भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना का कहर जारी है, हर दिन भारत में मामले बढ़ रहे हैं, वहीं मौतों के आकड़ों में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है, कोरोना के केसेस को देखते हुए भारत में हर दिन एक नया रेकॉर्ड बन रहा है। चाहे वो कोरोना के बढ़ते मामले हों या काल के गाल में समाये मरीज। कोरोना के बढ़ते मामलों के रोकथाम के लिए भारत सरकार और राज्य की सरकारें हर संभव कोशिश में जुटी हुई है लेकिन कोरोना के केसेस थमने के बजाय बढ़ते जा रहें है। देश के अलग अलग लैब्स में कोरोना के खतरे को देखते हुए दवाईयों और टीके की निजात के लिए वैज्ञानिक दिन रात एक किये हुए है लेकिन सफलता अभी तक नहीं मिली है। कोरोना से बचने के लिए फिलहाल देश में लॉक डाउन चल रहा है। एक के बाद एक फेजेस में सरकार लॉक डाउन बढ़ाये जा रही है। 25 मार्च से लॉक डाउन लागू हुआ कि अबतक लॉक डाउन जारी है।
कोरोना संक्रमितों के ये आंकड़े डरावने है
देश में कोराना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 58 हजार 609 हो गई। बुधवार को 1 लाख 16 हजार 41 सैम्पल की जांच की गई। यह एक दिन में सबसे बड़ा आंकड़ा है। अब तक कुल 32 लाख 42 हजार 160 सैम्पल जांचे जा चुके हैं। इससे पहले 23 मई को 1 लाख 15 हजार 364 सैम्पल की जांच की गई थी। 19 मई के बाद 25 और 26 मई को छोड़कर हर दिन एक लाख से ज्यादा जांच हुई हैं। 25 मई को 90 हजार 170 और इसके अगले दिन 92 हजार 528 रिपोर्ट आई थीं।
कोरोना की इस संकट में अगर किसी पर सबसे ज्यादा मार पड़ी तो वो है हमारे देश के मजबूर मजदूर, पहले से ही लॉक डाउन से परेशान मजदूर पर दोहरी मार पड़ी, एक तो पहले से कोरोना का खौफ, ऊपर से लॉक डाउन, जिससे मजदूर खाने को मोहताज हो गया। शहरों में सबकुछ ठप्प लिहाजा मजदूरों के पास पलायन के आलावा कोई विकल्प नहीं सुझा। ना ट्रेन चले, ना बस, मजबूर मजदूर खुद ही चल दिया। मजदूर अपने गांव की ओर पलायन करना शुरू कर दिया। भरी दुपहरिया में नंगे पांव हज़ारों किलोमीटर जब मजदूर चलना शुरू किया, तब जाकर सरकार की आंखें खुली और 1 मई से मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रेनों का सञ्चालन शुरू हुआ।
श्रमिक ट्रेनें -भटकती रेलें, भूख-प्यास से मरते मज़दूर
श्रमिक ट्रेनों का भी हाल बुरा रहा, देश में पलायन की तस्वीर देख हर कोई विचलित होने लगा, सरकार की लाचारी पर सवाल खड़े होने लगे, सरकार की नाकामी ने मजदूरों के बीच वो गुस्सा पैदा किया कि मानों ये गुस्सा अब फूटे कि तब। इस बीच राहत की खबर आई, मजदूरों को उनके घरों तक भेजने का सरकारी इंतेज़ाम किया गया, स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ, नाम दिया गया श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन, जैसे तैसे शुरू हुई श्रमिक एक्सप्रेस मजदूरों के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आयी। राहत की बात रही कि अब मजदूर पैदल फासलों को नहीं नापेंगे और ना ही मजदूर के पैरों में छाले पड़ेंगे। लेकिन अफ़सोस रेलवे और सरकारें ये वाहवाही बहुत दिनों तक नहीं लूट पायी और अब श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों की बदइंतजामी सामने आने लगी।
रेलवे की लापरवाही की बेइंतेहां, राम भरोसे चलती हैं रेलवे की श्रमिक ट्रेनें। 36-36 घंटों के सफर में मजदूरों को ना खाना दिया जा रहा है और ना पीने के लिए पानी दिया जा रहा है। भेड़ बकरियों की तरह भरकर राज्य सरकारें भेज दे रही है। ये तक नहीं सोच रही है कि ये मजदूर भी हमारे ही है, इन्ही की वजह से देश की जीडीपी बढ़ती है और पीएम नरेंद्र मोदी ट्रिलियन इकॉनमी का सपना देख पाते है। मुंबई से चली थी ट्रेन गोरखपुर के लिए पहुंच गई राउरकेला। रेलवे की तरफ से एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, बीते 21 मई को महाराष्ट्र के वसई से गोरखपुर के लिए निकली श्रमिक स्पेशल ट्रेन राउरकेला ओडिशा पहुंच गई। रेलवे ने बुधवार को जानकारी दी कि अब तक 3500 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए 48 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके राज्यों तक पहुंचाया गया है। इसमें से 80 फीसदी ट्रेनें उत्तरप्रदेश और बिहार के लिए चलीं हैं।
