ऋषिकेश में तैयार हो रहा ‘बजरंग सेतु’ (Bajrang Setu) देश का पहला ग्लास केबल सस्पेंशन ब्रिज बनने जा रहा है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग और धार्मिक प्रतीकों का सुंदर मिश्रण होगा। यह पुल 132 मीटर लंबा है और पारदर्शी ग्लास के रास्तों से सुसज्जित है। पुल का डिजाइन और प्रवेश द्वार केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह से प्रेरित हैं, जो इसे एक पवित्र और भव्य रूप प्रदान करते हैं।
देश का पहला सबसे बड़ा ग्लास ब्रिज उत्तराखंड ऋषिकेश में
भारत अब अपने पहले 132 मीटर लंबे केबल ग्लास ब्रिज के उद्घाटन की तैयारी में है। यह एक ऐसा स्थापत्य चमत्कार है जो रोमांच, आधुनिक इंजीनियरिंग और प्राकृतिक सुंदरता को एक साथ जोड़ता है। उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों के बीच ऋषिकेश में स्थित यह पारदर्शी पुल पर्यटकों को रोमांच और शांति दोनों का अनोखा अनुभव प्रदान करेगा। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह पुल साल 2025 के अंत तक जनता के लिए खुल जाएगा, जबकि 2026 की शुरुआत तक यह पूरी तरह संचालन में आ जाएगा। लगभग ₹68–70 करोड़ की लागत से बना यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड की सतत विकास और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
Bajrang Setu in Rishikesh, Uttarakhand India’s first glass floored suspension bridge, is 85.3% complete. It replaces the old Lakshman Jhula and will open by Oct 2025. The ₹70 crore bridge will improve tourism and pedestrian access across the Ganga. pic.twitter.com/SBD55QbrQi
— Amαr 🇮🇳 (@Amarrrrz) June 22, 2025
नवाचार और रोमांच का नया प्रतीक
यह 132 मीटर लंबा केबल ग्लास ब्रिज भारत की तेज़ी से बढ़ती नवाचार और इको-टूरिज्म क्षमता का प्रतीक है। पुल के पारदर्शी ग्लास फ्लोर से नीचे फैले घने जंगलों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। इसका केबल सस्पेंशन डिजाइन न केवल आकर्षक है, बल्कि मजबूती और सुरक्षा का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। ब्रिज का डिजाइन विश्व के प्रसिद्ध ग्लास स्काईवॉक से प्रेरित है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले ग्लास पैनल, हवा-प्रतिरोधी केबल्स और भूकंप-रोधी नींव इस पुल को इंजीनियरिंग की दृष्टि से बेहद सुरक्षित और शानदार बनाते हैं। यह पुल उत्तराखंड के एडवेंचर टूरिज्म को नई दिशा देगा, जिससे देशी और विदेशी पर्यटकों को एक अनोखा प्राकृतिक अनुभव मिलेगा।
इंजीनियरिंग उत्कृष्टता से निर्मित अनुभव
यह 132 मीटर लंबा ग्लास ब्रिज अत्याधुनिक तकनीक और पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों से तैयार किया गया है। पुल की फर्श में मल्टी-लेयर टफेंड ग्लास पैनल लगाए गए हैं जो भारी पैदल यातायात और मौसम के बदलावों को झेलने में सक्षम हैं। पुल के बीच वाले हिस्से को दोपहिया और छोटे चारपहिया वाहनों के लिए आरक्षित किया गया है, जिससे स्थानीय संपर्क में सुविधा होगी। पुल के दोनों टावर केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह जैसी आकृति में बनाए गए हैं। एक ओर केदारनाथ की प्रतिमा और दूसरी ओर बद्रीनाथ की आकृति स्थापित की जाएगी, जो आस्था और इंजीनियरिंग का अद्भुत संगम पेश करने के साथ उत्तराखंड के ‘देवभूमि‘ कहलाने की परिचायक होगी। ग्लास ब्रिज के निर्माण में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। एंटी-स्लिप ग्लास, मजबूत रेलिंग्स, और सुरक्षित व्यूइंग ज़ोन बनाए गए हैं ताकि पर्यटक आराम से इस रोमांचक अनुभव का आनंद ले सकें। चारों ओर के घने जंगलों और पर्वतीय दृश्यों से घिरा यह क्षेत्र फोटोग्राफी, दर्शनीय भ्रमण और एडवेंचर वॉक के लिए आदर्श स्थान बनेगा।
