लॉजिस्टिक स्टार्ट अप कंपनी Wintrack Inc ने चेन्नई कस्टम पर रिश्वत मांगने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। कंपनी ने भारत में कारोबार बंद करने का ऐलान किया है। वहीं, चेन्नई कस्टम ने इन आरोपों को खारिज किया है।
देश छोड़ रही Wintrack Inc कंपनी, कस्टम्स ने किया नाक में दम
इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट के कारोबार में लगी एक कंपनी ने चेन्नई कस्टम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कंपनी ने कस्टम अधिकारियों पर रिश्वत मांगने और उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। इसके बाद कंपनी ने भारत में अपना कारोबार भी बंद करने का ऐलान किया है। हालांकि, चेन्नई कस्टम ने इन सब आरोपों को खारिज कर दिया है। इस बीच वित्त मंत्रालय ने कंपनी के आरोपों की जांच के आदेश भी दे दिए हैं।
यह सारा मामला लॉजिस्टिक कंपनी Wintrack Inc से जुड़ा है। यह एक स्टार्टअप है, जिसे प्रावीन गणेशन ने शुरू किया था। गणेशन ने दावा किया है कि चेन्नई कस्टम ने उनके माल को रोक दिया था और रिश्वत देने के बाद ही इसे छोड़ा गया था।
चेन्नई कस्टम ने किया आरोपों का खंडन
चेन्नई कस्टम ने Wintrack Inc के सभी आरोपों का खंडन किया है। चेन्नई कस्टम ने दावा किया है कि कंपनी की सोशल मीडिया पोस्ट एक सोची-समझी रणनीति है। चेन्नई कस्टम का कहना है कि जब जांच का सामना करना पड़ता है तो भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए जाते हैं। इस बीच मामला सामने आने के बाद वित्त मंत्रालय ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट को इसकी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने को कहा है।
’45 दिन से परेशान कर रहे हैं’
From October 1, 2025, our company will cease import/export activities in India.
For the past 45 days, Chennai Customs officials have relentlessly harassed us.
After exposing their bribery practices twice this year, they retaliated, effectively crippling our operations and… pic.twitter.com/PmGib8srmM
— WINTRACK INC (@wintrackinc) October 1, 2025
1 अक्टूबर की सुबह-सुबह Wintrack ने X पर एक पोस्ट की, जिसमें बताया कि कंपनी भारत में अपना कारोबार बंद कर रही है। इसमें Wintrack ने Chennai Customs पर ‘परेशान करने’ का आरोप लगाया था। Wintrack ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘1 अक्टूबर से हम भारत में इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस बंद कर रहे हैं। पिछले 45 दिन से चेन्नई कस्टम के अधिकारी हमें लगातार परेशान कर रहे हैं।’ कंपनी ने आगे दावा किया, ‘साल में दो बार उनकी रिश्वतखोरी का पर्दाफाश करने के बाद उन्होंने जवाबी कार्रवाई की, जिससे भारत में हमें काम करने में बाधा पैदा हुई और हमारा कारोबार तबाह हो गया। हम उन सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने इस कठिन समय में हमारा साथ दिया।’
यूसुफ उंझावाला ने किया सपोर्ट
कंपनी की इस पोस्ट पर यूसुफ उंझावाला ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘एक इम्पोर्टर होने के नाते मैं इस दर्द को समझ सकता हूं। मेरा अपना एक्सपीरियंस और दूसरे इम्पोर्टर से सुनने के बाद पता चला कि माल की कीमत का 10 से 50 प्रतिशत तक मांगा जा सकता है। या फिर माल की जांच करने की धमकी देते हैं। इसमें समय लगता है और कारोबार का नुकसान होता है। इसलिए हमारे पास समझौता करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होता।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘जो कोई भी कहता है कि ऐसा नहीं होता, वह झूठ बोल रहा है। कोई भी सरकार से नहीं जीत सकता। छोटे कारोबारी तो बिल्कुल भी नहीं।’
6 लाख के माल पर 2 लाख की रिश्वत
इसके बाद 2 अक्टूबर को दोपहर में प्रावीण गणेशन ने X पर एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ 6,693 डॉलर के माल के लिए उन्होंने 2.10 लाख रुपये की रिश्वत दी थी।वीडियो मैसेज में गणेशन ने कहा, ‘मैं जिंदा रहूंगा। मैं बचूंगा और कभी हार नहीं मानूंगा। इस गांधी जयंती पर हम सब मिलकर भ्रष्टाचार को खत्म करें। मेरी हेल्थ खराब हो गई है। मैं तनाव में हूं।’ प्रावीण गणेशन और Wintrack ने जिस तरह से चेन्नई कस्टम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, उसके बाद इस पर बवाल बढ़ता ही चला गया।
Infosys चेयरमैन ने वित्तमंत्री से कहा- आप फेल हुईं
Infosys के पूर्व CFO और आरिन कैपिटल के चेयरमैन मोहनदास पाई ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग करते हुए पोस्ट में कहा कि आप करप्शन को खत्म करने में फेल रहीं। मोहनदास पाई ने पोस्ट में लिखा, ‘मैडम सीतारमण, यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। आप हमारे पोर्ट्स में सिस्टमैटिक करप्शन को रोकने में फेल रहीं हैं। प्लीज इसे रोकिए। आप हमारी वित्त मंत्री हैं और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमसे करप्शन-फ्री शासन का वादा किया था।’ उन्होंने यह भी कहा कि वित्त मंत्री ‘Tax Terrorism’ को रोकने में भी नाकाम रही हैं।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत का ट्रेडिंग सिस्टम करप्शन में लिप्ट है। उन्होंने कहा, ‘यह वास्तव में निराश करने वाला है। पूरा सिस्टम करप्शन में लिप्ट है। ज्यादातर कंपनियां ‘कारोबार करने की कीमत’ मानकर इसका पालन करती हैं। ऐसा होना जरूरी नहीं है। अगर देश को वास्तव में विकास और समृद्धि हासिल करनी है तो ऐसा नहीं होना चाहिए।’
This is truly dismaying. Corruption remains rampant across the system and most companies simply comply as part of the “price of doing business”. It doesn’t have to be this way. Indeed it must not be like this if the country is to grow and prosper. https://t.co/GJQQZV7NaL
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 2, 2025

