Vice President Oath Ceremony: सीपी राधाकृष्णन ने देश के 15वें उपराष्ट्रपति पद की ली शपथ। इस भव्य समारोह को राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था। शपथ समारोह में पीएम मोदी, अमित शाह समेत पूर्व उप राष्ट्रपति भी हुए शामिल!
सीपी राधाकृष्णन बने देश के 15वें उपराष्ट्रपति
Vice President Oath Ceremony: सीपी राधाकृष्णन ने आज राष्ट्रपति भवन में ली उपराष्ट्रपति पद की शपथ! राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। महाराष्ट्र के राज्यपाल से भारत के 15वें राष्ट्रपति पद तक पहुंचे राधाकृष्णन! शपथ समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए। अमित शाह और पीएम मोदी की मौजूदगी में संपन्न हुए शपथ ग्रहण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा समेत कई मंत्रियों ने शिरकत की। 2024 में महाराष्ट्र के राज्यपाल के तौर पर काम कर चुके सीपी राधाकृष्णन को कुल 452 वोट मिले थे।
Shri C.P. Radhakrishnan took oath today as the 15th Vice President of India at swearing-in ceremony held at Rashtrapati Bhavan.#vicepresidentofindia pic.twitter.com/KhZTmkNmcu
— Vice-President of India (@VPIndia) September 12, 2025
शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ शपथ ग्रहण समारोह
NDA के एक शीर्ष सूत्र के अनुसार, 12 सितंबर की सुबह को समारोह के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि पंडित जी ने इसे “शुभ समय” बताया था। समारोह से पहले कई राजनीतिक नेता पहले ही दिल्ली पहुंच चुके थे। राजधानी में मौजूद नेताओं में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शामिल हैं।
सुदर्शन रेड्डी को पछाड़कर हासिल किया उपराष्ट्रपति पद
NDA के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को मंगलवार को भारत का 15वां उपराष्ट्रपति चुना गया। उन्हें 452 वोट मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार और पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। राज्यसभा महासचिव एवं निर्वाचन अधिकारी पी.सी. मोदी ने बताया कि 781 सांसदों में से 767 ने वोट डाले, जो 98.2 प्रतिशत मतदान दर्शाता है। इनमें से 752 मत वैध और 15 अमान्य पाए गए, जिससे प्रथम वरीयता मतों में बहुमत का आंकड़ा घटकर 377 रह गया। हालांकि कागज़ों पर NDA को 427 सांसदों का समर्थन था, लेकिन वाईएसआरसीपी (YSRCP) के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन का समर्थन किया। दिलचस्प बात यह रही कि NDA उम्मीदवार को अपेक्षा से 14 वोट ज्यादा मिले, जिससे विपक्षी खेमे से क्रॉस-वोटिंग की अटकलें तेज़ हो गईं। इसके अलावा, 13 सांसदों ने मतदान से दूरी बनाई। इनमें बीजू जनता दल (BJD) के 7 सांसद, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 4 सांसद, शिरोमणि अकाली दल (SAD) के 1 सांसद और 1 निर्दलीय सांसद शामिल हैं।
पीएम मोदी ने दी सीपी राधाकृष्णन को बधाई
Met Thiru CP Radhakrishnan Ji. Conveyed my best wishes on his being the NDA’s Vice Presidential nominee. His long years of public service and experience across domains will greatly enrich our nation. May he continue to serve the nation with the same dedication and resolve he has… pic.twitter.com/5vjFzzwUqn
— Narendra Modi (@narendramodi) August 18, 2025
