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April 1, 2025

Chaitra Navratri: स्त्री के आदिशक्ति जगतजननी मां दुर्गा रूप का उत्सव

Chaitra Navratri: पूरे देश भर में आज, 30 मार्च से आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना का पावन पर्व Chaitra Navratri का शुभारंभ बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्रद्धालु आज से पूरे 9 दिनों तक व्रत उपवास और पूजा पाठ के द्वारा मां दुर्गा की आराधना के साथ नव वर्ष की शुरुआत करेंगे।
Chaitra Navratri: सनातन सभ्यता अति प्राचीन है। आदि काल में भारत भूमि पर तैंतीस कोटि देवी देवताओं का वास रहा है, जिनके स्वभाव, संस्कार, दृष्टि, वृत्ति व कर्म सदैव स्व-धर्म यानी आत्मिक शांति, सुख, प्रेम, पवित्रता, सदाचार, सहयोग व सद्भाव की रही है। सनातन संस्कृति की जननी हिंदू सभ्यता है, जिसमें हमारे पूर्वज देवी-देवताओं के पवित्र, सतोगुणी कर्म व जीवन प्रणाली का स्मरण करने हेतु अनेक पर्व-त्यौहार व उत्सव मनाए जाते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, यानि Chaitra Navratri विशेष उत्सव है, जिसे हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं, इसी दिन से आदि पिता ब्रह्मा ने सृष्टि रचने का कार्य प्रारंभ किया। जिस प्रकार सूर्योदय से पूर्व काल को अमृत वेला कहते हैं, वैसे पूरे साल के लिए हमारी वृति, वातावरण, आचरण, प्रवृत्ति व पर्यावरण को नए सिरे से स्वस्थ, स्वच्छ, संतुलित, सुखद, समृद्ध व शक्तिशाली बनाने की शुभ वेला भी यह तिथि यानि Chaitra Navratri है।

Chaitra Navratri से नव वर्ष की शुरुआत

यह भी मान्यता है कि Chaitra Navratri: स्त्री के आदिशक्ति जगतजननी मां दुर्गा रूप का उत्सव हिंदू नववर्ष में Navratri आदि पर्वों का मूल उद्देश्य है, श्रद्धालुओं को दैवी गुणों, सनातनी संस्कृति, सात्विक खानपान, स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित करना, लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर कराना, मानव जीवन और समाज में दया, करुणा, मैत्री, स्नेह, एकता, भाईचारा व वसुधैव कुटुंबकम जैसे सकारात्मक गुण, शक्ति, वैश्विक मूल्य, आदर्श, सनातनी संकल्प व श्रेष्ठ संस्कारों को बढ़ावा देना। संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति (Chaitra Navratri 2025) ही है, जिसे ब्रह्मा विष्‍णु व महेश तीनों ने मिलकर मां नवदुर्गा के रूप में सृजित किया। इसलिए मां दुर्गा में ब्रह्मा विष्‍णु एवं शिव तीनों की शक्तियां समाई हुई हैं। जगत की उत्पत्ति, पालन एवं लय, तीनों व्यवस्थाएं जिस शक्ति के आधीन संपादित होती हैं वही हैं पराम्बा मां भगवती आदिशक्ति।
Chaitra Navratri का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। नवरात्र देवी भगवती की उपासना के माध्यम से आत्मिक शक्ति, मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने का एक दुर्लभ अवसर होता है। Navratri के 9 दिनों में आहार-विहार का संयम व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करने का कार्य करता है। देवी दुर्गा इच्छा, ज्ञान और क्रिया शक्ति की प्रतीक हैं। वह संपूर्ण ब्रह्मांड की आधारभूत और क्रियात्मक शक्ति के रूप में आराधित होती हैं। Navratri का माहात्म्य सर्वोपरि इसलिए भी है, क्यूंकि इसी कालखंड में देवताओं ने दैत्यों से परास्त होकर आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी और उनकी पुकार सुनकर देवी मां का आविर्भाव हुआ। उनके प्राकट्य से दैत्यों के संहार करने पर देवी मां की स्तुति देवताओं ने की थी। Navratri राक्षस महिषासुर पर देवी मां दुर्गा की विजय का प्रतीक है, जो नकारात्मकता के विनाश और जीवन में सकारात्मकता के पुनरुद्धार का प्रतीक है।
निराकार परमेश्वर, जो न स्त्री है न पुरुष, को जब सृष्टि की रचना करनी होती है तो वे आदि पराशक्ति के इच्छा रूप में ब्रह्मांड की रचना, जननी रूप में संसार का पालन और क्रिया रूप में पूरे ब्रह्मांड को गति तथा बल प्रदान करते हैं। नवरात्र मां के अलग-अलग रूप के अविलोकन करने का दिव्य पर्व है। माना जाता है कि Navratri में किए गए प्रयास, शुभ-संकल्प बल के सहारे देवी दुर्गा की कृपा से सफल होते हैं। काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ आदि जितनी भी राक्षसी प्रवृतियां हैं, उसका हनन करके उनपर विजय पाने के प्रतीकात्मक रूप में Navratri का उत्सव मनाया जाता है।

स्त्री के शक्ति और जननी रूप की आराधना का पर्व Navratri

व्यक्ति जीवनभर या पूरे वर्षभर में जो भी कार्य करते-करते थक जाता है, तो इससे मुक्त होने के लिए इन नौ दिनों में शरीर की, मन की, और बुद्धि में शुद्धि के लिए, सत्व शुद्धि के लिए व्रत-तप कर पवित्र होने का पर्व है Navratri! नवरात्र का उत्सव बुराइयों से दूर रहने का प्रतीक है। यह लोगों को जीवन में उचित एवं पवित्र कार्य करने और सदाचार अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस पर्व पर सकारात्मक दिशा में कार्य करने पर मंथन करना चाहिए, ताकि समाज में सद्भाव के वातावरण का निर्माण हो सके। Navratri आहार की शुद्धि के साथ मंत्र की उपासना का भी काल है।
देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का यह पर्व हमें मातृशक्ति की उपासना तथा सम्मान की प्रेरणा देता है। समाज में नारी के महत्व को प्रदर्शित करने वाला यह पर्व हमारी संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है। मां ही आदिशक्ति हैं, मां ही सर्वगुणों का आधार हैं, राम-कृष्ण, गौतम, कणाद आदि ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं की जननी हैं। नारी इस सृष्टि और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जीवन के सकल भ्रम, भय, अज्ञान और अल्पता का भंजन एवं अंतःकरण के चिर-स्थायी समाधान करने में समर्थ है विश्वजननी कल्याणी ललिता राजराजेश्वरी पराशक्ति श्री मां दुर्गा जी की उपासना का यह दिव्य पर्व (Chaitra Navratri) चैत्र नवरात्र!

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