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ऑक्सीजन की आखिरी बूंद भी देश के लिए समर्पित – JSPL

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पूरे देश भर में ऑक्सीजन की कमी है। कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है। एक-एक सांस के लिए लोग आस लगा कर बैठे हैं, लेकिन ऑक्सीजन उन्हें नहीं मिल रहा है। आपातकाल के बीच एक अच्छी खबर उद्योग जगत से आयी है। ऑक्सीजन क्राइसिस में देशभर के कॉर्पोरेट्स आगे आए हुए हैं और बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। लोगों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रहे हैं। जेएसपीएल यानी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड भी बहुत बड़े पैमाने पर अपने प्लांट से पूरे देश भर में ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही है। Oxygen Crisis पर The CSR Journal ने जेएसपीएल (JSPL) के मैनेजिंग डायरेक्टर वीआर शर्मा से खास बातचीत की। वीआर शर्मा जी बहुत-बहुत स्वागत है, दी सीएसआर जर्नल में।
बहुत-बहुत धन्यवाद और आपके इस चैनल के माध्यम से मैं सभी दर्शकों का, सभी सुनने, पढ़ने और देखने वालों का आभार व्यक्त करता हूं।

पूरे देश भर में ऑक्सीजन की किल्लत है। इस आपदा के बीच उद्योग जगत आगे आया हुआ है। JSPL की बात करें तो आप लोग किस तरह से Oxygen की मैन्युफैक्चरिंग कर रहें है और किस तरह से पूरे देश भर में ऑक्सीजन की सप्लाई आप द्वारा की जा रही है?

भारत वाकई में एक बहुत ही विकट परिस्थिति से जूझ रहा है। भारत में इतने बड़े पैमाने पर कोरोना फैल चुकी है कि लाखों की संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं। लोगों को मेडिकल उपचार के लिए आज ऑक्सीजन की जरूरत सभी अस्पतालों में है। बेड भरे हुए हैं, ऐसी स्थिति में इतने सारे मरीज एक समय में अलग-अलग अस्पतालों में आए हैं और जो लोग घर पर अपना इलाज करवा रहें हैं, इन सभी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। बाजार के अंदर जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर थे उसकी भी किल्लत हो गई है। लगातार ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ी है। पूरे देश भर में असमंजस की स्थिति है। ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए मिनिस्ट्री ऑफ स्टील ने एक बहुत अच्छा निर्णय लिया कि अगर आप ऑक्सीजन प्रोड्यूस करते हैं तो आप देश हित में और जनता के लिए ऑक्सीजन दीजिए। ऐसे में जेएसपीएल भी इस मुहिम में बढ़ चढ़कर देशवासियों का साथ दे रहा है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल स्टील प्लांट में स्टील रिफायनिंग के लिए किया जाता है। ऐसी स्थिति में स्टील प्रोडक्शन को कंप्रोमाइज करके हम लोग ऑक्सीजन प्रोडक्शन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। देश के लिए जितनी हमारी क्षमता है उतना हम ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए हमने भारत सरकार को एक सुझाव दिया था, कि पूरे देश भर में हर एक जिलों में, हर एक बड़े शहरों में एक-एक ऑक्सीजन प्लांट भारत सरकार को लगाना चाहिए। जिससे फ्यूचर में अगर इस तरह की आपदा आती है तो जो यह जो बहुत बड़ा टास्क है Oxygen के ट्रांसपोर्टेशन की उससे निजात पाया जा सकता है। हर एक जिले में अगर ऑक्सीजन प्लांट होगा तो भारत किसी भी इस तरह के महामारी से निजात पाने के लिए हमेशा तत्पर रहेगा। भारत देश में जितनी भी ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट है उससे कहीं ज्यादा हमारे देश में ऑक्सीजन का प्रोडक्शन है। ऐसे में हमारे देशवासियों को ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ लॉजिस्टिक की दिक्कत है। जो कि दो-तीन दिन के भीतर सॉल्व हो जाएंगे। 8 हज़ार मैट्रिक टन के आसपास की हमारी ऑक्सीजन मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता है और लगभग 6 से 7 हज़ार मेट्रिक टन की हमारी ऑक्सीजन की जरूरत है।

