New Chief Justice of India: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) ने बुधवार को भारत के 52 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति गवई को पद की शपथ दिलाई। BR Gavai ने CJI संजीव खन्ना का स्थान लिया। न्यायमूर्ति गवई देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होने वाले पहले बौद्ध सीजेआई और दलित समुदाय से दूसरे CJI हैं। इससे पहले पूर्व सीजेआई केजी बालाकृष्णन ने 2007 में पद संभाला था। न्यायमूर्ति गवई ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे सेवानिवृत्ति के बाद कोई कार्यभार नहीं लेंगे।
रिटायरमेंट के बाद CJI नहीं करेंगे ये काम!
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अपने पिता की तरह राजनीति में शामिल होंगे, तो न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। मैंने सेवानिवृत्ति के बाद कोई कार्यभार या पद नहीं लेने का फैसला किया है। कोई भी अन्य कार्यभार सीजेआई पद से नीचे है, राज्यपाल भी सीजेआई पद से नीचे है।”
कौन हैं BR Gavai?
न्यायमूर्ति BR Gavai प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ RS गवई के पुत्र हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल थे। वे एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो बीआर अंबेडकर के आदर्शों को बढ़ावा देने में गहराई से लगा हुआ है। उनके पिता एक प्रमुख अम्बेडकरवादी और पूर्व संसद सदस्य थे। महाराष्ट्र के एक गांव में जन्मे न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि उन्हें अब भी साल में तीन बार अपने गांव जाना पसंद है, खास तौर पर अपने दिवंगत पिता की जयंती और पुण्यतिथि पर और अपने गांव में होने वाले वार्षिक मेले के दौरान।
1985 में बार के मेंबर
24 नवंबर, 1960 को अमरावती में जन्मे न्यायमूर्ति गवई 16 मार्च, 1985 को बार में शामिल हुए और बॉम्बे हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 17 जनवरी, 2000 को नागपुर बेंच के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। उन्हें 14 नवंबर, 2003 को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और नवंबर 2005 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ती गवई को 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
700 से ज्यादा बेंच का रहे हैं हिस्सा, 6 महीने का है कार्यकाल
पिछले छह वर्षों में, वे संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, नागरिक कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता कानून, बिजली कानून, शिक्षा मामले, पर्यावरण कानून आदि सहित विभिन्न विषयों से संबंधित मामलों से निपटने वाली लगभग 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं। न्यायमूर्ति गवई 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।