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October 28, 2025

चक्रवात मॉन्था का कहर- तटीय राज्यों में अलर्ट, ओडिशा-आंध्र में तेज हवा-बारिश की चेतावनी 

The CSR Journal Magazine
बंगाल की खाड़ी में बन रहे गहरे दबाव क्षेत्र ने अब चक्रवात Montha का रूप ले लिया है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 24 घंटे में यह प्रणाली और तीव्र हो सकती है तथा ओडिशा व आंध्र प्रदेश के तटीय हिस्सों पर भारी तबाही मचा सकती है।

बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात मॉन्था ने बदला मौसम का मिज़ाज

बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात मॉन्था और अरब सागर के ऊपर बन रहे गहरे दबाव के साथ उत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों में सक्रिय होने जा रहे पश्चिमी विक्षोभ ने देश के मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है। मौसम विभाग के अनुसार आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पुडुचेरी में मॉन्था का ज्यादा असर दिखाई दे सकता है, जबकि झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, और दिल्ली-एनसीआर तक भी मौसम में बदलाव के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, यह चक्रवाती तूफान 28 अक्टूबर (मंगलवार) की शाम या रात तक आंध्र प्रदेश के तट से टकरा सकता है। इसके आंध्र प्रदेश तट पर मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच काकीनाडा के पास से गुजरने का अनुमान है। अगले चार से पांच दिनों तक देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा बारिश और तेज हवाओं की चपेट में रहेगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मॉन्था फिलहाल विशाखापट्टनम से लगभग 600 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है और पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है। इसके 30 अक्टूबर की सुबह तक ओडिशा तट से टकराने की संभावना जताई गई है।

प्रशासन ने बढ़ाई सतर्कता, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया

ओडिशा सरकार ने तटीय जिलों, गंजम, गजपति, पुरी, केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर में रेड अलर्ट घोषित किया है। अब तक 3,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित शेल्टरों में पहुंचाया गया है, जबकि 35,000 लोगों को स्थानांतरित करने की तैयारी चल रही है। गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष मेडिकल टीमें बनाई गई हैं। आंध्र प्रदेश में भी राज्य आपदा प्रबंधन बल (APSDMA) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 12 टीमें तैनात की गई हैं। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।

110 किमी/घंटा तक की तेज़ हवाएं और मूसलाधार बारिश की संभावना

मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि चक्रवात मॉन्था के कारण 110 किमी/घंटा तक की तेज़ हवाएं चल सकती हैं। कई इलाक़ों में भारी से अति-भारी वर्षा की भी संभावना जताई जा रही है। समुद्री लहरों की ऊंचाई में वृद्धि से निम्न-इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है। ओडिशा के कई जिलों में बिजली आपूर्ति काटी जा सकती है ताकि तारों और पोलों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। साथ ही, स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी की घोषणा कर दी गई है।

क्या है चक्रवात मॉन्था

चक्रवात मॉन्था एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) है जो बंगाल की खाड़ी के गर्म जल से ऊर्जा प्राप्त कर रहा है। इसका नाम थाईलैंड द्वारा प्रस्तावित किया गया है।

मॉन्था का अर्थ है “तेज़ गति से घूमने वाला भंवर”

यह इस वर्ष उत्तर-हिंद महासागर में बनने वाला चौथा प्रमुख चक्रवात है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन ने चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि की है। IMD के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. सी. मिश्रा के अनुसार, “मॉन्था का पथ और गति अभी अस्थिर है, लेकिन यह निश्चित रूप से तटीय क्षेत्रों के लिए गंभीर खतरा है। यदि यह तट से टकराता है, तो भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।”

सुरक्षा के लिए ज़रूरी निर्देश

चक्रवात मॉन्था के कहर से बचने के लिए तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समुद्र से दूर रहने की हिदायत दी गई है। साथ ही किसी भी सूचना या चेतावनी से बाख़बर रहने के लिए मोबाइल में मौसम ऐप और रेडियो अपडेट सुनते रहने की सलाह दी गई है।आवश्यक दस्तावेज़, दवाइयां, पानी और टॉर्च हमेशा साथ रखने, विद्युत उपकरण बंद रखने और छत पर या खुले में न रहने की अपील की गई है। साथ ही बच्चों और बुजुर्गों को ऊंचे सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की व्यवस्था भी की गई है।

क्यों आते हैं चक्रवाती तूफान! जानिए प्रकृति के इस भीषण चक्र का विज्ञान

हर साल अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफान भारत के तटीय इलाकों के लिए बड़ी चुनौती बन जाते हैं। लेकिन आखिर ये चक्रवात बनते कैसे हैं? क्या वजह है कि समुद्र में अचानक तेज़ हवाएं, मूसलाधार बारिश और विनाशकारी लहरें उठने लगती हैं?

