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September 2, 2025

मराठा आरक्षण आंदोलन पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, ‘मुंबई की सड़कें ख़ाली करें,’ फड़नवीस फंसे मुश्किल में 

The CSR Journal Magazine
महाराष्ट्र में मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा आरक्षण आंदोलन पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने आंदोलनकारियों को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि आजाद मैदान को छोड़कर मुंबई की सभी रोड कल दोपहर तक खाली करें।

महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट का आदेश- प्रदर्शनकारियों पर कसें लगाम

जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस गौतम अनखड़ की बेंच ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है। हाईकोर्ट की बिल्डिंग को घेर लिया गया है। जजों और वकीलों के एंट्री गेट तक बंद हैं। आज तो हाईकोर्ट के जजों की कारों को रोककर उन्हें कोर्ट आने से रोका गया। बेंच ने कहा, “मुंबई शहर लगभग ठप हो गया है। आम आदमी का जीवन बहाल करने की जरूरत है। शहर को रोका नहीं जा सकता। गणेश उत्सव भी है। कल शाम 4 बजे तक सड़कें खाली करवा ली जाएं।” कोर्ट ने कहा कि आंदोलनकारियों को महाराष्ट्र सरकार नवी मुंबई में दूसरी जगह दे सकती है। अगर और आंदोलनकारी मुंबई आने की कोशिश करें तो राज्य सरकार उचित कदम उठाकर उन्हें रोके।
दरअसल, मनोज जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल कर रहे हैं। वे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। समर्थकों का दावा है कि उन्होंने सोमवार से पानी पीना बंद कर दिया है।

कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा

कोर्ट ने सीएसटी, मरीन ड्राइव, फ्लोरा फाउंटेन और दक्षिण मुंबई के अन्य इलाकों से आंदोलनकारियों को हटाने का आदेश राज्य सरकार को दिया गया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कल होने वाली सुनवाई में बताए कि क्या एक्शन लिया गया। सरकारी वकील वीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक दी गई थी। जरांगे और उनके समर्थकों ने हर नियम का उल्लंघन किया है।बेंच ने कहा कि जरांगे का पुलिस को दिया गया यह आश्वासन कि वह जनसभा, आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के नियमों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे, केवल “दिखावटी” है।

दक्षिण मुंबई में ट्रैफिक जाम

30 अगस्त को मुंबई में सीएसएमटी और आसपास के इलाकों में यातायात पूरी तरह ठप हो गया था। सोमवार को चौथे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। भारी भीड़ के कारण डीएन रोड, जेजे मार्ग और महापालिका मार्ग जैसे मुख्य मार्गों पर जाम की स्थिति रही, जबकि सीएसएमटी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को प्लेटफार्मों पर अत्यधिक भीड़ का सामना करना पड़ा। दफ्तर जाने वालों ने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने बेस्ट बसों सहित कई वाहनों को रोकने की कोशिश की, जिससे देरी हुई। कुछ प्रदर्शनकारियों ने Bombay Stock Exchange में घुसने की कोशिश की, लेकिन उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया। पुलिस प्रदर्शनकारियों को रास्ता खाली करने के लिए मनाने में जूझती रही। प्रदर्शनकारी शौचालय, पानी और शेल्टर जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों की तैनाती की गई। मुंबई पुलिस ने भी 2000 से ज्यादा कर्मियों को तैनात किया है।

सुप्रिया सुले पर फूटा गुस्सा

रविवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को आजाद मैदान में प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा। अनशन कर रहे जरांगे के प्रदर्शन को समर्थन देने पहुंचीं सुले की कार को प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया। वहां शरद पवार के खिलाफ नारे लगाए गए। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने सुले की गाड़ी पर पानी की बोतल भी फेंकीं।

चंद्रकांत पाटील और नितेश राणे समर्थन में

इससे पहले आज़ाद मैदान में लंबे समय तक प्रदर्शन के लिए अनुमति ना मिलने पर नाराज़ जरांगे ने कहा कि एक-एक दिन की अनुमति उन्हें नहीं चाहिए। आंदोलन के लिए एक साथ 8 दिन की अनुमति दी जाए। उधर, महाराष्ट्र के मंत्री व भाजपा नेता चंद्रकांत पाटील और नितेश राणे ने कहा है कि मराठा समुदाय को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने के बजाय मौजूदा EWS कोटे का लाभ मिलना चाहिए। पाटील और राणे दोनों ही मराठा समुदाय से हैं। राणे ने एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार पर जरांगे के आंदोलन को आर्थिक मदद करने का भी आरोप लगाया।

मराठा आंदोलन ने फड़नवीस को मुश्किल में डाला

Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय के चुनावों से पहले मराठा आरक्षण आंदोलन को तेज करके मुंबई में जमे मनोज जरांगे पाटिल पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वह लगातार सीएम फडणवीस पर निशाना साध रहे हैं। मुंबई में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर घिरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस बड़ी मुश्किल में घिर गए हैं। मनोज जरांगे पाटिल पहले से आजाद मैदान से हटने को तैयार नहीं है तो वहीं दूसरी तरफ बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा प्रदर्शनकारियों को मंगलवार शाम 4 बजे तक मुंबई की सड़कें खाली करने का निर्देश दिए है। जाहिर है अगर कोर्ट के निर्देश को सुनिश्चित करने के लिए अगर कोई बल प्रयोग हुआ तो स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ सीएम बने देवेंद्र फडणवीस पर सभी की नजरें टिकी हैं कि वे कैसे मराठा आंदोलन की चुनौती, हाईकोर्ट की निर्देश और ओबीसी को बिना नाराज किए हुए रास्ता निकालेंगे। गौरतलब हो कि पिछली बार एकनाथ शिंदे ने सीएम रहते हुए जरांगे को नवी मुंबई से लौटा दिया था। तब मुंबई जाम से बच गई थी।

फड़नवीस के अगले कदम पर टिकी निगाहें

महाराष्ट्र राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़ अब तक के सियासी सफर में देवेंद्र फडणवीस के सामने सबसे बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है। मुंबई की सड़कों पर हजारों की संख्या में मराठा की मौजूदगी है। ऐसे में सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। जरांगे ओबीसी में शामिल कुनबी के तहत ही मराठाओं को आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो ओबीसी की नाराजगी नया सिरदर्द बन सकती है। ऐसे में सरकार के सामने अगर कुआं हैं तो पीछे खाई है। जरांगे को आजाद मैदान में आने देने का फैसला ‘आ बैल मुझे मार जैसा है।’ जरांगे के तेवर देखकर लगता नहीं है कि वे किसी आश्वासन पर जालना लौटने को राजी होंगे।
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