Mahashivratri पर इस बार 144 साल बाद ऐसा शुभ और दुर्लभ संयोग बना है। आज देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व और Mahakumbh का अंतिम अमृत स्नान एक साथ मनाया जाएगा। सम्पूर्ण ब्रह्मांड को ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट करने वाली महारात्रि- महाशिवरात्रि का पावन पर्व आज फरवरी 26, 2025 बुधवार के दिन मनाया जा रहा है और आज ही Prayagraj Mahakumbh का आखिरी अमृत स्नान भी है।
Mahashivratri मनाने को लेकर अलग-अलग मान्यताएं
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को Mahashivratri का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार आज ही के दिन बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का दिन है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान शिव का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। इसलिए शिव भक्तों के लिए Mahashivratri का व्रत और पूजा, दोनों विशेष महत्व रखता है। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में (ब्रह्म से रुद्र के रूप में) अवतरण हुआ था। प्रलय काल में महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर दिया, इसलिए इसे जलरात्री भी कहा जाता है।
Mahashivratri का वैज्ञानिक महत्त्व
महाशिवरात्रि की रात धरती का Northern Hemisphere, याने उत्तरी गोलार्ध ऐसी अवस्था में होता है कि मनुष्य की भीतरी ऊर्जा स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर जाती है। इस दिन प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए पूरी रात जागने से इस भीतरी ऊर्जा को उमड़ने का पूरा अवसर मिलता है। आधुनिक विज्ञान ने आज प्रमाण दे दिया है कि हम जिसे भी जीवन, पदार्थ, सृष्टि, ब्रह्मांड, या अस्तित्व के रूप में जानते है, वो सब केवल ऊर्जा है। महाशिवरात्रि की रात व्यक्ति को इसी ऊर्जा का अनुभव करने का अवसर देती है। Science भी मानता है कि सब कुछ शून्य से ही जन्मा है और शून्य में ही खत्म हो जाएगा, और इसी शून्य को शिव कहते हैं।
जागृत होने की रात
महाशिवरात्रि का अर्थ है ‘शिव की रात!’ ये रात भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने की रात है। रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि की इस रात में कुछ ही क्षणों के लिए ही सही, उस असीम विस्तार का अनुभव करना चाहिए, जिसे हम शिव कहते हैं। यह केवल नींद से जागते रहने की नहीं, बल्कि चेतना के जागरण की रात होनी चाहिए।