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June 6, 2025

22 साल, 21 भगदड़ के हादसे, करीब 1500 मौतें, इन मौतों का ज़िम्मेदार आख़िर है कौन 

 Bengaluru Stampede: 18 सालों के इंतजार के बाद RCB की पहली IPL जीत पर बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित विजय जुलूस में भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। यह हादसा देश में भीड़ से जुड़ी हालिया कई घटनाओं में एक और दुखद उदाहरण बन गया।

भगदड़ के बाद अब राजनीतिक बयानबाजियों की भीड़

Bengaluru Chinnaswamy Stadium Stampede: IPL 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की जीत का जश्न बुधवार को मातम में बदल गया। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में होने वाली RCB की विक्ट्री परेड से पहले भगदड़ मच गई जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 50 लोग घायल हो गए। देश में साल 2003 से लेकर अब तक 21 भगदड़ में 1436 लोगों की जानें गई हैं, जबकि हजारों लोग घायल हुए। हर हादसे के बाद प्रशासन जनता को, और जनता प्रशासन को क़सूरवार ठहराकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। पिछले हादसों के आंकड़े और बहानों से काम चला लेते हैं। कुछ दिन का रोनापीटना, Blame Games और फिर सब शांत! प्रशासन भुला देता है और जनता भूल जाती है।
Bengaluru Chinnaswamy Stadium के बाहर मची भगदड़ और 11 मौतों के सवाल से बचने के लिए Karnataka सरकार की और से बयान आने शुरू हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने भगदड़ के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने डीके शिवकुमार पर गैरजिम्मेदाराना, अधीर और अपरिपक्व रवैये का आरोप लगाया और कहा कि इसी कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ। कुमारस्वामी ने दिल्ली में अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इस त्रासदी के लिए जो व्यक्ति जिम्मेदार है, उसे तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को निष्क्रिय बताया और कहा कि उनका अपने डिप्टी पर कोई नियंत्रण नहीं है, जबकि गृहमंत्री केवल आदेश मानने वाले बनकर रह गए हैं।

कर्नाटक सीएम के खिलाफ शिकायत दर्ज

आम आदमी पार्टी कर्नाटक के युवा अध्यक्ष लोहीत हनुमनपुरा ने पुलिस में शिकायत दी है। उन्होंने कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन KSCA और चिन्नास्वामी स्टेडियम के CEO के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कब्बन पार्क थाने में शिकायत दर्ज कराई है। कृष्णा ने शिकायत में CM सिद्धारमैया, डिप्टी CM डीके शिवकुमार और कर्नाटक क्रिकेट बोर्ड पर लापरवाही का आरोप लगाया है और IPC की धारा 106 के तहत केस दर्ज करने की मांग की है।
कल घटना के बाद शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए CM सिद्धारमैया ने कहा कि ‘मैं इस घटना का बचाव नहीं कर रहा, लेकिन देश में पहले भी कई बड़े हादसे हुए हैं, जैसे कुंभ मेले में 50-60 लोगों की जान गई। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि हम जिम्मेदारी से बचें।’ सीएम सिद्धरमैया के इस बयान के बाद कर्नाटक के विपक्षी दल BJP ने इस्तीफे की मांग कर डाली। BJP सांसद संबित पात्रा ने कहा कि बेंगलुरु भगदड़ में सरकार पूरी तरह फेल हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस्तीफा देंगे? उन्होंने आरोप लगाया कि DK शिवकुमार का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह एक व्यक्ति को कैमरे के सामने से गर्दन पकड़कर हटाते दिखे। भीड़ की सुरक्षा नहीं, प्रचार जरूरी था। उन्होंने पूछा कि किसने इस कार्यक्रम को मंजूरी दी? जब लोग मर रहे थे तब भी कार्यक्रम क्यों चलता रहा? पात्रा ने कहा- ‘सबसे बड़ा सवाल है कि राहुल गांधी कहां हैं? क्या वो अपने नेताओं से जवाब मांगेंगे?’
बेंगलुरु हादसे पर BJP नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि यह कांग्रेस सरकार की लापरवाही से हुई बड़ी गलती है। उन्होंने CM और डिप्टी CM से इस्तीफे की मांग की। पूनावाला ने कहा, ‘लोगों की मौत के बाद भी कार्यक्रम जारी रखा गया, कांग्रेस ने प्रचार को जनता से ऊपर रखा। हादसे के बाद भी कार्यक्रम नहीं रोका गया। लाश गिरती रही, जश्न चलता रहा।’