फिर से शुरू हुई देश में हवाई सफर
नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि मंगलवार को कुल 445 घरेलू उड़ानों का संचालन हुआ जिनमें 62,641 लोगों ने यात्रा की। उन्होंने कहा कि भारत में घरेलू विमान सेवाओं की बहाली के दूसरे दिन हवाईअड्डे पर सारा कामकाज सुगमता से हुआ। सोमवार को देश में करीब 438 विमानों ने उड़ान भरी थी। देश में दो महीने के अंतराल के बाद सोमवार को घरेलू उड़ान सेवाएं बहाल हुई थीं।
देश के 3 बड़े राज्यों के हाल
महाराष्ट्र – यहां बीते 24 घंटे में संक्रमण के 2190 नए मामले सामने आए, 964 मरीज ठीक हुए और 105 की मौत हुई। राज्य में अब कोरोना के मरीजों की संख्या 56 हजार 948 हो गई है। 17 हजार 918 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि कुल 1897 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं। सबसे ज्यादा 1097 मौतें मुंबई में हुईं हैं। शहर में कोरोना के 1044 नए मामलों के साथ ही संक्रमितों की संख्या 33 हजार 835 हो गई है।
उत्तर प्रदेश – राज्य में प्रवासियों की वजह से गांवों में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। पिछले 24 घंटे में यहां कोरोना के 261 मरीज मिले। राज्य में अब तक 6983 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें 1820 प्रवासी हैं। बुधवार को मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर और मुजफ्फरनगर में एक-एक संक्रमित ने दम तोड़ दिया। राज्य में इस बीमारी से अब तक 182 संक्रमितों की जान गई है।
बिहार – राज्य में बुधवार को 38 नए मरीज मिले। एक डीएम की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बिहार में सरकारी अधिकारी में संक्रमण का यह दूसरा मामला है। इससे पहले नालंदा में एक आईएएस संक्रमित पाए गए थे। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से बड़ी संख्या में प्रवासी घर लौट रहे हैं। 3 मई के बाद आने वाले प्रवासियों में 1900 संक्रमित मिले हैं, जो राज्य के कुल संक्रमित का लगभग 66% है।
अब तक 32 लाख से ज्यादा सैम्पलों की जांच हुई
सरकार ने बुधवार को बताया कि अब तक 435 सरकारी और 189 निजी लैब में कुल 32 लाख 42 हजार 160 सैम्पलों की जांच की गई। बीते 24 घंटे में कुल 1 लाख 16 हजार 41 सैम्पल जांचें गए। देशभर के 930 अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। इन अस्पतालों में 1 लाख 58 हजार 747 आइसोलेशन, 20 हजार 335 आईसीयू और 69 हजार 76 ऑक्सजीन सपोर्टेड बेड उपलब्ध हैं।
लॉकडाउन का चौथा चरण जारी, पांचवे की हो रही है तैयारी
31 मई को देश में चल रहा लॉकडाउन 4 खत्म होने वाला है ऐसे में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ये कयास लगाई जा रही है कि लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा सकता है। जिसके लिए आज कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव के साथ बैठक की। इस बैठक में अनेक राज्यों के निगम कमिशनरों को भी शामिल किया गया है। ये बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। इस बैठक में केंद्र सरकार ने राज्यों को सुझाव देने के लिए शनिवार तक का समय दिया है। बैठक में राज्यों से हालात को और बेहतर बनाने के लिए भी सुझाव मांगे गए हैं। राज्यों से यह भी पूछा गया कि 31 मई के बाद वह अपने राज्य में और कौन-कौन से नए कदम उठाना चाहते हैं।
लॉक डाउन जारी रहा तो ये छूट मिल सकती है
