देश में लगातार सीएसआर फंड का खर्च बढ़ता जा रहा है। देश के बड़े कारोबारी घराने पिछड़े जिलों में सीएसआर के जरिये बड़े पैमाने पर विकास के कार्य कर रहे है। लेकिन अक्सर इसमें भेदभाव भी देखने को मिलता है। देश के ये Corporates अपना CSR उन इलाकों में ज्यादा खर्च करते है जहां उनको फायदा होता है या फिर जहां उनका हित होता है या फिर उन इलाकों में सीएसआर किया जाता है जहां उनका कारोबार होता है। सीएसआर को लेकर हालही में एक चौंकाने वाली जानकारी उत्तराखंड से आयी है। एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड का पहाड़ सीएसआर नहीं चढ़ पाया। यानी कि Uttarakhand के पहाड़ी क्षेत्र को कम और मैदानी जिलों को ज्यादा Corporate Social Responsibility Fund दिया गया है। (CSR in Uttarakhand)
उत्तराखंड का पहाड़ नहीं चढ़ पाया सीएसआर
हम आपको बता दें कि पिछले आठ साल में उत्तराखंड में स्थित कारपोरेट घरानों ने 1017.95 करोड़ रुपये कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड में खर्च किए। इसमें हरिद्वार, देहरादून व ऊधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिलों पर ज्यादा खर्च हुआ। पहाड़ी इलाके सीएसआर फंड के लिए तरस गए है। ये जानकारी नियोजन विभाग के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (Centre for Public Policy and Good Governance (CPPGG) Uttarakhand) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से आयोजित एक कार्यशाला के दौरान सामने आई। सीपीपीजीजी व यूएनडीपी (United Nations Development Programme) की संयुक्त कार्यशाला में सीएसआर फंडिंग के उपयोग पर मंथन हुआ। जहां ये आकड़े सामने आये है। अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो, 2014-15 से 2021-22 के दौरान प्रदेश में खर्च हुए कारपोरेट घरानों ने 1017.95 करोड़ में से हरिद्वार जिले में 21.61 प्रतिशत, देहरादून जिले में 12.06 प्रतिशत और ऊधमसिंह नगर जिले में 4.26 प्रतिशत खर्च हुए।
Uttarakhand के मैदानी इलाकों में ज्यादा और पड़ही इलाकों में कम हुआ सीएसआर
इन जिलों में खर्च सीएसआर फंड की तुलना में पर्वतीय जिले अल्मोड़ा में 1.15, बागेश्वर में 0.15, चमोली में 2.19, चंपावत में 0.83, नैनीताल में 1.16, पौड़ी में 0.03, पिथौरागढ़ 0.91, टिहरी में 0.88 और उत्तरकाशी में 1.22 प्रतिशत धनराशि खर्च हो पाई। पर्वतीय जिलों में रुद्रप्रयाग में सबसे अधिक 4.03 प्रतिशत सीएसआर फंड खर्च हुआ। जबकि शेष 49.52 प्रतिशत राशि किस मद में खर्च हुई, इसका ब्योरा नहीं दिया गया है। (Uttarakhand News) कार्यशाला में प्रदेश में कार्यरत सभी कारपोरेट घरानों से पर्वतीय क्षेत्रों में भी अधिक सीएसआर फंड खर्च करने की अपील की गई। विशेषतौर पर उनसे ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय सरोकारों से जुड़े कार्यों पर खर्च करने की अपेक्षा की गई।