कोरोना महामारी ने हर एक जिंदगी को प्रभावित किया है, कोई अपनों को खो दिया तो किसी की नौकरी चली गयी, कोई खाने के लिए मोहताज़ हो गया तो कोई दुश्वारियों से घिर गया। पहली लहर से कही ज्यादा खतरनाक दूसरी लहर है। क्या बुजुर्ग, क्या नौजवान, क्या बच्चें हर उम्र के लोग कोरोना से पीड़ित हुए। शहर तो शहर, कोरोना महामारी की मार ग्रामीण भारत तक पहुंच गई। शहरों में कोरोना से लड़ाई लड़ने के लिए कारगर व्यवस्थाएं है लेकिन हाल बुरा ग्रामीण इलाकों का है। खासकर वो ग्रामीण इलाके जो अभी भी दूसरे विकसित जिलों के मुकाबले बहुत पिछड़े है। लेकिन इन पिछड़े जिलों की लिस्ट में शुमार #AspirationalDistrict में कोरोना की लड़ाई बहुत कारगर तरीके से लड़ी जा रही है।
Niti Aayog के नीतिगत रणनीति से एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में कम है कोरोना के केस
एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट वो जिले जो अभी भी कई मामलों में डेवलप्ड नहीं है। लेकिन जब बात कोरोना की आती है तो ये जिले बहुत नीतिगत तरीकों से कोरोना की लड़ाई लड़ रहें है। यही कारण है कि एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में दूसरे जिलों के मुकाबले तो पहले से कोरोना के केसेस कम है और अगर है, तो यहां कोरोना ने विकराल रूप धारण नहीं किया है। गौर करने वाली बात ये भी है कि एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट भी हो रही है। निति आयोग एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम के जरिये लगातार इन पिछड़े जिलों को मॉनिटर करती आ रही है और एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में कोरोना को कुछ हद तक काबू में करने का नीतिगत योगदान निति आयोग का भी है।
एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट नंदुरबार बना कोरोना से लड़ने के लिए मिसाल
जब देश कोरोना से कराह रहा था। मौत की रफ्तार दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी। किसी को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहा था तो कहीं ऑक्सीजन की कमी से सांसें उखड़ रही थी। कोई दवाइयों की कमी से दम तोड़ रहा था तो कोई मदद के लिए दर-दर हाथ जोड़ रहा था। ऐसे में महाराष्ट्र का एक जिला है नंदुरबार जो एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट है, दूसरे जिलों के मुकाबले पिछड़ा लेकिन इस भयंकर महामारी में मिसाल बना। यहां न तो ऑक्सीजन की कमी है, न बेड की मारामारी है और न ही कोई दवाइयों के लिए जूझ रहा है। इसके पीछे मेहनत और डेडिकेशन है जिले के कलेक्टर डॉक्टर राजेंद्र भारुड की। एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट नंदुरबार में कोरोना से लड़ने के लिए पहले ही लहर में तैयार हो गया था। यहां फर्स्ट वेव में ही सेकंड वेव की प्लानिंग शुरू कर दी थी, जिले में अपना खुद का लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट बनाया, अस्पतालों क्षमता बढ़ाई।
एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट भी कोरोना रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर हो रहा है काम
एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट नंदुरबार में कोरोना से लड़ाई के लिए विशेष ड्राइव भी चलाया गया। नंदुरबार जिलाधिकारी ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि “नंदुरबार जिले में वोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन की विशेष मुहीम चलायी जा रही है जिसको बहुत अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। एक ही दिन में नंदुरबार के ट्राइबल इलाके के भगदारी गांव में 45 साल के ऊपर के उम्र वाले 813 लोगों ने वैक्सीन लगवाया। 5 हज़ार की आबादी वाले इस गांव में अबतक 1700 लोगों को वैक्सीन लग गया है”। सिर्फ महाराष्ट्र के ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट भी कोरोना बीमारी की रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे है।
बिहार हो या मध्य प्रदेश Aspirational District में जागरूकता के लिए घर घर जा रही है आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
बिहार के #AspirationalDistrict बेगूसराय में फ्रंटलाइन योद्धा जिले में कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नियमित रूप से घर-घर जाकर होम क्वारंटाइन मामलों की निगरानी कर रहे हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट खंडवा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नागरिकों की स्थिति को ट्रैक करने और उन्हें दवा किट देनें के लिए घर घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं। इसके साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता टीकाकरण के लिए परामर्श और प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। रामगढ़ में सेविका और सहिया की जोड़ी डबल मास्किंग के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा कर रही है और नागरिकों से टीकाकरण करने का आग्रह कर रही है।
नीति आयोग (Niti Aayog) ने पीएम नरेंद्र मोदी के संकल्पना को ध्यान में रखते हुए देश के 112 जिलों को महत्वाकांक्षी जिला घोषित किया है। आयोग के अनुसार ये जिले देश के अन्य जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम विकसित हैं, इन जिलों को ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट’ भी कहा जाता है। इन जिलों में कम लोग कोरोना वायरस से प्रभावित है। बहरहाल विकसित जिलों में कोरोना से लड़ाई के लिए संसाधन ज्यादा है, सुविधाएं ज्यादा है लेकिन कम संसाधनों और सुविधाओं में भी एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में कोरोना कंट्रोल है जो कि एक बहुत ही सराहनीय पहल है।