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March 31, 2025

‘डमी स्कूलों’ में पढ़ने वाले स्टूडेंट नहीं दे पाएंगे बोर्ड्स परीक्षा, CBSE का सख्त आदेश 

Dummy School: CBSE बोर्ड की ओर से Dummy Schools के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्णय लेते हुए इन स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई है। यह कार्रवाई Delhi और Rajasthan के 21 Dummy Schools पर की गई है। Dummy School में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए बुरी खबर है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने Dummy स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए इन स्कूलों के छात्रों पर Board Exams में ना बैठ पाने की बंदिश लगा दी है। Delhi और Rajasthan के 21 स्कूलों की Affiliation को खत्म किया गया है, और छह स्कूलों को डाउनग्रेड किया गया है। बोर्ड ने यह कदम उन स्कूलों  के खिलाफ उठाया है जो स्टूडेंट्स को नियमित कक्षाओं को Attend न करने की छूट देते हैं, और इन्हें केवल Board Exams के लिए ही स्कूल जाना होता है। इसकी वजह से शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर देखने को मिल रहा है।

क्या होते हैं Dummy School

Dummy School ऐसे संस्थान होते हैं, जहां छात्रों का Admission तो होता है, लेकिन छात्र नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते, और केवल बोर्ड परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं। यह व्यवस्था ख़ासकर Medical और Engineering प्रवेश परीक्षाओं के लिए बनाई गई है, ताकि स्कूल आने जाने में लगने वाला समय बचाया जा सके और उसे और उसे प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में लगाया जा सके। इस तरह के छात्र इंजीनियरिंग या मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को लेकर कोचिंग में रेगुलर स्टडी करते हैं। ये स्कूल में न्यूनतम उपस्थिति भी नहीं बनाते। इस प्रथा ने शिक्षा प्रणाली की मूल भावना के खिलाफ और छात्रों के समग्र विकास में रुकावट डाली है।

CBSE की सख्त कार्रवाई

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो CBSE ने दिसंबर 2024 में दिल्ली, बेंगलुरु, वाराणसी, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 29 स्कूलों में अचानक निरीक्षण किया। इन निरीक्षणों में सामने आया कि कई स्कूलों में छात्र नियमित कक्षाओं में मौजूद थे ही नहीं। ये इसके आधार पर बोर्ड ने 18 स्कूलों को ‘कारण बताओ’ नोटिस दिया और इन स्कूलों की एफलिएशन (Affiliation) को रद्द कर दिया गया है। CBSE के नियमों के तहत बोर्ड परीक्षाओं में बैठने को लेकर छात्रों का नियमित रूप से कक्षाओं में हाजिर होना और न्यूनतम उपस्थिति की शर्त को पूरा करना जरूरी है। शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से बताया कि डमी प्रवेश की प्रथा को रोकने को लेकर स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहने वाली है। स्कूलों को निर्देश दिया गया कि वे Attendance से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन करें और छात्रों को नियमित कक्षाओं में जाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें।

