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August 14, 2025

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटा, हर मिनट बढ़ रही हताहतों की संख्या

The CSR Journal Magazine
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फट गया है। बादल फटने के बाद बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई है। जम्मू के किश्तवाड़ के चशोती इलाके में गुरुवार को बदल फटने से 38 लोगों की मौत हो गई। वहीं बादल फटने की घटना के बाद इलाके में बाढ़ आ गई है। राहत और बचाव का काम जारी है।

किश्तवाड़ में बादल फटने से मची तबाही

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के चिशोती इलाके में बादल फट गया है। बादल फटने के बाद बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई है। बादल फटने की सूचना मिलते ही प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया लेकिन मौसम बेहद खराब है और इस वजह से ऑपरेशन में काफी परेशानी आ रही है। बताया जा रहा है कि बादल फटने के बाद आई बाढ़ की वजह से कई लोग दूरदराज के इलाकों में फंस गए हैं। लोग मचैल माता मंदिर में आयोजित धार्मिक यात्रा में जुटे थे। किश्तवाड़ की घटना में 38 लोगों की मौत की आशंका है और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। लोग धार्मिक यात्रा के लिए मौके पर जुटे हुए थे। मौके पर टेंट लगे हुए थे और श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था की गई थी, तभी अचानक बादल फटने की घटना हुई। बादल फटने वाली जगह तक जाने वाली सड़क बह गई है। बचाव दल घटनास्थल पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।

गांव बह गया, रास्ते बह गए

जानकारी के मुताबिक, जिस इलाके में आपदा आई है, वहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इस गांव में आबादी संख्या में काफी ज्यादा है और बादल फटने की घटना के बाद आधे से ज्यादा गांव बह गया है। रास्ते तबाह हो गए हैं, जिससे रेस्क्यू टीमों को मौके पर पहुंचने में बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।

मचैल माता यात्रा के लिए इकट्ठा हुए थे लोग

मचैल माता यात्रा जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित मचैल मंदिर की एक वार्षिक तीर्थयात्रा होती है। यह यात्रा देवी दुर्गा के एक रूप, माता चंडी को समर्पित है। यह यात्रा भद्रवाह के चिनोट से शुरू होती है और मचैल मंदिर में खत्म होती है। बादल फटने की यह घटना तीर्थयात्रा मार्ग पर हुई है और अधिकारियों ने अभी तक हताहतों की अंदाजन संख्या 38 बताई है। शुरुआती रिपोर्ट्स से पता चलता है कि जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ है।

फारूक अब्दुल्ला ने लगातार जारी आपदाओं के लिए Global Warming को ज़िम्मेदार ठहराया

 जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के मुताबिक जिस जगह पर हादसा हुआ है, उसकी आबादी काफी ज्यादा है। ग्लोबल वॉर्मिंग की जो स्थिति हो गई है, इसमें हर जगह खतरा ही खतरा हो गया है। पिछले 15 दिनों में पुंछ, राजौरी और डोडा जैसे इलाकों में भारी बारिश हो रही है। मचैल माता मंदिर यात्रा गांव के बीच से गुजरती है, जिसमे हज़ारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इसलिए हजारों की संख्या में यात्रियों के फंसे होने की आशंका है। आस-पास सेना की डेल्टा फोर्सेज की टुकड़ियां भी बचाव कार्य में लगाई जाएंगी। NDRF, SDRF की टीमें और हेलीकॉप्टर जल्द से जल्द घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुट गए हैं। नुकसान का आकलन करने और बचाव एवं चिकित्सा कार्यों में समन्वय स्थापित करने के कोशिश जारी हैं। खराब मौसम और राजमार्ग पर भूस्खलन एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। कुछ बचाव दल पैदल ही आगे बढ़ते हुए जल्द से जल्द लोगों को बचाने के काम में लग गए हैं।

Red Cross की टीम ने राहत सामग्री पहुंचाई

घटना की जनकारी मिलने के बाद मोदी सरकार में मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्थानीय अधिकारियों से बात की और घटना की जानकारी हासिल की। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने मौके पर राहत कार्य के लिए कार्यवाही शुरू की है। उपायुक्त किश्तवाड़ ने तुरंत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) किश्तवाड़ और अन्य संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर एक टीम घटनास्थल पर भेजी। रेड क्रॉस की टीम भी राहत सामग्री के साथ घटनास्थल पर पहुंच गई।

मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी

दूसरी तरफ श्रीनगर मौसम केंद्र ने बताया है कि अगले 4-6 घंटों के दौरान जम्मू-कश्मीर के कई स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश और गरज/बिजली/तेज हवाओं के साथ हल्की तेज बौछारें पड़ने की संभावना है। कुपवाड़ा, बारामूला, बांदीपोरा, श्रीनगर, गांदरबल के कुछ स्थानों, बडगाम, पुंछ, राजौरी, रियासी, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़ के पहाड़ी इलाकों, काजीगुंड-बनिहाल-रामबन अक्ष पर थोड़े समय के लिए तेज बारिश हो सकती है। इसके अलावा कुछ संवेदनशील स्थानों और पहाड़ी इलाकों में बादल फटने, अचानक बाढ़, भूस्खलन और पत्थर गिरने की संभावना है। ढीली संरचनाओं, बिजली के खंभों, तारों और पुराने पेड़ों से दूर रहने की सलाह लोगों की दी गई है।
मौसम विभाग की ओर से वुलर झील, डल झील और अन्य जलाशयों में नौका विहार, शिकारा सवारी और अन्य गतिविधियों को स्थगित करने के लिए भी कहा गया है।

उपराज्यपाल ने घटना पर जताया दुख

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घटना पर दुख जताया है। उपराज्यपाल ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की है। सिविल, पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ अधिकारियों को बचाव और राहत अभियान को मजबूत करने और प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।

उत्तराखंड के धराली में तबाही

इससे पहले उत्तरकाशी के धराली में भयंकर बाढ़ आने के बाद बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। कई लोग मलबे के नीचे दब गए हैं। कई मकान, होटल और घर तबाह हो गए हैं और प्रशासन बीते कई दिनों से लापता लोगों की तलाश में बचाव अभियान चला रहा है। उत्तराखंड के कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है और कई जगहों पर भूस्खलन होने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
 देवभूमि उत्तराखंड में भारी बारिश जारी है जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। देहरादून में 1951 के बाद सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई है। राज्य में पहले ही 15 अगस्त तक के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था, जिसके चलते प्रसिद्ध केदारनाथ यात्रा को भी स्थगित कर दिया गया था।
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