महाकुंभ के दौरान संगम क्षेत्र में भगदड़

प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान 29 जनवरी को संगम क्षेत्र में भगदड़ मच गई, जब मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर लाखों तीर्थयात्री पवित्र स्नान के लिए जगह पाने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे। इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए। 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर भगदड़ मच गई। इसमें 18 लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हो गए, जिनमें से ज्यादातर प्रयागराज के महाकुंभ में शामिल होने जा रहे थे।
इस बीच यूपी के एक मंत्री का विवादित और असंवेदनशील बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा, “जहां जगह हो वहीं स्नान करें श्रद्धालु। जहां इतनी बड़ी भीड़ होती है, इतना बड़ा प्रबंधन होता है, वहां ऐसी छोटी मोटी घटना हो जाती है।”
इस घटना को लेकर विपक्षी नेता लगातार यूपी सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करते रहे। एसपी नेता अखिलेश यादव ने मांग की कि महाकुंभ में ‘विश्वस्तरीय व्यवस्था’ का दावा करने वालों को भगदड़ की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘महाकुंभ में आए संत समुदाय और श्रद्धालुओं में व्यवस्था के प्रति विश्वास फिर से स्थापित करने के लिए यह जरूरी है कि महाकुंभ का प्रशासन और प्रबंधन तत्काल उत्तर प्रदेश सरकार के बजाय सेना को सौंप दिया जाए।’
ममता ने कहा- महाकुंभ में अमीरों और VIP लोगों के लिए 1 लाख रुपए तक के टेंट मौजूद हैं। गरीबों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। मेले में भगदड़ की स्थिति आम है, लेकिन व्यवस्था करना जरूरी है। आपने (यूपी सरकार) क्या योजना बनाई है? इससे पहले लालू प्रसाद यादव कुंभ को फालतू कह चुके थे।

देश में हाल के वर्षों में हुई कुछ त्रासदियां

3 मई, 2025: गोवा के शिरगाओ गांव में श्री लैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान तड़के मची भगदड़ में छह लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए।
8 जनवरी, 2025: तिरुमाला हिल्स में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए टिकट लेने के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच हुई धक्का-मुक्की में कम से कम छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।
2 जुलाई, 2024: उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्वयंभू भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि द्वारा आयोजित ‘सत्संग’ (प्रार्थना सभा) में भगदड़ मचने से महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 121 लोगों की मौत हो गई।
31 मार्च, 2023: इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित ‘हवन’ समारोह के दौरान एक प्राचीन ‘बावड़ी’ या कुएं के ऊपर बनी स्लैब के ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई।
1 जनवरी, 2022: जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
29 सितंबर, 2017: मुंबई में पश्चिमी रेलवे के एलफिंस्टन रोड स्टेशन को मध्य रेलवे के परेल स्टेशन से जोड़ने वाले संकरे पुल पर मची भगदड़ में 23 लोगों की जान चली गई और 36 लोग घायल हो गए।
14 जुलाई, 2015: गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ में 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। यहां आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में ‘पुष्करम’ उत्सव के उद्घाटन के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हुई थी।
3 अक्टूबर, 2014: दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ में 32 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए।
13 अक्टूबर, 2013: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ में 115 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए। भगदड़ की शुरुआत इस अफ़वाह के कारण हुई कि श्रद्धालु जिस नदी के पुल को पार कर रहे थे, वह ढहने वाला है।
19 नवंबर, 2012: पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से भगदड़ मच गई, जिसमें लगभग 20 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
8 नवंबर, 2011: हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे हर-की-पौड़ी घाट पर भगदड़ मचने से कम से कम 20 लोग मारे गए।
14 जनवरी, 2011: केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में घर जा रहे तीर्थयात्रियों पर एक जीप के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से मची भगदड़ में कम से कम 104 सबरीमाला श्रद्धालु मारे गए और 40 से अधिक घायल हो गए।
4 मार्च, 2010: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ में लगभग 63 लोग मारे गए, जहां लोग स्वयंभू बाबा से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे।
30 सितंबर, 2008: राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाहों के कारण मची भगदड़ में लगभग 250 श्रद्धालु मारे गए और 60 से अधिक घायल हो गए।
3 अगस्त, 2008: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाहों के कारण मची भगदड़ में 162 लोग मारे गए, 47 घायल हो गए।
25 जनवरी, 2005: महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालु कुचलकर मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। यह दुर्घटना तब हुई जब नारियल तोड़ रहे श्रद्धालुओं की वजह से सीढ़ियां फिसलन भरी हो गईं और लोग गिरने लगे।
27 अगस्त, 2003: महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ में 39 लोग मारे गए और लगभग 140 घायल हो गए।
उपरोक्त सभी घटनाओं पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि इन सभी सार्वजनिक स्थलों पर हमेशा प्रशासन और पुलिस की व्यवस्था रहती है। किसी भी समारोह या धार्मिक आयोजन में सरकार और पुलिस के पास भीड़ के अंदाजन आंकड़े होते हैं। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कितनी भीड़ समा सकती है और कितनी ज़्यादा भीड़ इकट्ठा होने की आशंका है, इसका आकलन कर प्रशासन अपनी पूरी तैयारी करता है। लेकिन हर बार, हर दुर्घटना के बाद पुलिस और प्रशासन की तैयारी को नाकाफ़ी बताकर विपक्ष और जनता, दोनों अपने कर्तव्यों की इतिश्री मानकर चलते बनते हैं। उसपर बेतुके राजनीतिक बयान देकर राजनीतिक पार्टियां अपनी गर्दन ख़ुद इनके हाथों में दे देती हैं। लेकिन एक आम भारतीय नागरिक होने के नाते सोचकर देखिए, क्या इन भगदड़ों, इन घायलों और इन मौतों की ज़िम्मेदार केवल पुलिस और प्रशासन है? नहीं! बिल्कुल नहीं, दरअसल इसके ज़िम्मेदार हैं हम और आप!