आप ने बताया कि पूरे देश भर में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, बस कुछ लॉजिस्टिक इश्यूज है, इसके लिए इंडियन एयरफोर्स, इंडियन रेलवे, ये तमाम संस्थाएं मदद के लिए सामने आए हुए हैं। तो ये लॉजिस्टिक्स यीशु है दिक्कत को किस तरह से दूर किया जा सकता है ताकि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच एक सामंजस्य हो, एक कोआर्डिनेशन हो, क्या इसको लेकर कोई रोडमैप है या कोई प्लान है?

Oxygen Crisis के बीच ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर भारत सरकार बहुत तत्पर है। हमें गर्व है हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर। वह बहुत बड़े डिजास्टर मैनेजर है। पीएम मोदी किसी भी आपदा को मैनेज करने में बहुत सक्षम है। जैसे जिस देश का राजा होता है वैसे ही उस देश की प्रजा हो जाती है। पीएम मोदी इस क्राइसिस को बहुत ही कूल माइंड से हैंडल कर रहे हैं। बहुत सूझबूझ का पीएम नरेंद्र मोदी ने परिचय दिया है। इस मामले में किसी एक राज्य की अलग अलग मान्यता होगी। इसको मैं डिनॉय नहीं करता। भारत सरकार ने एक सेंट्रल नोडल एजेंसी बनाई है जो सभी स्टील प्लांट और ऑक्सीजन प्लांट से उनसे डाटा लेती है। उसको कंपाइल किया जाता है और फिर आप को निर्देश दिया जाता है कि कौन से शहर के लिए कितना ऑक्सीजन जाएगा। जैसा मैंने पहले बताया कि हर एक शहर में ऑक्सीजन प्लांट होना चाहिए कई ऐसे अस्पताल हैं जो बहुत बड़े हैं उनको अपना खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाना चाहिए। जो सक्षम है उनको खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाना चाहिए। ऐसे में ये ऑक्सीजन की दिक्कत को खत्म किया जा सकता है। फिर ऑक्सीजन ऑन डिमांड आसानी से हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर जैसे एलपीजी ऑन डिमांड है, वाईफाई ऑन डिमांड है वैसे ही ऑक्सीजन इन डिमांड हो जायेगा। भारत सरकार को जो हमने सुझाव दिया था सरकार ने उसे मान लिया है। अब पूरे देश भर में 551 डिस्ट्रिक्ट में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे। भारत सरकार की पहल बहुत ही सराहनीय है और अब अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगने शुरू हो गए हैं।

जिस तरह से भारत में कोरोना की दूसरी वेव्स आयी है। जिस तरह से कोरोना काल में ऑक्सीजन की क्राइसिस हुई है। आपको लगता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर लेवल पर भारत इसके लिए तैयार नहीं था?

देखिए अभी हमें ना थर्डवेव का बारे में पता है, ना फोर्थ वेव के बारे में पता है। हमें यह सोचना चाहिए कि यह बायोलॉजिकल वॉर है। बायोलॉजिकल वॉर का किसी को कोई अंदेशा नहीं होता है। यह एक नेचुरल है। भगवान ना करे कल तीसरा चौथा वेव्स आये तो इसके लिए हमें पहले से ही सतर्क रहना पड़ेगा। जैसा मैंने पहले ही सुझाव दिया कि ऑक्सीजन को लेकर हमें हर जिले में तैयारी करनी पड़ेगी। देश है तो जहान है। मैं यह बिल्कुल नहीं कहूंगा कि भारत सरकार पहले से तैयार नहीं थी, यह एक सुनामी है और सुनामी के लिए कोई आदमी तैयार नहीं रहता। आज हमारे न्यायाधीश ने बोला है कि यह सुनामी है। ऐसे में हमें तैयारी बनानी पड़ेगी। तैयारी कैसे की जा सकती है।
तैयारी का एक अच्छा माध्यम है सीएसआर (Corporate Social Responsibility)। कई राज्य सरकार ऐसे हैं कि सीएसआर के तहत बोलते हैं कि आप खर्चा करिए और कामों का पूरा ब्यौरा हमें दे दीजिए। कुछ स्टेट ऐसे हैं जो कहते हैं कि आप हमारे जरिए से खर्चा करिए। कुछ स्टेट ऐसे हैं जो कहते हैं कि आप हमको पैसा दीजिए हम उसको इंफ्रास्ट्रक्चर में लगाएंगे उसके बाद फिर हम आपको पूरा ब्योरा दे देंगे।  ऐसे में प्रधानमंत्री जी से मेरा आग्रह है कि भारत में जितना भी सीएसआर (CSR) जगत है उनको बुलाया जाए और CSR का पैसा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगाया जाए। हर जगह हॉस्पिटल, हर जगह Health सेंटर, हर जगह मेडिकल सेंटर, हर जगह मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता हो।

