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September 23, 2025

दिल्ली में सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड, रिटायर्ड बैंकर को महीनेभर ‘कैद’ में रख ठगे 23 करोड़ रुपये

The CSR Journal Magazine
दिल्ली में एक रिटायर्ड बैंकर से डिजिटल अरेस्ट कर करीब 23 करोड़ रुपये ठगने का मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने मुंबई पुलिस के अधिकारी बनकर उन्हें एक महीने तक उनके घर में वर्चुअली कैद में रखा और उनसे 23 करोड़ रुपए ठग लिए।

देश में अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल धोखाधड़ी 

दक्षिणी दिल्ली में एक रिटायर्ड बैंकर से डिजिटल अरेस्ट कर करीब 23 करोड़ रुपये ठगने का मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने मुंबई पुलिस के अधिकारी बनकर उन्हें एक महीने तक उनके घर में वर्चुअली कैद में रखा। पुलिस के मुताबिक, दिल्ली में अब तक सामने आए डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड के मामलों में ठगी गई यह सबसे बड़ी रकम है। दक्षिणी दिल्ली के एक 78 वर्षीय रिटायर्ड बैंकर नरेश मल्होत्रा ने करीब 23 करोड़ रुपये गंवा दिए। साइबर अपराधियों ने उन्हें हौज खास के पास गुलमोहर पार्क स्थित उनके घर में 4 अगस्त से 4 सितंबर के बीच एक महीने के लिए वर्चुअली कैद में रखा। अपराधियों द्वारा अकेले रहने वाले नरेश मल्होत्रा को अपने इक्विटी शेयर बेचने और कई बार में 22.92 करोड़ आरोपियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिए विवश किया गया।

मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर डराया

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक साइबर अपराधियों ने मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर मल्होत्रा को यह कहकर डराया कि उनकी आधार कार्ड डिटेल टेरर फंडिंग और पुलवामा आतंकी हमले में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों से जुड़ी है। अपराधियों ने यह भी कहा कि उनका नाम आतंकवाद, ड्रग ट्रैफिकिंग और अन्य अनैतिक गतिविधियों से जुड़ा है। ठगों ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने इस बारे में किसी को बताया तो वे उनकी दोनों बेटियों, उनके पतियों और बच्चों को जान से मार देंगे।

बुजुर्ग को हर दो घंटे में रिपोर्ट करने का आदेश देकर डराया

मल्होत्रा ने अपनी शिकायत में कहा, “4 अगस्त को ठगों ने मुझे एक बेल अप्रूवल भेजा, जिससे मेरी गिरफ्तारी रुक गई। उन्होंने मुझे सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक हर दो घंटे में रिपोर्ट करने का आदेश देकर डरा दिया और साथ ही किसी तीसरे व्यक्ति को इस बारे में कुछ भी नहीं बताने के निर्देश भी दिए और इस संबंध में राष्ट्रीय गोपनीयता अधिनियम (NSA) के तहत गोपनीयता बनाए रखने के लिए मुझसे हर दिन एक अंडरटेकिंग देने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर मैंने किसी को भी कुछ बताया, तो मेरे परिवार के सभी सदस्यों (दो बेटियों, दो दामादों और चार नाती-नातिनों) की जान को खतरा हो सकता है, क्योंकि उन पर देश के कई कड़े कानूनों के तहत मुकदमे भी दर्ज किए जाएंगे।”
इसके बाद अपराधियों ने मल्होत्रा से कहा कि वह अपनी इक्विटी होल्डिंग्स बेचकर 22.92 करोड़ रुपये उनके खातों में ट्रांसफर कर दें, और उन्हें भरोसा दिलाया कि भारतीय रिजर्व बैंक सत्यापन के बाद पैसे वापस कर देगा। शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए दो मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया।

दिल्ली पुलिस 1.5 करोड़ रुपये फ्रीज में कामयाब

दिल्ली पुलिस की Intelligence Fusion And Strategic Operations Unit (IFSO) यूनिट ने पीड़ित मल्होत्रा की शिकायत के आधार पर शुक्रवार को FIR दर्ज की। अधिकारियों के अनुसार, IFSO यूनिट ने तुरंत जांच शुरू करते हुए साइबर ठगों के खातों से निकाले या ट्रांसफर किए जाने वाले लगभग 1.5 करोड़ रुपये फ्रीज करने में कामयाब रही।

