महात्मा गांधी कहते थे कि स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए। बापू के इसी बात को आदर्श मानते हुए स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से साल 2014 में की थी। बापू शांति के साथ स्वच्छता के भी पुजारी थे। यही कारण है कि 2 अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती पर राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। ऐसा नहीं है कि स्वच्छता को लेकर पहले कोई कार्यक्रम नहीं था लेकिन साल 2014 के बाद स्वच्छता मिशन सिर्फ सरकारी मिशन ना होते ये आम जनमानस का मिशन बन गया है।
स्वच्छता को लेकर हमने पिछले 7 सालों में बहुत कुछ पाया है। यह इस मिशन की बड़ी सफलता कही जा सकती है कि इसके तहत भारत में ज्यादातर गांव, ग्राम पंचायतों, जिलों व राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण भारत में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक स्वयं को खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित किया था। इसके साथ ही ये भी बताना जरुरी है कि अगर हम आज एक चॉकलेट भी खाते है तो उसका रैपर जेब में डालते है और फिर कहीं जाकर बाद में डस्टबिन में डालते है।
देश का महाभियान है स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छता एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का, या कुछ लोगों का ही काम है ऐसा नहीं है। स्वच्छता हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला महाभियान है। स्वच्छता जीवन शैली हो गयी है, स्वच्छता जीवन मंत्र हो गया है। अब स्वच्छता आदत सी हो गयी है। भारत में स्वच्छता को लेकर अगर कोई सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है तो स्वच्छ भारत मिशन और इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी और कॉरपोरेट सबसे आगे है।
स्वच्छता को लेकर जारी भारत सरकार की तमाम योजनाओं को CSR Funds से Corporates बड़े पैमाने पर मदद करती है। किसी भी परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए आर्थिक बजट की जरूरत होती है, सरकार तो इनपर तो खर्च करती है लेकिन सीएसआर के तहत कॉरपोरेट्स की मदद सरकार के लिए मजबूती प्रदान करती है। इंडियन ऑयल, कोल इंडिया, अम्बुजा सीमेंट, ईस्टर्न कोलफील्ड्स, पावर ग्रिड इंडिया जैसे कॉरपोरेट्स स्वच्छता पर CSR खर्च कर रहे है।
स्वच्छता पर इतना हुआ सीएसआर खर्च (CSR on Sanitation)
स्वच्छता, स्वच्छ भारत कोष और क्लीन गंगा फंड, ये भारत सरकार की तीन स्वच्छता को लेकर योजनाएं है और आकड़ों की मानें तो स्वच्छता पर पिछले 6 सालों में 2826 करोड़ रुपये सीएसआर के तहत कॉरपोरेट्स ने खर्च किये है। वहीं स्वच्छ भारत कोष में कॉरपोरेट्स ने Corporate Social Responsibility के तहत 1043 करोड़ रुपये दान दिए है। क्लीन गंगा फंड की बात करें तो 110 करोड़ पर खर्च किया है। सीएसआर के तहत देश के कॉरपोरेट घराने सरकार के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव की कोशिशों में जुटी है जिसका नतीजा अब दिखने लगा है।