उत्तराखंड के पर्यटन को नई उड़ान
“देवभूमि” कहलाने वाला उत्तराखंड अब केवल धार्मिक यात्राओं के लिए नहीं, बल्कि एडवेंचर और इको-टूरिज्म के केंद्र के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है। इस नए ग्लास ब्रिज से राज्य के पर्यटन राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। स्थानीय व्यवसाय, होमस्टे और ट्रैवल सेवाएं पहले से ही पर्यटकों की बढ़ती संख्या को संभालने की तैयारी में हैं। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार पर्यटन और अपशिष्ट प्रबंधन योजनाएं लागू की जाएंगी। यह प्रोजेक्ट राज्य के अन्य विकास कार्यों, जैसे बेहतर सड़क संपर्क, इको-पार्क और प्रकृति संरक्षण के साथ मिलकर ऋषिकेश को एडवेंचर और वेलनेस टूरिज्म के नए मॉडल के रूप में स्थापित करेगा।
उद्घाटन और पर्यटक जानकारी
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह पुल 2025 के अंत तक जनता के लिए खोला जाएगा, और 2026 की शुरुआत में पूर्ण रूप से चालू हो जाएगा। खुलने के बाद पर्यटक 132 मीटर लंबे पारदर्शी पुल पर चलते हुए नीचे की घाटियों, गंगा के बहाव और हरियाली का अद्भुत दृश्य देख सकेंगे। प्रशासन की योजना के अनुसार यहां एंट्री पास, गाइडेड टूर, नाइट-व्यू सेशन और लाइट शो जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। सुरक्षा डेमो, फोटोग्राफी पॉइंट्स और विश्राम क्षेत्र भी इस अनुभव का हिस्सा होंगे। पर्यटक देहरादून से ऋषिकेश आसानी से पहुंच सकते हैं, जो सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं।
प्रकृति, रोमांच और स्थायित्व का मेल
यह प्रोजेक्ट सिर्फ रोमांच या डिजाइन का नहीं, बल्कि सतत विकास के दर्शन का भी प्रतीक है। निर्माण में पर्यावरण को कम से कम प्रभावित करने की नीति अपनाई गई है। स्थानीय सामग्रियों का उपयोग और पर्यावरण विशेषज्ञों की सलाह से यह सुनिश्चित किया गया कि आसपास की प्राकृतिक संरचना सुरक्षित रहे। जब पर्यटक इस पुल पर कदम रखेंगे, तो वे नवाचार और प्रकृति का अद्भुत संगम महसूस करेंगे, जो आधुनिक भारत की विकास यात्रा की सच्ची झलक पेश करेगा।
विश्वस्तरीय पर्यटन की ओर ऐतिहासिक कदम
भारत का पहला 132 मीटर लंबा केबल ग्लास ब्रिज केवल एक नया आकर्षण नहीं, बल्कि विश्वस्तरीय पर्यटन अनुभवों की दिशा में देश का ऐतिहासिक कदम है। इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता, पर्यावरण चेतना और सांस्कृतिक गौरव का यह मिश्रण जल्द ही उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर नई ऊंचाई देगा। चाहे आप रोमांच प्रेमी हों, फोटोग्राफर या प्रकृति प्रेमी, जब यह ₹70 करोड़ का अद्भुत पुल खुलेगा, तो उस पर चलना अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।
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