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November 26, 2025

धर्मेंद्र की गुमनाम विदाई: फैंस पूछ रहे ऐसे दिग्गज को राजकीय सम्मान क्यों नहीं मिला?

The CSR Journal Magazine
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार 24 नवंबर को 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। करीब छह दशक तक हिंदी सिनेमा के चमकते सितारे रहे धर्मेंद्र को मुंबई के पवनहंस श्मशान भूमि में अंतिम विदाई दी गई। बेटे सनी देओल ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में अमिताभ बच्चन, सलमान खान, आमिर खान, अभिषेक बच्चन सहित कई नामचीन चेहरे नम आंखों के साथ शामिल हुए। लेकिन जिस तरह गुपचुप तरीके से यह अंतिम संस्कार हुआ, उसने उनके लाखों फैंस के दिलों में कसक छोड़ दी। करोड़ों दिलों पर राज करने वाले सुपरस्टार का अंतिम दर्शन न हो पाना, उनके चाहने वालों को हिलाकर रख गया।

फैंस का गुस्सा: धरम पाजी को ऐसा विदा होते नहीं देखना था

सोशल मीडिया पर लगातार यह सवाल उठ रहा है कि देश के इतने बड़े सितारे को राजकीय सम्मान क्यों नहीं मिला? फैंस का कहना है कि धर्मेंद्र ने भारतीय सिनेमा के लिए जो अमूल्य योगदान दिया, उसके सम्मान में उन्हें राज्य सरकार की ओर से तिरंगा या गार्ड ऑफ ऑनर मिलना चाहिए था। परिवार द्वारा अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को गुप्त रखने के कारण हजारों प्रशंसक उनका अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके। जब तक निधन की खबर फैली, तब तक उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो चुका था।

राजकीय सम्मान दिए जाने का प्रोटोकॉल क्या होता है?

राजकीय सम्मान देने की प्रक्रिया बिल्कुल तय और औपचारिक होती है। यह केवल परिवार की सूचना पर निर्भर नहीं करती। किसी भी महत्वपूर्ण हस्ती के निधन की जानकारी सार्वजनिक होते ही राज्य सरकार या केंद्रीय गृह मंत्रालय स्वयं मूल्यांकन करता है कि दिवंगत व्यक्ति सम्मान के योग्य हैं या नहीं। फिर मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO), राज्य गृह विभाग या केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) इस पर तुरंत निर्णय लेता है और अनुमति मिलने पर आधिकारिक आदेश जारी किया जाता है।

आदेश जारी होते ही प्रशासन शुरू करता है तैयारी

सरकार की ओर से आदेश निकलते ही स्थानीय प्रशासन जैसे कलेक्टर, पुलिस विभाग, राजकीय सम्मान की तैयारी करता है। इसमें शामिल होता है: तिरंगे में पार्थिव शरीर को लपेटना, गार्ड ऑफ ऑनर, शोक सलामी, सरकारी प्रतिनिधियों की मौजूदगी हालांकि अंतिम संस्कार में सरकारी उपस्थिति तभी होती है जब परिवार इस व्यवस्था के लिए सहमत हो।

परिवार की सहमति भी जरूरी

सरकार किसी भी राजकीय सम्मान को परिवार की अनुमति के बिना लागू नहीं कर सकती। कई बार परिवार निजी तरीके से अंतिम संस्कार करना चाहता है और सरकारी प्रोटोकॉल की भागीदारी नहीं चाहता। ऐसे में राजकीय सम्मान नहीं दिया जाता।

धर्मेंद्र के मामले में क्या हुआ?

सूत्रों के मुताबिक, धर्मेंद्र का निधन परिवार ने कुछ घंटों तक गुप्त रखा। सुबह 11:40 बजे उनके घर पर सुरक्षा बढ़ी, 12:50 बजे एम्बुलेंस पवनहंस श्मशान के लिए रवाना हुई और 1:20 बजे अंतिम संस्कार पूरा हो गया। इसी बीच 1:10 बजे न्यूज एजेंसी IANS ने निधन की खबर जारी की। जब तक यह खबर प्रशासन और सरकार तक पहुंचती, तब तक राजकीय सम्मान की प्रक्रिया शुरू करने लायक समय नहीं बचा था। सरकार को आदेश जारी करने, प्रोटोकॉल सक्रिय करने और तैयारी के लिए कम से कम कुछ घंटे चाहिए होते हैं। यही कारण माना जा रहा है कि धर्मेंद्र को राजकीय सम्मान का मौका नहीं मिल पाया। हालांकि परिवार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

करोड़ों दिलों में हमेशा अमर रहेंगे धरम पाजी

धर्मेंद्र का जाना भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है। चाहे उनकी गुपचुप विदाई हो या राजकीय सम्मान पर उठते सवाल एक बात साफ है कि धरम पाजी हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे। उनका सरल स्वभाव, सादगी और सिनेमा में योगदान उन्हें आने वाले दशकों तक अमर बनाए रखेगा।
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