पुलिस ने की जांच

पीड़ित ने National Cybercrime Reporting Portal अर्थात् NCRP पर शिकायत दर्ज कराई। दिल्ली पुलिस की Intelligence Fusion & Strategic Operations (IFSO) इकाई द्वारा मामला दर्ज किया गया। त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अब तक लगभग ₹12.11 करोड़ की राशि उन खातों में फ्रीज़ करवाई है, जो पता चले हैं। पैसे विभिन्न बैंकों में ट्रांसफर किए गए, और कई स्थानों से निकाले गए। पैसे को अलग-अलग खातों में “लेयरिंग” के माध्यम से विभाजित किया गया ताकि ट्रेस करना मुश्किल हो।

Digital Arrest स्कैम-जानिए कैसे बचें

डिजिटल अरेस्ट स्कैम साइबर अपराध का नया तरीका है जिसमें ठग खुद को पुलिस अधिकारी, CBI, NIA, या बैंक अधिकारी बताकर कॉल करते हैं। वे कहते हैं कि आपके मोबाइल, आधार या बैंक खाते से गंभीर अपराध (जैसे ड्रग तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद) जुड़ा है। फिर आपको धमकाते हैं कि आप “डिजिटल अरेस्ट” में हैं, यानी घर से बाहर नहीं जा सकते, लगातार वीडियो कॉल पर रहना होगा और बैंक खाते से पैसे निकालकर “जांच” के लिए भेजना होगा। डिजिटल ठग आपको यह कहकर गुमराह करते है कि, “आपके खिलाफ केस दर्ज है, अभी गिरफ्तार किया जाएगा।” ईमेल/व्हाट्सऐप पर फर्जी गिरफ्तारी वारंट, कोर्ट ऑर्डर या फ़र्ज़ी आईडी कार्ड भी भेजते हैं। कहते हैं कि आपकी हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। खाते से रकम “जांच खातों” में डालने के लिए कहते हैं, जिसे तुरंत अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

ऐसे संकेत मिलें, तो तुरंत हो जाएं सावधान

अगर कोई कॉल पर कहे कि आपका बैंक खाता/आधार अपराध से जुड़ा है और कॉल करने वाला आपसे कहे कि किसी को मत बताना। आपसे कहा जाए कि पैसे सरकारी जांच खाते में डालो और हर वक्त वीडियो कॉल पर मौजूद रहो। ऐसी स्थिति में तुरंत सावधान हो जाएं, और याद रखें कि पुलिस, CBI, NIA या RBI कभी भी इस तरह वीडियो कॉल  पर या ऑनलाइन पैसे नहीं मांगते।

क्या करें अगर आपको ऐसा कॉल आए तो

शांत रहें- घबराएं नहीं, स्कैमर्स डर पैदा करके फायदा उठाते हैं।
फोन काट दें– तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट करें।
कॉल बैक न करें– स्कैमर्स अक्सर विदेशी/वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करते हैं।
आधिकारिक हेल्पलाइन पर संपर्क करें: Cyber Crime Helpline-1930
ऑनलाइन शिकायत: cybercrime.gov.in
अपने बैंक से तुरंत संपर्क करें– ट्रांज़ेक्शन रोकने की कोशिश करें।
परिवार को तुरंत बताएं- अक्सर स्कैमर्स कहते हैं “किसी को मत बताना”, लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी चाल है।

कानूनी मदद और बचाव के आसान नियम (Golden Rules)

अगर आप या आपका कोई परिचित शिकार हो जाए, तो तुरंत FIR दर्ज कराएं। साइबर पुलिस अब ऐसे मामलों को प्राथमिकता से ले रही है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस साल देशभर में दर्जनों बुजुर्ग और रिटायर्ड लोग इस स्कैम का शिकार हुए हैं। किसी भी सरकारी एजेंसी का कॉल आए, तो आधिकारिक नंबर(जैसे 100, 1930) पर खुद कॉल करके पुष्टि करें।
अनजान लिंक, ईमेल, व्हाट्सऐप डॉक्यूमेंट्स पर भरोसा न करें।
पैसों से जुड़े निर्णय अकेले न लें, हमेशा परिवार या विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें।
बच्चों और बुजुर्गों को इस स्कैम के बारे में जरूर बताएं।
Digital Arrest Scam भय और धोखे पर आधारित है। थोड़ी सी सतर्कता और तुरंत सही कदम उठाने से करोड़ों का नुकसान रोका जा सकता है।
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