूरे नेटवर्क और Child Trafficking गैंग के व्यापक पैमाने का पता लगाने के लिए गहन जांच शुरू कर दी है।
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