Oxygen की कमी की मार सबसे ज्यादा दिल्ली झेल रही है। दिल्ली से ऐसी तस्वीरें आ रही है कि रूह तक कांप जा रही है। दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली की स्थिति भयावह है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, एनसीआर में ऑक्सीजन की किल्लत है लेकिन सबसे ज्यादा हालात दिल्ली की खराब है, ऐसा क्यों?

इसके दो कारण हैं एक तो यह कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की स्टोरेज कैपेसिटी दिल्ली में बहुत कम है। हर हॉस्पिटल को ऑक्सीजन स्टोरेज की कैपेसिटी 15 दिन की रखनी चाहिए। अगर हमारे बेड की कैपेसिटी 500 है तो हम यह मान के चलना चलना चाहिए कि 20 फ़ीसदी तक मरीज एक्स्ट्रा हो सकते हैं।  यहां तक कि यह भी मानना चाहिए कि 50 फ़ीसदी तक एक्स्ट्रा पेशेंट आ सकते हैं। 500 बेड के लिए 750 तक की तैयारी रखनी चाहिए। यहां तक की भी तैयारी रखनी चाहिए कि व्हीलचेयर और स्ट्रेचर पर भी हम ऑक्सीजन लगाकर मरीज का इलाज कर सकें। इस प्लानिंग के लिए हॉस्पिटल्स भी रेडी नहीं है। मैं किसी भी हॉस्पिटल पर दोष नहीं मढ़ना चाहूंगा। मैं किसी की व्यवस्था पर सवाल नहीं खड़ा कर रहा हूं। आलम यह है कि किसी ने इस तरह के महामारी के बारे में सोचा तक नहीं था। दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि हमारा एक ऐसा मात्र देश है जहां पर ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो जाती है। आलम यह है कि दिल्ली में लोग जमाखोरी करना शुरू कर दिए हैं। ब्लैक मार्केटिंग करना शुरू कर दिए हैं।

आपने कालाबाजारी का जिक्र किया, वाकई में प्रदेश भर में दवाइयों की कालाबाजारी, Oxygen की कालाबाजारी ऐसे में ये जमाखोरी ना हो, कालाबाज़ारी ना हो इसको लेकर आप क्या कहना चाहते हैं?

देखिए इस दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं, भगवान ना करे कि अगर कोई ट्रेन डिरेल हो जाए, ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तो वहां पर दो तरह के लोग आते हैं। एक जो मदद करने के लिए आते हैं, जान बचाने के लिए आते हैं और कुछ लोग ऐसे आते हैं जो पीड़ितों के हाथ की घड़ी निकालने आते हैं, ज्वेलरी उतारते आते हैं। पूरे दुनिया में दोनों टाइप के आदमी हैं। देवता और दानव भी हैं। इस बीच में इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा लेकिन हां यह मैं जरूर लोगों से निवेदन करना चाहूंगा कि आज का दौर पैसा कमाने का नहीं है, सेवा करने का समय है।

JSPL देशभर के अस्पतालों में Oxygen की सप्लाई कर रही है। राज्य में सप्लाई कर रही हैं, लेकिन क्या आप लोग इंडिविजुअल लेवल पर भी ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं?