लॉकडाउन 4 में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लोगों को काम करने की छूट मिली है उसे देखते हुए लॉकडाउन 5 में छूट का दायरा और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन खबर है कि कोरोना की ज्यादा मार सह रहे इलाकों में राहत नहीं दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, लॉकडाउन 5 में 11 शहरों पर सख्ती जारी रहेगी। ये वो शहर हैं जहां कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। जिन शहरों में पाबंदी जारी रह सकती है वो दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरू, पुणे, ठाणे, इंदौर, चेन्नई, अहमदाबाद, जयपुर, सूरत और कोलकाता हैं। इन 11 शहरों में भारत में कुल कोरोना संक्रमित केस के 70% मामले मिले हैं, जबकि अहमदाबाद, दिल्ली, पुणे, कोलकाता और मुंबई में ये और खतरनाक है। यहां देश के कुल मरीजों के 60% लोग पाए गए हैं।
दुनिया में अब तक 58.03 लाख संक्रमित और 3.57 लाख मौतें
दुनिया में अब तक 58 लाख 3 हजार 785 लोग संक्रमित हैं। 25 लाख 8 हजार 944 लोग ठीक हुए हैं। मौतों का आंकड़ा 3 लाख 57 हजार 714 हो गया है। रूस में 24 घंटे में 8371 नए केस मिले हैं और 174 लोगों की जान गई है। अमेरिका में 24 घंटे में लगभग 1500 मौतें हुई हैं, जबकि 20 हजार से ज्यादा नए मामले मिले हैं। यहां मौतों का आंकड़ा एक लाख 2 हजार से ज्यादा हो गया है। ब्राजील में 24 घंटे में 1086 लोगों ने दम तोड़ा है। यहां मौतों का आंकड़ा 25 हजार 687 हो गया है, जबकि मरीजों की संख्या 4 लाख 14 हजार से ज्यादा हो गई है। यह अमेरिका के बाद दूसरा सबसे ज्यादा संक्रमित देश है।
क्या है कोरोनावायरस और उसके लक्षण
कोरोनावायरस जिसे अब COVID-19 का नाम भी दिया गया है, कोरोना वायरस अपनी तरह का पहला ऐसा वायरस है जिससे संक्रमित होने पर जुकाम-बुखार जैसी समस्याओं से शुरू होकर सांस न ले पाने की गंभीर समस्या तक हो जाती हैं। आपको बता दें कि इस वायरस का पहला केस चीन के वुहान शहर में मिला था, इस वायरस से निपटने के लिए अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं। कोरोनावायरस के लक्षण सामान्य फ्लू के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं। लेकिन यह समान्य फ्लू के तुलना में बेहद खतरनाक है। कोरोना संक्रमित होने पर अचनाक बुखार आने के साथ सांस लेने में तकलीफ, जुकाम और गले में खरास जैसे दिक्कतें होने लगती हैं।
Coronavirus से बचने का ये है उपाय
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया है, WHO के अनुसार लगातार साबुन और साफ पानी से हाथ धोएं। बुखार, जुकाम आदि जैसे रोगों से भी संक्रमित व्यक्ति से 1 मीटर की दूरी अवश्य बना कर रखें। आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें। WHO के अनुसार इन तीनों जगह से संक्रमण आसानी से फैल सकता है, सामान्य बुखार, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ होने पर लापरवाही न बरतें। तुरंत ही अपनी नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें। अगर आप सामान्य तौर भी संक्रमित हैं तो भी यात्रा करने से बचें।
कोरोनावायरस का सच और झूठ
जब बीमारी इतनी बड़ी है तो जाहिर सी बात है इसे लेकर लोगों के बीच ख़ौफ़, घबराहट और आतंक का माहौल भी बना हुआ है। कोरोनावायरस को लेकर बहुत सारी खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। कई दावे किये जा रहे है, कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए तरह तरह के डाक्यूमेंट्स और तथ्य लोगों के बीच भ्रम पैदा कर रहे है, कोई कह रहा है कि घरेलु नुस्खों से कोरोना का इलाज हो सकता है तो कोई कह रहा है इसकी आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध है। सोशल मीडिया पर कोरोनावायरस को लेकर कई तरह के मिथक फैलाए जा रहे हैं। लिहाजा The CSR Journal आपको बता रहा हैं कि कोरोना वायरस से जुड़े मिथक और उनकी हकीकत के बारे में –
झूठ – साधारण फेस मास्क पहनने से कोरोनावायरस से बचा जा सकता है।
