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October 26, 2025

आगरा एक्सप्रेस-वे पर चलती बस में लगी भीषण आग, ड्राइवर की सूझबूझ से बचीं 39 जानें

The CSR Journal Magazine
आगरा एक्स्प्रेसवे पर दिल्ली से आ रही एक डबल डेकर बस में रेवरी टोल प्लाज़ा के पास आग लग गई। बस के पिछले पहिये में आग लगने से बस पूरी की पूरी जल गई। हालांकि बस में सवार सभी 39 यात्री पूरी तरह सुरक्षित बच गए। सूचना मिलने पर फायर ब्रिगैड ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पा लिया। हाल के दिनों में लगातार हो रही बस आगजनी की घटनाओं ने बस से यात्रा करने वाले लोगों में भय पैदा कर दिया है।

आगरा- लखनऊ एक्स्प्रेसवे पर आग में खाक हुई पूरी बस

आगरा, 26 अक्टूबर- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर शुक्रवार रात एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब यात्रियों से भरी एक चलती डबल डेकर बस में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते बस आग के गोले में तब्दील हो गई। बस में कुल 39 यात्री सवार थे, लेकिन ड्राइवर की सूझबूझ से सभी को समय रहते बाहर निकाल लिया गया। हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, हालांकि यात्रियों का सामान और बस पूरी तरह जलकर खाक हो गई।जानकारी के अनुसार, डबल डेकर बस दिल्ली से गोरखपुर जा रही थी। आगरा एक्सप्रेस-वे के पास फिरोजाबाद जिले के टुंडला क्षेत्र में अचानक बस के पिछले हिस्से से धुआं उठता दिखाई दिया। ड्राइवर ने तुरंत बस को किनारे लगाया और यात्रियों को नीचे उतरने को कहा। कुछ ही मिनटों में बस में भीषण आग भड़क गई। यात्रियों ने किसी तरह जान बचाकर सड़क किनारे भागकर शरण ली।

दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं

सूचना मिलते ही दमकल विभाग की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। आग इतनी तेज थी कि बस का ढांचा ही बाकी रह गया। आग लगने के कारणों का अभी स्पष्ट पता नहीं चल सका है, लेकिन शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट या इंजन ओवरहीटिंग को वजह माना जा रहा है।

बस यात्रियों ने बताया डरावना मंजर

घटना के समय बस में सवार यात्रियों ने बताया कि अचानक धुआं और लपटें उठते देख सभी में हड़कंप मच गया। कई यात्री नीचे उतरते समय गिर पड़े, जबकि कुछ ने अपने बच्चों को खिड़की से बाहर फेंककर जान बचाई। स्थानीय लोगों ने भी मौके पर पहुंचकर यात्रियों की मदद की और पुलिस को सूचना दी।

प्रशासन ने दी राहत

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन और एक्सप्रेस-वे प्रबंधन की टीमें भी पहुंचीं। यात्रियों को पास के ढाबों और पुलिस चौकियों में ठहराया गया तथा उन्हें आगे की यात्रा के लिए दूसरी बसों की व्यवस्था की गई। एसडीएम टुंडला ने बताया कि सभी यात्री सुरक्षित हैं और जांच जारी है।

बड़ा हादसा टल गया

अगर ड्राइवर ने समय पर बस नहीं रोकी होती, तो यह हादसा बड़ी जान-माल की हानि में बदल सकता था। यात्रियों ने ड्राइवर की तत्परता की सराहना की और उसे “वास्तविक हीरो” बताया। तेज रफ्तार और लंबी दूरी की बसों में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यह जरूरी है कि बसों की तकनीकी जांच, वायरिंग निरीक्षण और इंजन सर्विसिंग नियमित रूप से की जाए ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सिस्टम की खामियों और सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल

बेंगलुरु, जैसलमेर, कुरनूल में चलती बस के आग में जलकर ख़ाक होने के मामलों के बाद आज आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर शुक्रवार रात हुई बस आग की घटना ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा, वाहन निरीक्षण और आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। डबल डेकर बस में सवार 39 यात्रियों की जान तो ड्राइवर की सूझबूझ से बच गई, लेकिन बस के जलने का दृश्य देश की सड़क सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है।

रखरखाव की कमी और तकनीकी लापरवाही

प्रारंभिक जांच में इंजन ओवरहीटिंग या वायरिंग शॉर्ट सर्किट की आशंका जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कई निजी ट्रांसपोर्ट कंपनियां लागत बचाने के लिए वाहनों का नियमित सर्विसिंग, बैटरी निरीक्षण और फ्यूल लाइन चेक नहीं करातीं। कई बार बसों की वायरिंग में सस्ते तारों का इस्तेमाल आग लगने की प्रमुख वजह बनता है। इंजन में ऑयल लीकेज और खराब कूलिंग सिस्टम से ओवरहीटिंग का खतरा बढ़ता है। डबल डेकर बसों में ऊपरी तल के एयर-कंडीशनर और बैटरी कनेक्शन के कारण आग फैलने की संभावना और अधिक रहती है।

आग से बचाव के सुरक्षा मानकों की अनदेखी

भारत में चलने वाली अधिकांश लंबी दूरी की बसों में आपातकालीन एग्जिट, फायर एक्सटिंग्विशर और अलार्म सिस्टम या तो खराब रहते हैं या उपलब्ध ही नहीं होते। यात्रियों के अनुसार, आग लगने के समय बस में कोई फायर सेफ्टी उपकरण नहीं था। ड्राइवर और कंडक्टर को भी ऐसे हादसों से निपटने का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। यह स्थिति यह दर्शाती है कि देश में सड़क परिवहन विभाग के पास सुरक्षा मानकों को लागू करने का तंत्र तो है, लेकिन उसका जमीनी अनुपालन बेहद कमजोर है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और जिम्मेदारी

फिरोजाबाद प्रशासन ने तत्काल राहत पहुंचाई और जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन इस तरह के हादसे अक्सर “जांच और मुआवजे” तक सीमित रह जाते हैं। सवाल यह है कि-
क्या सड़क पर चलने वाली हर बस की समय-समय पर तकनीकी जांच होती है?
क्या निजी ट्रैवल ऑपरेटरों से सुरक्षा प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है?
और क्या यात्रियों को ऐसे वाहनों में यात्रा से पहले सुरक्षा जानकारी दी जाती है?

विशेषज्ञों की राय

परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं और वाहन आग की घटनाओं का 30 प्रतिशत कारण रखरखाव की कमी और तकनीकी खराबी है। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि हर तीन महीने में बसों का सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य किया जाए। निजी ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों के लिए “फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट” जरूरी किया जाए। ड्राइवरों को आपातकालीन प्रशिक्षण और फायर हैंडलिंग कोर्स से गुजरना अनिवार्य किया जाए।
आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुआ यह हादसा भले ही किसी की जान नहीं ले सका, लेकिन यह सिस्टम की निष्क्रियता और लापरवाही का आईना जरूर बन गया है। ड्राइवर की तत्परता से 39 लोग बच गए, पर अगली बार इतनी किस्मत हर किसी की नहीं हो सकती। अब जरूरी है कि सरकार और परिवहन विभाग केवल जांच न करें, बल्कि सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ठोस सुधारात्मक कदम उठाएं।
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