जेएसपीएल फाउंडेशन द्वारा संचालित हमारे अपने भी अस्पताल है। वहां पर भी हम लोग सप्लाई कर रहे हैं। हमारे रायगढ़ डिस्ट्रिक्ट, अंगुल है, वहां पर अगर कोई इमरजेंसी रिक्वायरमेंट आती है तो हम सिलेंडर भर कर दे देते हैं। लोकल कलेक्टर की राय मशवरा के बाद हम लोग जहां जरूरत होती है हम इंडिविजुअल लेवल पर भी मदद करते हैं।

जब भी देश पर आपदा आई हुई है, कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत देश के तमाम कॉरपोरेट्स मदद के लिए हमेशा से ही आगे आए हैं। इस कोरोना काल में जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड यानी जेएसपीएल किस तरह से काम कर रही है, और क्या क्या काम कर रही है?

हमारे जहां जहां प्लांट्स है, वहां वहां हमने अलर्ट घोषित किया हुआ है। कोरोना से पीड़ित 500 से 1000 लोगों तक हम इन जगहों पर हम एडमिट कर पाएगे। हमारे लिए यह बड़ी उपलब्धि रहेगी। भगवान ना करे कि इसकी नौबत आए, कि बहुत सारे लोग बीमार हो। हम भगवान से यही दुआ करते हैं कि यह महामारी जल्द से जल्द खत्म हो।

अब तक जेएसपीएल द्वारा कितना Oxygen लोगों की मदद के लिए पहुंचाया जा चुका है?

हम पर्याप्त मात्रा में लोगों तक का मदद पहुंचा रहे हैं। फिलहाल आंकड़ों में यह डाटा मौजूद नहीं है। पहले जो पेशेंट थे उन्हें ऑक्सीजन की किल्लत नहीं थी, लेकिन इस बार पिछले आठ दस दिनों से बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी है। इसलिए हमने यानी जेएसपीएल ने ऑक्सीजन के लिए हमारे दरवाजे हमने पूरी तरह से खोल दिए हैं। हमने पूरे भंडार खोल कर रखे हैं। जब तक हमारे पास आखिरी बूंद लिक्विड ऑक्सीजन की है, हम जनता के लिए समर्पित रहेंगे। हमारे चेयरमैन श्री नवीन जिंदल जी ने ट्वीट किया था कि पीपल्स फर्स्ट यानी मेरे देशवासी मेरे लिए पहले हैं और मेरा बिजनेस बाद में है। मेरे ख्याल से इससे अच्छी सोच कोई हो नहीं सकती। देश के जितने भी स्टील प्लांट हैं, चाहे सरकारी हो या निजी हो। जी जान से देश सेवा में सभी लोग लगे हुए हैं। हम लोग इस मुहिम में और इस क्राइसिस में देश की जनता के साथ हैं, भारत सरकार के साथ हैं।

एक आखिरी सवाल हम चाहते हैं कि आप देश की जनता को आश्वस्त करें कि देश भर में कहीं कोई ऑक्सीजन की किल्लत नहीं है। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है, लेकिन थोड़ी सी ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत है जो जल्द दूर हो जाएगी।

मैं बिल्कुल देश की जनता को आश्वस्त करना चाहूंगा, उन्हें आश्वासन देना चाहूंगा कि देशभर में ऑक्सीजन की कहीं कोई कमी नहीं है। जो ट्रक और टैंकर रास्ते में हैं अगले 2 या 3 दिनों में वह अलग-अलग स्थान पर पहुंच जाएंगे। जिससे ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट को पूरा किया जा सकेगा। ये एक महामारी है, ऐसे में सबसे पहले यही जरूरत है कि आप अपने आप को सुरक्षित रखें ताकि इस महामारी से आप बच सकें।

चलिए हम भी यही उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द देश से ऑक्सीजन क्राइसिस की समस्या दूर हो। The CSR Journal से बातचीत करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।