सच – साधारण फेस मास्क पहनने से कोरोनावायरस से नहीं बचा जा सकता है, कोरोनावायरस से बचने के लिए एक ख़ास तरह से मास्क आता है, N 95 मास्क पहनने से कोरोनावायरस के कीटाणु शरीर के भीतर प्रवेश करने से बचाया जा सकता है।
झूठ – चाइनीज फूड खाने से हो सकता है कोरोना वायरस
सच – चाइनीज फूड और चाइनीज रेस्तरां में जाना पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए क्योंकि इससे कोरोना वायरस फैलता है इस तरह की भ्रामक बातें सोशल मीडिया पर खूब फैलाई जा रही है लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है। WHO ने चाइनीज फूड को कोरोना वायरस फैलाने का रिस्क फैक्टर नहीं माना है। लिहाजा चाइनीज नूडल्स खाने से आपको कोरोनावायरस नहीं होगा।
झूठ – ऐंटिबायॉटिक से हो सकता है कोरोना वायरस का इलाज
सच – WHO की मानें तो ऐंटिबायॉटिक वायरस के खिलाफ काम नहीं करते और वो सिर्फ बैक्टीरिया से फैलने वाले इंफेक्शन के खिलाफ काम करते हैं। लिहाजा इस बेहद नए और खतरनाक वायरस से लड़ने में ऐंटिबायॉटिक्स कोई काम नहीं करेंगे।
झूठ – निमोनिया की वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाने में मदद करती है
सच – WHO की माने तो निमोनिया के लिए दी जाने वाली न्यूमोकॉकल वैक्सीन इस बेहद नए और खतरनाक कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान नहीं करती है। ये वायरस इतना नया है कि इसके लिए एक अलग और नई वैक्सीन की जरूरत है।
झूठ – कोरोना के वायरस लैब में बनाये गए
सच – कोरोना के वायरस लैब में नहीं बनाये गए है, कोरोनावायरस का लैब में बने होने का अभी तक कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है।
झूठ – कोरोनावायरस से ग्रसित होने का मतलब है कि इंसान की मौत निश्चित है।
सच – कोरोनावायरस से ग्रसित होने का मतलब है कि इंसान की मौत निश्चित है, ऐसा बिलकुल नहीं है, कोरोनावायरस से पीड़ित इंसान ठीक भी हो सकता है, इसका उदहारण है केरल, केरल में कोरोनावायरस से पीड़ित तीन मरीजों की तबियत बिलकुल ठीक हो गयी है, बस जरूरत है समय पर सही इलाज़। एक अध्यन में ये पाया गया है कि कोरोनावायरस से पीड़ित 81 फीसदी मरीजों में से 13 फीसदी मरीज मामूली रूप से बीमार रहे वही 4.7 फीसदी मरीज ही क्रिटिकल रहे, और महज 2.3 मरीजों की मौत हुई है। कोरोनावायरस से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत है।
झूठ – पालतू जानवरों से कोरोनावायरस फ़ैलने का डर
सच – पालतू जानवरों से कोरोनावायरस फ़ैलने के मामले को लेकर अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है और ना ही जानवरों में कोरोनावायरस से पीड़ित होने की बात सामने आयी है। लेकिन एहतियात के तौर पर सावधानी ही बचाव है, ऐसे में जब भी आप पालतू जानवरों के संपर्क में आये तो आप अपना हाथ साबुन से जरूर धोएं।
झूठ – बच्चों को कोरोनावायरस नहीं हो सकता
सच – जैसे आम व्यस्क को कोरोनावायरस हो सकता है, ठीक उसी तरह बच्चों को भी कोरोनावायरस हो सकता है, हालही में नोएडा में 2 स्कूलों में छुट्टी घोषित इसलिए भी कर दिया गया क्योंकि कोरोनावायरस से पीड़ित एक मरीज ने कुछ स्कूली छात्रों के साथ बर्थ डे मनाया था, हालांकि उन सभी बच्चों की जाँच की गयी और रिपोर्ट नार्मल आया है।
झूठ – चीन से आये पैकेट्स और लेटर में भी कोरोनावायरस
सच – WHO की रिपोर्ट की माने तो ऐसा कुछ नहीं है कि चीन से आये पैकेट्स और लेटर में कोरोनावायरस है, कोरोनावायरस के कीटाणु बहुत घंटों तक खुले और सामान्य वातावरण में जीवित नहीं रह सकते लिहाजा ऐसा कुछ भी नहीं है कि लेटर और पैकेट्स से कोरोनावायरस फ़ैल सकता है।
ये है कोरोनावायरस हेल्पलाइन नंबर, फोन और मेल जिससे मिल सकता है मदद
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की माने तो 5,601 फ्लाइट्स के 5.57 लाख यात्रियों की जांच की गई है, कोरोना से बचने के लिए और मदद के लिए मोदी सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है,