सरकार को दोष देते वक़्त हम ख़ुद को भूल जाते हैं

हर बार अपना आक्रोश, अपना गुस्सा पुलिस और प्रशासन के सिर मढ़ते वक़्त हम ख़ुद को भूल जाते है। किसी भी भगदड़ या हादसे के बाद सरकार को व्यवस्था सिखाने की ज़िम्मेदारी हम बदस्तूर ख़ुद पर ले लेते है। लाखों करोड़ों की भीड़ का ज़िम्मा प्रश्न के चंद लोगों और कुछ हज़ार के पुलिस बल पर होता है, जो डटकर अपना काम करते हैं। लेकिन सोचिए, ये लाखों-करोड़ों की भीड़ आख़िर है कौन? आप और हम! देश के ज़िम्मेदार नागरिक, जो ये नहीं जानते की भीड़ के हालातों में हमे अपनी ज़िम्मेदारी स्वयं उठानी है। अपनी सुरक्षा या अपने नुक़सान के प्रथम ज़िम्मेदार हम ख़ुद है। कठिन परिस्थितियों में हमे भी आगे बढ़कर संयम से सोचने की ज़रूरत है। Bengaluru Chinnaswamy Stadium के बाहर खड़ी लाखों की भीड़ को ये पता था की स्टेडियम की क्षमता केवल कुछ हज़ार लोगों की ही है। बावजूद इसके लाखों की तादाद में लोग वहां पहुंचे अपने प्रिय सितारों को देखने के लिए। एक अफ़वाह उड़ी कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए मुफ्त पास दिए जा रहे है। याद रहे, अफ़वाह उड़ाने वाले पुलिसिये नहीं , बल्कि बाहर खड़ी भीड़ में से ही कुछ लोग थे। लाखों की भीड़ ने लालच में आकर दूसरी ओर भागना शुरू कर दिया। पुलिस ने रोकने की कोशिश की- पहले समझाकर, फिर डंडे चलाकर! अफवाहों पर ध्यान ना देते, समझाने से मान जाते, डंडे के डर से ही रुक जाते, तो शायद हादसा ना होता! स्टेडियम के बाहर नियमों का पालन कर कतार में खड़े रहकर इंतज़ार करते तो शायद भगदड़ ना होती।

आपसी तालमेल और जिम्मेदारियों के एहसास के चलते रंग में भंग नहीं हुआ

3 June की रात, जब RCB ने पंजाब को मात देकर 18 सालों में पहली बार IPL की Trophy Bengaluru के नाम की, पूरा बेंगलुरु शहर सड़कों पर उतर आया। लोग नाच रहे थे, पटाखे फोड़ रहे थे, RCB की जय जयकार के नारे लगा रहे थे। उस वक्त भी बेंगलुरु पुलिस अपनी ड्यूटी पर मुस्तैदी से लगी थी शहर को सुचारू और सेफ बनाए रखने में, लोगों की भीड़ को क़ायदे से नियंत्रित रखने में, वो भी लोगों की खुशियों में ख़लल डाले बग़ैर! इसका उदाहरण मेरी आंखों के सामने ही था, जब सड़क पर भीड़ जमाए कुछ RCB प्रशंसकों को पुलिस ने घर जाने को कहा। पहले उन्होंने अपनी ख़ुशी में मगन पुलिस की बातों पर ध्यान नहीं दिया और जश्न में डूबे रहे। जब पुलिस कांस्टेबल ने उन्हें हटाने के लिए एक हल्का डंडा चलाया तो वे कुछ और दूर जाकर खड़े हो गए। अब पुलिस ने उन्हें चेतावनी देते हुए कुछ ज़ोर से एक डंडा घुमाया, और डंडा पड़ते ही वे प्रशंसक और झूमकर नाचने लगे और पुलिस कांस्टेबल भी उनके जोश के आगे हार मानकर मुस्कुराते हुए वहां से आगे बढ़ गया। इस बात पर आप क्या कहेंगे-पुलिस की मुस्तैदी में कमी, या उन RCB फैन्स का जोश, या फिर आपसी तालमेल से किसी प्रकार की अप्रिय घटना से बचाव!
बेंगलुरु पुलिस को भी RCB खिलाड़ियों की परेड के वक्त होने वाली भीड़ का अंदाज़ा पहले ही हो गया था, इसलिए प्रशासन और पुलिस ने Open Bus में होने वाली खिलाड़ियों की परेड को समय रहते स्थगित कर दिया। तो ये कैसे कहा जा सकता है की समुचित व्यवस्था नहीं थी? तैयारी अधूरी थी?