Coaching Centres हैं Dummy School की वजह

अभिभावक अपने बच्चों को कितने ही महंगे स्कूलों में पढ़ा लें, लेकिन उन्हें यह डर रहता है कि बिना Coaching के बच्चों के अच्छे अंक नहीं आएंगे। इसके पीछे स्कूलों द्वारा सही तरीक़े से पढ़ाई न कराने की सीधी-सी कहानी है। आज पूरे भारत में जितने भी स्कूल हैं, उनमें से ज़्यादातर स्कूलों के प्रबंधकों की Coaching Centers से मिलीभगत है, जिसके दम पर अब Dummy School फल-फूल रहे हैं। ये Dummy School अवैध रूप से विद्यार्थियों को नियमित Classes न देकर छोटी-बड़ी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं, विशेष रूप से NEET, JEE और दूसरी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए कोचिंग करने पर ज़ोर देते हैं। हैरानी की बात यह है कि यह सब CBSE की नाक के नीचे होता है। इन कोचिंग सेंटरों और डमी स्कूलों के बीच गहरा सम्बन्ध है। जो अभिभावक और छात्र NEET/JEE कोचिंग के लिए इन संस्थानों से संपर्क करते हैं, उन्हें Dummy School में प्रवेश के अनुरोध के साथ-साथ संस्थानों द्वारा बिचौलियों की सहायता प्रदान की जाती है। ये बिचौलिये Delhi-NCR में सीबीएसई-संबद्ध डमी स्कूलों की सूची जुटाकर हर हफ़्ते कोचिंग सेंटर्स के कुछ दौरे करते हैं, जहां इच्छुक विद्यार्थियों को प्रवेश मिल सकता है। ये बिचौलिये विद्यार्थियों को डमी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के बदले में कोचिंग सेंटर्स से अच्छा खासा कमीशन लेते हैं। Dummy School में प्रवेश प्रक्रिया केवल 11वीं कक्षा में होती है। माता-पिता / अभिभावक और विद्यार्थी खुले तौर पर डमी स्कूलों के लिए अपनी प्राथमिकता व्यक्त करते हैं। वे अपने बच्चों को कोचिंग सेंटर्स के माध्यम से ऐसे चयनित CBSE स्कूलों में दाख़िला दिलाते हैं, जहां उन्हें कक्षा में जाकर पढ़ने की आवश्यकता नहीं होती है। यद्यपि विद्यार्थी डमी स्कूलों को भी मासिक शुल्क (Monthly Fee) देते हैं, लेकिन वे स्कूल की नियमित कक्षाओं में पढ़ने नहीं जाते हैं। इसकी जगह वे Coaching Centers में पढ़ाई करते हैं। Dummy Schools में इन अनुपस्थित विद्यार्थियों की उपस्थिति नियमित मासिक शुल्क के बदले में स्कूल प्रशासन द्वारा दर्ज की जाती है। विद्यार्थियों को केवल इन डमी स्कूलों की वार्षिक परीक्षा / मुख्य परीक्षाओं में ही शामिल होना होता है।
शिक्षकों का तर्क है कि Dummy School देश में स्कूली शिक्षा प्रणाली को कमज़ोर कर रहे हैं। वे CBSE से स्कूलों का निरीक्षण करने और उन स्कूलों की पहचान करने का आग्रह करते हैं, जो निजी कोचिंग सेंटर्स के साथ मिले हुए हैं। कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि यह अनुचित शिक्षा प्रणाली अनियंत्रित हो गयी, तो ज़्यादातर स्कूल भी इसका अनुसरण करेंगे, जिससे समग्र शिक्षा व्यवस्था में गिरावट आएगी और स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चौपट होने लगेगी। एक जनहित याचिका (PIL) से पता चलता है कि दिल्ली के स्कूलों में अन्य राज्यों के छात्रों को दाख़िला देने के लिए Dummy Schools का भी उपयोग किया जाता है, जिससे वे Delhi University के कॉलेजों में 85 प्रतिशत कोटा के लिए Eligible हो जाते हैं। अन्य लोग परीक्षा की तैयारी के लिए Dummy School पसंद करते हैं, क्योंकि यह हर दिन स्कूल और Coaching Center, दोनों में Compulsorily जाने के झंझट से मुक्ति दिलाता है।

 CBSE को Delhi High Court की फटकार

पिछले साल सितंबर में Delhi High Court ने दिल्ली में CBSE से संबद्ध स्कूलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग वाली याचिका के जवाब में दिल्ली सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को नोटिस जारी किया था। ये स्कूल कथित तौर पर कक्षा 11 और 12 के छात्रों को डमी स्कूलों द्वारा शिक्षा देने के अवैध कारोबार में शामिल थे। CBSE द्वारा Dummy Students को नामांकित करने के लिए दिल्ली के पांच स्कूलों सहित 20 स्कूलों को असंबद्ध करने के बावजूद डमी स्कूलों का अवैध धंधा धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। यह ‘अखिल भारतीय व्यवसाय’ एक दशक से अधिक समय से चल रहा है। शिक्षा मंत्रालय ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि डमी एडमिशन वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जा रही है और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। CBSE के नियमों के अनुसार, नियमित स्कूल आना और न्यूनतम उपस्थिति Attendance की शर्त पूरी करना जरूरी है। स्कूलों को समय-समय पर अटेंडेंस नियमों का पालन करने के निर्देश दिए जाते हैं। अगर किसी स्कूल के डेटा में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। इसके बाद CBSE की टीम द्वारा स्कूल का निरीक्षण किया जाता है, और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होती है।

डमी एडमिशन से बढ़ रही समस्या

देश में Dummy Admission एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आमतौर पर, 9वीं कक्षा के बाद ही छात्र स्कूल जाना छोड़ देते हैं और कोचिंग सेंटरों में मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करने लगते हैं। इससे शिक्षा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। CBSC ने इस समस्या को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अब बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए स्कूलों में नियमित उपस्थिति जरूरी होगी। Dummy School की समस्या को खत्म करने के लिए CBSC ने जो सख्त कदम उठाए हैं, वे शिक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद करेंगे। इससे छात्रों को अनुशासन का महत्व समझ में आएगा और वे कोचिंग के साथ-साथ नियमित स्कूल शिक्षा पर भी ध्यान देंगे।

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