मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक भावुक और संवेदनशील चेहरा सोमवार को उस वक्त सामने आया, जब ‘जनता दर्शन’ के दौरान मुरादाबाद से आई एक नन्ही बच्ची उनसे मिलने पहुंची। अपनी मासूमियत और हाजिरजवाबी से बच्ची ने न सिर्फ मुख्यमंत्री का दिल जीता, बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों के चेहरों पर मुस्कान भी बिखेर दी। जनता दर्शन में हर रोज़ हजारों फरियादी अपने दुख-सुख लेकर मुख्यमंत्री के पास आते हैं। लेकिन सोमवार का दिन कुछ खास था। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर आयोजित जनता दर्शन में जब मुरादाबाद की रहने वाली वाची नाम की एक छोटी बच्ची पहुंची, तो वह भी अपनी बात रखने आई थी, साधारण लेकिन बेहद ज़रूरी बात “स्कूल जाना चाहती हूं, मेरा एडमिशन करवा दीजिए।”
योगी और बच्ची का संवाद बना दिल छू लेने वाला पल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर फरियादी के पास खुद जाकर उनका हालचाल पूछते हैं और आवेदन पत्र लेते हैं। जब वे वाची के पास पहुंचे, तो उन्होंने भी उसका आवेदन पत्र लिया और मुस्कराकर पूछा, “तू स्कूल नहीं जाना चाहती?” इस पर बच्ची ने तपाक से उत्तर दिया, “नहीं, मैं स्कूल जाना चाहती हूं। मैं तो कह रही हूं कि आप मेरा स्कूल में एडमिशन करा दीजिए।” मुख्यमंत्री ने पूछा, “किस क्लास में?” बच्ची ने तुरंत जवाब दिया, “10वीं या 11वीं में… मुझे नाम तो नहीं पता।” इस मासूम लेकिन सटीक जवाब पर मुख्यमंत्री भी मुस्कुरा उठे और वहां मौजूद अधिकारियों से कहा, “इस बच्ची का एडमिशन हर हाल में कराओ।” उन्होंने तुरंत प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद को आवेदन पत्र सौंपते हुए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए।
‘बच्चों के प्रति योगी की सच्ची आत्मीयता’
यह पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों के प्रति अपने विशेष लगाव को दर्शाया हो। चाहे गांव का दौरा हो, अस्पताल निरीक्षण या कोई बड़ा कार्यक्रम जहां भी उन्हें बच्चे मिलते हैं, वे उनसे जरूर बात करते हैं, उनकी पढ़ाई का हाल पूछते हैं और अक्सर चॉकलेट या बिस्कुट भी देते हैं। वाची के साथ भी ऐसा ही हुआ। बातचीत के बाद मुख्यमंत्री ने उसे बिस्कुट और चॉकलेट दी, जो वाची के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान ले आई।
‘मैं योगी जी से मिलकर आई हूं… उन्होंने एडमिशन कराने को कहा’
बाद में पत्रकारों से बातचीत में वाची ने खुशी के साथ बताया, “मैं योगी जी से मिलकर आई। मैंने उनसे कहा कि मेरा स्कूल में एडमिशन करवा दो। उन्होंने कहा कि मैं करवा दूंगा। उन्होंने मुझे बिस्कुट और चॉकलेट भी दी।” इस पूरे घटनाक्रम ने जनता दर्शन में उपस्थित सभी लोगों को एक पल के लिए भावुक कर दिया। कई लोगों ने कहा कि एक मुख्यमंत्री की व्यस्तताओं के बीच ऐसा कोमल भाव और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता देखकर लगता है कि शासन में अभी भी इंसानियत जिंदा है।
‘जनता दर्शन’ बना उम्मीदों का मंच
योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किया गया ‘जनता दर्शन’ अब सिर्फ एक औपचारिकता नहीं रह गया है। यह आम जनता के लिए एक ऐसा मंच बन चुका है, जहां वे सीधे मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं, अपनी समस्याएं रख सकते हैं और मदद की उम्मीद कर सकते हैं। वाची जैसे नन्हें फरियादी की मासूम मांग और उस पर तुरंत हुई कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि योगी आदित्यनाथ का प्रशासनिक रवैया जितना कठोर हो सकता है, उनका हृदय उतना ही कोमल और संवेदनशील भी है। जब देश में शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनती हैं, तब एक बच्ची की यह सरल प्रार्थना “मुझे स्कूल भेज दीजिए” कई सवाल खड़े करती है। और उस सवाल का जवाब जब एक मुख्यमंत्री मुस्कुराके देता है और तत्काल कार्रवाई का आदेश देता है, तो उम्मीदें और भी मजबूत होती हैं।