बयानों पर क्यों मचते हैं बवाल

हर हादसे के बाद राजनीतिक बयानों पर बवाल खड़ा होता है। हम जानते हैं की आजकल की राजनीति समाजसेवा नहीं, बल्कि सत्तासेवा बन चुकी है। सबको अपनी कुर्सी प्यारी होती है। सरकार का काम है करना, और विपक्ष का काम है उधेड़ना। हर हादसे के बाद सत्ता और विपक्ष से आए बयान यही साबित करते हैं। लेकिन इन बयानों पर हो-हल्ला करने की बजाय, इस तरह की दुर्घटना क्यों हुई और इसमें हमारी, यानि आम जनता की कितनी बड़ी भूमिका है, अगर इसपर चर्चा की जाए तो एक बहुत बड़ा खुलासा सामने आ सकता है। हम, जो उन हादसों के वक्त वहां मौजूद थे! हम, जिन्होंने ग़लत अफ़वाहें फैलाईं और फिर उन अफवाहों की सच्चाई जाने बिना अगला कदम उठाया! हम, जो मौक़े की नज़ाकत को समझ नहीं पाए और अपना बोझ पुलिस और प्रशासन पर डाल दिया! लाखों की तादाद में इकट्ठे होकर नियमों और चेतावनियों को ताक पर रखकर अपनी जान जोखिम में डालने की कोशिश की! हम चाहते तो ये हादसा टल सकता था!

ऐसा भी हो सकता है, और होता भी है

पिछले साल प्रयागराज महाकुंभ के दौरान हुए हादसे के कुछ ही दिन बाद Team India ने टी20 World Cup जीता। जीत के बाद टीम की स्वदेश वापसी हुई और मुंबई एयरपोर्ट से Marine Drive तक भारतीय टीम की Open Bus परेड हुई। अपने चहेते सितारों को देखने के लिए मुंबईकरों का सैलाब उमड़ पड़ा। कुछ ही दिन पहले महाकुंभ का भयानक हादसा ज़ेहन से उतरा नहीं था, लेकिन दर्द पर जीत का जोश भारी पड़ गया और मेरे कदम भी मरीन ड्राइव की ओर बढ़ चले। लाखों का जनसैलाब, अपने प्यारे खिलाड़ियों को विश्व चैंपियन के रूप में देखने का जुनून, उनके हाथों में World Cup की ट्रॉफ़ी! रोमांच अपने चरम पर था! भीड़ देखकर एक बारगी महाकुंभ का भयावह मंजर याद आया, डर से नसें भी सिकुड़ीं, मगर जो दृश्य सामने था, अतुलनीय था। इतनी बड़ी भीड़ भारतीय क्रिकेट टीम को देखकर दीवानी होती रही, नाचती रही, नारे लगाती रही, और बिना किसी अप्रिय घटना के अपने घर भी लौट गई। क्या ये प्रशासन और मुंबई पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था थी, या महाकुंभ की घटना से डरे हुए लोगों का संयमित व्यवहार और नियमानुसार आचरण?
महज़ आरोप-प्रत्यारोप के खेल से केवल वक़्त बर्बाद होगा। हमारा भी, और प्रशासन का भी! जान तो सबकी कीमती होती है, राजा की भी, और प्रजा की भी! मसला बस समझ का है। अपनी अपनी ज़िम्मेदारियां, और दूसरे की परिस्थितियां अगर समझ लें, तो किसी को किसी पर निर्भर रहने या इल्जाम देने की नौबत ही नहीं आएगी। Chinnaswamy Stadium के बाहर खड़ी भीड़ और Stadium के भीतर मौजूद लोगों ने यहीं चूक कर दी।
इसका जवाब ढूंढ़  लेंगे तो आगे से कभी कोई भगदड़ या Stampede की घटना किसी परिवार के लाड़ले को निगल नहीं पाएगी! कभी कोई परिजन अपने प्रिय की लाश कंधे पर ढोने को मजबूर नहीं होगा! हादसों के इल्जामात लगाना छोड़कर अपनी ज़िम्मेदारी समझ लेंगे, तो ना किसी पुलिस की ज़रूरत होगी, ना किसी प्रशासन की!

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