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वैक्सीनेशन फ्रॉड से कैसे बचें, कैसे करें असली-नकली वैक्सीन की पहचान

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कोरोना की महामारी में देश ने ऐसी भी परिस्थितियां देखी कि सरकार वैक्सीन लगवाने को लेकर लगातार अपील करती रही लेकिन लोग अफवाहों के समंदर में गोते लगाते रहे। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने वैक्सीन के सारे भ्र्म तोड़ दिए और लोग कोरोना से जान बचाने के लिए बढ़चढ़ कर वैक्सीनेशन ड्राइव में भाग लेने लगे। आलम ये हो गया कि वैक्सीन कम पड़ गया और डिमांड ज्यादा हो गयी। कोरोना के सभी वेरिएंट से बचने का एक मात्र इलाज है वैक्सीनेशन।

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है

देश के हर नागरिक को कोरोना से बचाने के लिए भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहा है। 21 जून से सरकार ने नई वैक्सीनेशन पॉलिसी लागू की है। उसके बाद से वैक्सीनेशन ड्राइव में और तेजी दिखने लगी है। अब तक 32 करोड़ से भी ज्यादा डोज दिए जा चुके हैं। वैक्सीन लगवाने के लिए अब लोगों में मारामारी है, खासकर बड़े मेट्रो शहरों में लेकिन वैक्सीन की किल्लत की वजह से देश में फर्जी वैक्सीन का धंधा भी पनपने लगा है।
महाराष्ट्र के मुंबई में बड़े पैमाने पर फर्जी वैक्सीनेशन ड्राइव और फर्जी वैक्सीन लगाया गया। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल में भी नकली वैक्सीन लगाए जाने के मामले आए हैं। इसी तरह के एक वैक्सीनेशन कैंप में नकली वैक्सीन लगाए जाने से टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती बीमार भी हो गई हैं। ऐसे में आप कैसे असली और नकली वैक्सीन की पहचान कर सकते हैं? और वैक्सीनेशन कैंप के फर्जीवाड़े से आप कैसे बच सकते है ये जानना बेहद जरुरी है।

फर्जी वैक्सीन लगाने के अब तक देश में ये है मामले

नक़ली नोट, नकली माल, इस तरह के कई मामलों से हम आये दिन दो चार होते रहते है, झेलते रहते है लेकिन अब नक़ली वैक्सीन और फर्जी वैक्सीनेशन ड्राइव भी होने लगा है। फर्जी वैक्सीनेशन ड्राइव और नक़ली वैक्सीन का इस तरह का पहला बड़ा मामला मुंबई में सामने आया था। मुंबई के कांदिवली इलाके में हीरानंदानी हेरिटेज सोसायटी में 30 मई को वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन किया गया। इसमें 390 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब वैक्सीन लगने के बाद किसी में भी पोस्ट वैक्सीनेशन सिंप्टम्स नहीं दिखाई दिए।
लोगों का शक तब और गहरा हो गया जब वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट दिए गए। सर्टिफिकेट में जिन अस्पतालों का नाम लिखा था वहां जाकर जब सोसायटी के लोगों ने पूछताछ की तब पता लगा कि अस्पताल ने सोसायटी में इस तरह का कोई कैंप लगाया ही नहीं था। इस तरह का मामला पश्चिम बंगाल में भी सामने आया। यहां एक शख्स ने खुद को आईएएस अफसर बताकर अलग-अलग जगहों पर वैक्सीनेशन कैंप लगाए, जिसमें कई लोगों को वैक्सीन लगाई गई। इस फर्जी वैक्सीनेशन का शिकार टीएमसी सांसद और एक्ट्रेस मिमी चक्रवर्ती भी हो गईं।

बनें जिम्मेदार नागरिक, जागरूक होकर वैक्सीनेशन के फर्जीवाड़े से बचें

एक जिम्मेदार नागरिक बनकर कोरोना का टीका जरूर लगवाएं, कोरोना टीकाकरण को लेकर समाज में फैले भ्रांतियों पर विश्वास बिलकुल नहीं करें। देश में जारी विश्व के सबसे बड़े वैक्सीनेशन मुहीम का हिस्सा जरूर बनें लेकिन अपनी सिटीजन सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Citizen Social Responsibility) का निर्वहन करते हुए वैक्सीनेशन को लेकर सतर्क रहें ताकि कोई भी आपसे फर्जीवाड़ा कर नक़ली वैक्सीन ना लगा पाए। वैक्सीन लगवाने को लेकर सरकार द्वारा बताये गए अधिकृत तरीकों से ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाएं और किसी के झांसे में ना आएं। (How to avoid vaccination fraud & how to identify fake vaccine)