परिणामों की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सी.पी. राधाकृष्णन को बधाई दी और भरोसा जताया कि नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति भारत के संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेंगे और संसदीय विमर्श में सकारात्मक योगदान देंगे। “श्री सी.पी. राधाकृष्णन जी को 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विजय के लिए हार्दिक बधाई। उनका जीवन हमेशा समाज सेवा तथा गरीब और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित रहा है। मुझे विश्वास है कि वे एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति साबित होंगे, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेंगे और संसदीय विमर्श को समृद्ध बनाएंगे,” प्रधानमंत्री मोदी ने X पर लिखा।
सीपी राधाकृष्णन का चुनाव राष्ट्रवादी विचारधारा को संघ परिवार से जोड़ने की कोशिश
एक किशोर के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने वाले 68 वर्षीय सी.पी राधाकृष्णन भारत के उपराष्ट्रपति चुने गये हैं। यह भारतीय जनता पार्टी द्वारा राष्ट्रवादी विचारधारा के अपने संस्करण को संघ परिवार के एजेंडे के साथ जोड़ने की एक और कोशिश है। राधाकृष्णन साल 1974 तक तमिलनाडु जन संघ की कार्यकारी समिति के सदस्य थे। एक ऐसे दौर में, जब तमिलनाडु में संघ परिवार की मौजूदगी नाममात्र थी और उनका राजनीतिक जुड़ाव साफ तौर पर कैरियर से ज्यादा विचारधारा से प्रेरित था। 9 सितंबर, 2025 को वह भारत के उप-राष्ट्रपति बने, यह एक तरफ उनकी वैचारिक वफादारी का इनाम है, तो दूसरी तरफ RSS की उनकी यात्रा में एक मील का पत्थर। उन्होंने 752 वैध वोटों में से 452 हासिल किये, और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से पराजित किया। वह बतौर भाजपा उम्मीदवार 1998 और 1999 में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए, पहले AIADMK के समर्थन से और फिर DMK के। उन्होंने संसदीय समितियों और शेयर बाजार घोटाले की जांच के लिए विशेष समिति में भी सेवा दी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की नुमाइंदगी भी की। साल 2004 से 2007 तक, भाजपा के राज्य अध्यक्ष के रूप में उन्होंने नदियों को जोड़ने, छुआछूत खत्म करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, और समान नागरिक संहिता को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए 93-दिवसीय “रथ यात्रा” निकाली।
झारखंड और महाराष्ट्र में निभाई अहम भूमिका
झारखंड (2023) और महाराष्ट्र (2024) के राज्यपाल के रूप में सीपी राधाकृष्णन ने अपने प्रशासनिक तजुर्बे को विस्तृत बनाया और अपना राजनीतिक कद ऊंचा किया, लेकिन उनकी नयी भूमिका बिल्कुल भिन्न किस्म की होगी। उपराष्ट्रपति के रूप में उन्हें राज्यसभा के सभापति की भूमिका भी निभानी होगी, जो उनकी राजनीतिक चतुराई का इम्तिहान लेगी। वह अतीत में संघवाद और केंद्र-राज्य के बेहतर संबंधों के बारे में बात कर चुके हैं, लेकिन भाजपा और RSS का आम झुकाव सत्ता के केंद्रीकरण की ओर है। हाल के वर्षों में संसद की भूमिका कमजोर हुई है, साथ ही कार्यपालिका ने अपनी शक्तियों को अभूतपूर्व स्तर तक विस्तृत कर लिया है। विधेयकों को मनमाने ढंग से वित्त विधेयक के रूप में वर्गीकृत करके राज्यसभा को खास तौर पर कमजोर किया गया है। वित्त विधेयकों को राज्यसभा की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। राज्यों की परिषद के रूप में राज्यसभा की अवधारणा हमेशा से अमल में कम, सिद्धांत में ज्यादा रही है, लेकिन इसे जान-बूझ कर कमजोर करना हाल का विकास है। हाल के वर्षों में सरकार और विपक्ष के बीच का रिश्ता शत्रुतापूर्ण और विषाक्त हो गया है। यहां तक कि संसदीय समितियां भी चिंतनपूर्ण विचार-विमर्श के मंच से ज्यादा, बेवकूफाना बयानबाजी का मैदान बन गयी हैं। सीपी राधाकृष्णन के सामने चुनौतीपूर्ण कार्यभार है। अपनी मिलनसार तबीयत से, वह सरकार और विपक्ष को बेहतर सहयोग और कम आक्रामकता के लिए प्रेरित करने में सक्षम हो सकते हैं।
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