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जलवायु परिवर्तन पर मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान लागू

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मुंबई में जब भी बारिश होती है, जमकर होती है, मुंबई में गर्मी की तपिश ऐसे होती है कि लोगों के पसीने “छूट” जाते है। मुंबई में पिछले कुछ सालों से लगातार पर्यावरण में बदलाव देखने को मिल रहा है। पिछले कई सालों से क्लाइमेट चेंज सबसे चर्चित विषय बना हुआ है। दुनिया की आधी से अधिक समस्याओं की वजह है जलवायु परिवर्तन। इसका सबसे बुरा प्रभाव मुंबई पर पड़ सकता है ऐसी बातें कही जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार यदि समय रहते हम सतर्क नहीं हुए, तो 2050 तक मुंबई के कोलाबा, सैंडहर्स्ट रोड, कालबादेवी व ग्रांट रोड एरिया का 70 प्रतिशत भाग पानी में डूब सकता है। वहीं सबसे पॉश कफ परेड का 80 प्रतिशत भाग पानी में समा सकता है। ये चेतावनी खुद बीएमसी के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने दी है।

ये है जलवायु परिवर्तन के फोकस एरिया

मुंबई में मौसम की घटनाओं के कारण क्लाइमेट एक्शन की चेतावनियों के बीच, बीएमसी (BMC) ने मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान (Mumbai Climate Action Plan) को लागू किया है। मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान एकलौता इस तरह का एक्शन प्लान है जिसकी शुरुआत रविवार को महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने की। क्लाइमेट एक्शन प्लान के तहत 6 सूत्री कार्यक्रम है जिनके आधार पर भविष्य का नियोजन होगा जिसके अंतर्गत वेस्ट मैनेजमेंट, अर्बन ग्रीनिंग, बायोडायवर्सिटी, अर्बन प्लानिंग एंड वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट, ऊर्जा क्रिया नमन, अच्छी गुणवत्ता की हवा सस्टेनेबल मोबिलिटी इन सभी कार्य योजनाओं के तहत काम करने की तैयारी है।

जलवायु परिवर्तन के लिए बीएमसी ने पहली बार लागू किया एक्शन प्लान

वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट की मानें तो मुंबई को दो प्रमुख जलवायु चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा – तापमान में वृद्धि, और अत्यधिक बारिश की घटनाएं जो बाढ़ का कारण बनेंगी। शहर में 2007 के बाद तापमान में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा पिछले पांच सालों में अधिक और तूफान की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। क्लाइमेट एक्शन प्लान पर महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे लगातार काम कर है। हालही में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV Policy) नीति की भी घोषणा महाराष्ट्र सरकार ने किया था। बहरहाल इस तरह के पहल से महाराष्ट्र में जल्द ही सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा लेकिन इस जलवायु परिवर्तन में और भी तेजी से बदलाव संभव है जब आम मुंबईकरों की भी भागीदारी होगी।