Pre Primary School in UP: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी पहल की है, जिसने पूर्व प्राथमिक शिक्षा (Pre Primary Education) की तस्वीर ही बदल दी है। बाल वाटिकाओं (Balvatika in UP Schools) की स्थापना ने सरकारी स्कूलों में न सिर्फ नई जान फूंकी है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई को भी मजेदार और आकर्षक बना दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP 2020) के अनुरूप राज्य के 70,000 से अधिक प्राथमिक और कंपोजिट स्कूलों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त बालवाटिकाएं अब पूरी तरह क्रियाशील हैं। यहां 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे हैं। इस पहल का असर बच्चों के सामाजिक कौशल (Social Skills), रचनात्मकता (Creativity) और आत्मविश्वास (Confidence Building) पर साफ दिखाई दे रहा है।
Pre Primary School in UP: स्कूल रेडीनेस में बड़ा सुधार
विशेषज्ञों का मानना है कि बाल वाटिकाओं के माध्यम से बच्चे कक्षा-1 में दाखिले से पहले मानसिक और सामाजिक रूप से तैयार हो जाते हैं। इससे उनकी School Readiness में सुधार हुआ है और अब वे पढ़ाई के प्रति ज्यादा उत्सुक नजर आते हैं। यह बदलाव ग्रामीण इलाकों तक में दिख रहा है, जहां पहले शिक्षा केवल औपचारिक पढ़ाई तक सीमित थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि स्वतंत्रता दिवस 2025 के मौके पर ही 5,118 बाल वाटिकाओं का भव्य शुभारंभ हुआ था। उस दिन बच्चों ने गीत, नृत्य, नाटिका और चित्रकला जैसी गतिविधियों से अपनी प्रतिभा दिखाई। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने इस कार्यक्रम को स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा कि अब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा गांव-कस्बों में ही मिल रही है।
Pre Primary School in UP: बच्चों के लिए आधुनिक सुविधाएं
बाल वाटिका में बच्चों को बाल मैत्रिक फर्नीचर (Child-Friendly Furniture), रंग-बिरंगे कक्षा-कक्ष, आउटडोर खेल सामग्री, लर्निंग कॉर्नर और गतिविधि-आधारित वंडर बॉक्स उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा अभ्यास पुस्तिकाएं, स्टेशनरी और अन्य शिक्षण सामग्री भी बच्चों को दी जा रही है। सबसे खास बात यह है कि प्रत्येक विद्यालय में प्रशिक्षित ECCE एजुकेटर्स (Early Childhood Care and Education) की तैनाती की जा रही है, ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।
मंत्री बोले- बच्चों का उज्ज्वल भविष्य, सामुदायिक सहभागिता पर जोर
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच के तहत बाल वाटिकाओं ने सरकारी स्कूलों में नर्सरी, LKG और UKG जैसी सुव्यवस्थित शिक्षा की राह खोल दी है। यह पहल बच्चों के सर्वांगीण विकास और उनके उज्ज्वल भविष्य का आधार बनेगी। बालवाटिकाओं के शुभारंभ के साथ ही शिक्षा में सामुदायिक सहभागिता (Community Participation in Education) पर भी जोर दिया गया है। माता-पिता और स्थानीय जनप्रतिनिधि अब बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। इससे शिक्षा का दायरा और मजबूत हुआ है।
शिक्षा का दीप हर घर तक
कुल मिलाकर, योगी सरकार की यह पहल न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। रंग-बिरंगे क्लासरूम और खेल-खेल में पढ़ाई के जरिए अब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा स्थानीय स्तर पर ही मिल रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि बाल वाटिकाएं उत्तर प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा का नया अध्याय लिख रही हैं।
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