समुद्र की गर्मी है सबसे बड़ी वजह

चक्रवात बनने की सबसे पहली और मुख्य शर्त है, समुद्र का तापमान! जब समुद्र की सतह का तापमान 26.5°C से ज़्यादा हो जाता है, तो वह हवा और पानी में ऊर्जा पैदा करने लगता है। यह गर्मी समुद्र के ऊपर की हवा को हल्का बनाती है, जो ऊपर उठने लगती है। जब गर्म हवा ऊपर जाती है, तो नीचे कम दबाव (Low Pressure) का क्षेत्र बनता है। आसपास की ठंडी हवा इस खाली जगह को भरने के लिए तेज़ी से अंदर आती है। यही से हवाओं का घूमना (Rotation) शुरू होता है। पृथ्वी के घूमने (Coriolis Force) की वजह से यह हवा सीधी नहीं चलती, बल्कि घूमने लगती है। यही घूमना चक्रवात का घेरा बनाता है।

बादलों का बनना और ऊर्जा का विस्फोट

ऊपर उठती गर्म हवा में मौजूद जलवाष्प ठंडी होकर बादल और वर्षा बनाती है। इस प्रक्रिया में गर्मी (Latent Heat) निकलती है, जो चक्रवात को और अधिक ताकतवर बना देती है। इसी ऊर्जा से चक्रवात की गति बढ़ती जाती है।

पृथ्वी का घूमना देता है चक्रवात को दिशा

पृथ्वी के घूमने से चक्रवात घड़ी की दिशा में या उसके विपरीत घूमता है। उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित) में चक्रवात वामावर्त (Anti-clockwise) घूमता है। वहीं दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise)दिशा में घूमता है।

कहां और कब आते हैं सबसे ज़्यादा चक्रवात

भारत के पास दो प्रमुख क्षेत्र हैं जहां चक्रवात बनते हैं। बंगाल की खाड़ी (पूर्वी तट) और अरब सागर (पश्चिमी तट)। इन क्षेत्रों में हर साल मई-जून (पूर्व मानसून) और अक्टूबर-नवंबर (उत्तर मानसून) में चक्रवात ज़्यादा बनते हैं।

जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही चक्रवातों की तीव्रता

वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग से समुद्रों का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे चक्रवातों को ज़्यादा ऊर्जा मिल रही है। इससे अब ये तूफान अधिक तेज़, अधिक लंबे समय तक चलने वाले, और अधिक विनाशकारी बनते जा रहे हैं।

चक्रवात का जीवन चक्र (Life Cycle)

विकास चरण (Formation Stage)- समुद्र पर निम्न दबाव का बनना
संगठन चरण (Mature Stage)- हवा की तेज़ी और घूर्णन का बढ़ना
तटीय टकराव (Landfall Stage)- जब चक्रवात जमीन से टकराता है
क्षीणन (Dissipation)- जमीन पर ऊर्जा की कमी से धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है

चक्रवात मॉन्था से लड़ने को तैयार भारत

चक्रवात प्रकृति की ऊर्जा का प्रदर्शन हैं। यह समुद्र की गर्मी, हवा के दबाव और पृथ्वी की गति का संयुक्त परिणाम होता है। हालांकि ये विनाशकारी होते हैं, पर समुचित चेतावनी और तैयारी से इनके नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। भारत एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की गंभीर परीक्षा से गुजरने जा रहा है। चक्रवात मॉन्था के मद्देनज़र राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने राहत-बचाव की पूरी तैयारी कर ली है, परंतु अंतिम सुरक्षा हर नागरिक की सजगता पर निर्भर करेगी। मौसम विभाग ने स्पष्ट कहा है, “सतर्क रहें, अफवाहों से बचें, और केवल आधिकारिक सूचना पर भरोसा करें।”
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