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April 30, 2025

Caste Census Explained in Hindi: देश में आजादी के बाद पहली बार होगी जातिगत जनगणना, क्या है और इसकी क्यों जरुरत पड़ी!

Caste Census Explained in Hindi: जाति जनगणना पर मोदी सरकार ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। सड़क से लेकर संसद तक सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर थी। बुधवार को सरकार ने एक ऐलान से इस घेराबंदी को तोड़ दिया। अब अगली जनगणना होगी तो आपकी जाति पूछी जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के बाद जैसी ही इसकी जानकारी दी, सियासी हलचल मच गई। कांग्रेस, आरजेडी समेत विपक्षी नेता इसे अपनी जीत बता रहे हैं तो वहीं सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।  कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार सरकार से देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। Caste Census In India

प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर होती है जनगणना Caste Census Explained in Hindi

जनगणना 1951 से प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर की जाती थी, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण जनगणना टल गई थी। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने का काम बाकी है। अभी तक जनगणना की नई तारीख का आधिकारिक तौर पर एलान भी नहीं किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, जनगणना के आंकड़े 2026 में जारी किए जाएंगे। इससे भविष्य में जनगणना का चक्र बदल जाएगा। जैसे 2025-2035 और फिर 2035 से 2045। Caste Population in India

Caste Census Explained in Hindi: क्यों अहम है जनगणना?

जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। इससे न सिर्फ जनसंख्या बल्कि जनसांख्यिकी, आर्थिक स्थिति कई अहम पहलुओं का पता चलता है। विपक्षी कांग्रेस समेत तमाम सियासी पार्टियां जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं, ताकि देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की कुल संख्या का पता चल सके।

पहली जनगणना 1872 और आखिरी 2011 में हुई थी

भारत में हर दस साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी, जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था।

Caste Census Explained in Hindi: जाति जनगणना क्या है (What is Caste Census?)

जाति जनगणना में भारत की आबादी की गिनती जाति की कैटेगरी में बांटकर की जाती है। अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की गिनती 1951 से हर जनगणना में की जाती रही है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और उप-जातियों का डेटा जारी नहीं किया गया। इससे पॉलिसी बनाने में एक गैप आया।

जाति जनगणना की जरूरत क्यों है  (Why Caste Census is Important?)

जातियों के अंदर सामाजिक और आर्थिक आधार पर कितनी असमानता है, यह पहचानने और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करने में मदद करता है। पॉलिसी बनाने में सरकार को मदद मिलती है। मौजूदा रिजर्वेशन पॉलिसी में बदलाव के लिए डेटा मिलता है। बिहार की 2023 की जाति जनगणना से पता चला कि 84% आबादी OBC, अति पिछड़ा वर्ग (EBC), और SC से संबंधित है।

जाति जनगणना का इतिहास

भारत में जनगणना 1871 से नियमित रूप से होती रही। पहली पूर्ण जनगणना 1881 में हुई थी। आखिरी बार 1931 में ब्रिटिश शासन में जाति डेटा जुटाया गया था।

संविधान क्या कहता है?

हमारा संविधान भी जाति जनगणना के पक्ष में है। अनुच्छेद 340 सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े तबकों की स्थिति की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त करने और उसकी सिफारिशों पर अमल की बात कहता है। 1961 से 2001 तक की जनगणना में सरकारें जाति जनगणना से बचती रहीं। 2011 की जनगणना में पहली बार जाति आधारित डेटा (सामाजिक-आर्थिक जाति) जुटाया गया, लेकिन इसे पब्लिक नहीं किया गया। 1931 की जनगणना रिपोर्ट में कुल 4147 जातियां थीं। 1941 की जनगणना में जाति जनगणना की गई, लेकिन इसे पब्लिश नहीं किया गया। आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना में हुई। यह ब्रिटिश शासन की जनगणना से पूरी तरह अलग थी। सर्वे का तरीका भी बदला गया। 1980 के मंडल आयोग की रिपोर्ट 1931 की जनगणना पर आधारित था। 2011 की जनगणना में 46 लाख जातियां मिली थीं। 2021 में होने वाली जनगणना कोरोना के कारण टल गई थी। यह अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं (Political Reactions)

जातिगत जनगणना को लेकर राजनीति गर्म है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दल इसकी लंबे समय से मांग कर रहे हैं। राहुल गांधी ने इसे “भारत का एक्स-रे” बताया है और कहा कि इससे गरीब और पिछड़े वर्गों की सच्चाई सामने आएगी। वहीं, कुछ दलों और वर्गों को आशंका है कि इससे समाज में जातिगत भेदभाव और तनाव बढ़ सकते हैं। Caste Census Politics, Rahul Gandhi Caste Statement

जातिगत जनगणना के फायदे (Benefits of Caste Census)

नीति निर्धारण में मदद: सरकार को वास्तविक जरूरतमंदों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने में आसानी होगी।
शैक्षणिक और सामाजिक योजना: शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक कल्याण योजनाएं बेहतर बनाई जा सकेंगी।
आरक्षण की समीक्षा: आरक्षण की समीक्षा तथ्यों के आधार पर हो सकेगी न कि अनुमान से।

चुनौतियां और आशंकाएं (Challenges & Concerns)

जातिवाद को बढ़ावा: कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जातिगत पहचान और राजनीति और अधिक गहरी हो सकती है।
राजनीतिक दुरुपयोग: आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
तकनीकी और डेटा गोपनीयता: इतने बड़े स्तर पर डेटा इकट्ठा करना और उसका सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है।
जातिगत जनगणना भारत के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को समझने का एक अहम जरिया बन सकती है। इससे न केवल नीति निर्माण में मदद मिलेगी बल्कि Social Justice को ज़मीनी हकीकत में बदला जा सकेगा। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी, वैज्ञानिक और निष्पक्ष हो, ताकि इसका फायदा वास्तव में उन वर्गों को मिले जो सालों से हाशिये पर हैं।

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