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August 23, 2025

केदारनाथ और हेमकुंड साहिब पहुंचेंगे रोपवे के जरिए मिनटों में

The CSR Journal Magazine
 केंद्र सरकार ने केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के लिए Ropeway Project को मंजूरी दे दी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इन परियोजनाओं पर डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण-Design, Build, Finance, Operate and Transfer (DBFOT) मोड पर काम कराया जाएगा जिन्हें चार से छह वर्ष में पूरा किया जाएगा। दोनों रोपवे परियोजनाओं को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (NHLML) द्वारा बनाया जाएगा।

Ropeway परियोजना को केंद्र सरकार की मंजूरी

बुधवार को कैबिनेट ने National Ropeway Development Programme-पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना के विकास को मंजूरी दी।गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी रोपवे परियोजना को DBFOT मोड पर तैयार किया जाएगा। ये 10.55 किलोमीटर तक गोविंदघाट से घांघरिया तक और 1.85 किलोमीटर घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक बनाया जाएगा। इस परियोजना पर 2730.13 करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है। करीब 15 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब की यात्रा गोविंदघाट से 21 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है। यहां स्थापित गुरुद्वारा मई से सितंबर के बीच साल में लगभग 5 महीने के लिए खुलता है।

Ropeway से मिलेगा ज्यादा वक़्त

इस रोपवे से हेमकुंड साहिब के दर्शन के साथ ही Valley Of Flowers का दौरा करने वाले पर्यटकों को भी सुविधा होगी जो घांघरिया से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। इस तीर्थ पर हर साल करीब दो लाख यात्री पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय हेमकुंड साहिब में चार से पांच घंटे ही दर्शन हो पाते हैं। रोपवे बनने के बाद दिन में दस घंटे तक दर्शन की सुविधा संभव हो सकेगी। रोपवे के माध्यम से एक दिन में करीब 1100 यात्री आ जा सकेंगे।

9 घंटे की केदार यात्रा 36 मिनट में, हेमकुंड साहिब 42 मिनट में

उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ 12.9 किलोमीटर लम्बी रोपवे परियोजना के निर्माण पर 4081.28 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां बनने वाले रोपवे को Public-Private Partnership (PPP) में विकसित करने की योजना है और यह परियोजना सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला-3S तकनीक पर आधारित होगी। इसकी डिजाइन क्षमता 1800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा होगी, जिसकी प्रति दिन 18,000 यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने की क्षमता होगी। गोंडोला मिनी बस के समान होगा, जिसमें एक बार में 36 यात्री सवारी कर सकेंगे। रोपवे निर्माण से केदारनाथ की यात्रा गौरीकुंड से 16 किलोमीटर चढ़ाई में 8 से 9 घंटे की अवधि घटकर 36 मिनट रह जाएगी।

तीर्थयात्रियों को मिलेगी आरामदायक यात्रा

प्रस्तावित Ropeway की योजना मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करने और सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में 6 से 7 महीने में हर साल लगभग 20-25 लाख तीर्थयात्री पहुंचते हैं। Ropeway के निर्माण से यह संख्या 25-30 लाख हो जाएगी। सूचना प्रसारण मंत्री ने बताया कि दोनों परियोजनाओं को मंजूरी देने से पहले पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर गहराई से विचार किया गया है और सभी चिंताओं का समाधान किया गया है। रोपवे का संचालन उत्तराखंड रोपवे अधिनियम 2014 के अंतर्गत किया जाएगा। केदारनाथ एवं हेमकुंड साहिब के लिए माल पहुंचाने के लिए भी रोपवे सेवा बहुत उपयोगी साबित होगी। सामान के परिवहन की लागत घटने से यात्रियों को भी लाभ होगा।

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