रजिस्ट्रेशन के वक्त ध्यान रखने वाली बातें

केवल कोविन ऐप या पोर्टल से ही वैक्सीनेशन (Vaccination Drive) के लिए रजिस्ट्रेशन करें। भारत सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए कोविन पर ही सारी सुविधा दी है। दूसरे किसी ऐप या वेबसाइट को न खोलें, न ही अपनी कोई जानकारी दें। कोविन पोर्टल के लिंक के लिए यहां क्लिक करें। डाउनलोड होने के बाद रजिस्ट्रेशन के वक्त अपना ही मोबाइल नंबर एंटर करें। अगर आपके पास कोविन से जुड़ा कोई ओटीपी आता है तो उसे किसी के साथ शेयर न करें। रजिस्ट्रेशन करने के बाद आप स्लॉट बुक करेंगे तब भी आपके पास एक ओटीपी आएगा। इस ओटीपी को वैक्सीन लगवाने के पहले स्वास्थ्यकर्मी को बताना होगा। कोविन पोर्टल पर आप एक मोबाइल नंबर से 4 लोगों का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। ध्यान रखें कि अपने मोबाइल नंबर से अपने परिचित का ही रजिस्ट्रेशन करें।

वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के वक्त क्या सावधानियां बरतें?

दरअसल वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के बहाने भी ठगी के कई मामले सामने आ चुके हैं। लोगों को वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए एक मैसेज भेजा गया जिसमें एक लिंक थी। इस लिंक पर क्लिक करते ही आपके फोन में एक दूसरी ऐप डाउनलोड हो जाती है। इस ऐप का इस्तेमाल आपकी जानकारी चुराने के लिए किया जा रहा है। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ कोविन ऍप्लिकेशन पर जाकर ही रजिस्ट्रेशन करवाएं। हो सके तो वैक्सीनेशन के लिए सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पर ही जाएं। अगर प्राइवेट सेंटर पर जा रहे हैं तो पहले पता करें कि ये अधिकृत है या नहीं। प्राइवेट वैक्सीन सेंटर भी कोविन पोर्टल पर होते हैं। आप कोविन पोर्टल या ऐप से ही प्राइवेट सेंटर पर भी स्लॉट बुक कर सकते हैं।

वैक्सीनेशन के बाद मैसेज और सर्टिफिकेट आने की पुष्टि करें

वैक्सीन लगने के 5 मिनट के भीतर ही आपको कंफर्मेशन मैसेज आ जाता है और 1 घंटे में कोविन पोर्टल पर सर्टिफिकेट भी आ जाता है। मैसेज और सर्टिफिकेट आने की जरूर पुष्टि करें। यानी कोई आपको कहे कि आपको सर्टिफिकेट बाद में दिया जाएगा तो आप उसकी वजह जान सकते हैं। वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर एक QR कोड होता है जिसे स्कैन कर आप सर्टिफिकेट की असली या नकली की जांच कर सकते हैं। साथ ही सर्टिफिकेट पर आपका नाम, उम्र, वैक्सीन लगाने की तारीख और टाइम, वैक्सीनेशन सेंटर का नाम और आपको जिस स्वास्थ्यकर्मी ने टीका लगाया है उसका नाम भी होता है। अगर इस जानकारी में कोई भी गलती या गड़बड़ी है तो तुरंत इसकी शिकायत करें।

अगर आपको नकली वैक्सीन लगी है तो उसका क्या प्रभाव होगा?

अगर आपको नकली वैक्सीन लगी है तो आपको कोई भी पोस्ट वैक्सीनेशन सिंप्टम्स नहीं होंगे। जैसे हाथ दुखना, हल्का बुखार आना या थकान होना। सामान्यत: वैक्सीन लगने के बाद 80% लोगों में इस तरह के लक्षण देखे जाते हैं। हालांकि ये आपकी इम्यूनिटी और वैक्सीन के प्रकार पर भी निर्भर करता है। यहां ये स्पष्ट कर देना चाहते है कि पोस्ट वैक्सीनेशन सिंप्टम्स आना भी जरुरी नहीं है कि हर किसी व्यक्ति को आये। बहरहाल कोई आम आदमी वैक्सीन असली है या नकली ये बैच नंबर से वायल ट्रेस नहीं कर सकता है लेकिन कुछ गड़बड़ी होने की आशंका पर आपकी शिकायत पर केवल सरकारी कर्मचारी ही वैक्सीन कंपनी से बैच नंबर की जानकारी निकलवा सकते हैं।
लेकिन वैक्सीन लगने के एक महीने बाद आप खुद एंटीबॉडी टेस्ट भी करा सकते हैं। इस टेस्ट के जरिए आपके शरीर में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। आपको अगर सही वैक्सीन लगी है तो आपके शरीर में एंटीबॉडी जरूर बनेगी। आखिर में एक बात और कि वैक्सीन लगने के बाद आप वैक्सीन सर्टिफिकेट को हो सके तो उसे सोशल मीडिया पर साझा ना करें, उसमे कुछ निजी डिटेल्स होते है।