यूके में रहने वाली भारतीय नागरिक और अरुणाचल प्रदेश मूल की प्रेमा वांगजॉम थोंगडोक हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय यात्रा के दौरान चीन के शंघाई पुडोंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 18 घंटे तक रोकी गईं। उनका आरोप है कि चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को “अमान्य” कहा और कई बार दुर्व्यवहार किया। इस घटना ने भारत-चीन संबंधों, विशेषकर अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की राजनीतिक स्थिति, को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
‘अरुणाचल प्रदेश’ के पासपोर्ट को चीन ने बताया ‘अवैध’
यूके में रहने वाली भारतीय नागरिक और अरुणाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली प्रेमा वांगजॉम थोंगडोक को शंघाई पुडोंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर करीब 18 घंटे तक रोककर रखा गया। वह यूके से जापान जा रही थीं और ट्रांजिट के दौरान चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को “अमान्य” बताया। विवाद की जड़ उनका जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश था, जिसे चीन अपना क्षेत्र बताता है। प्रेमा का आरोप है कि अधिकारियों ने उनके साथ असहयोगी और अपमानजनक व्यवहार किया, खाना-पानी तक नहीं दिया और उन्हें बार-बार यह कहा गया कि अरुणाचल भारत नहीं, चीन का हिस्सा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें चीनी पासपोर्ट लेने की सलाह दी गई, जो उनके लिए बेहद अपमानजनक था।
🚨 “You’re Chinese”: Arunachal woman detained 18 hours at Shanghai airport 😡
•Prema Thongdok from Arunachal was stopped after e-gates. Officials said her Indian passport is fake because Arunachal “belongs to China” 🇨🇳
•They laughed at her, mocked her, and said “apply for… pic.twitter.com/T0AUxhuvtX— Voice Of Bharat 🇮🇳🌍 (@Kunal_Mechrules) November 24, 2025
कैसे शुरू हुआ विवाद?
प्रेमा यूके से जापान के लिए ट्रांजिट यात्रा कर रही थीं। उनके पास वैध भारतीय पासपोर्ट और जापान का वीज़ा था। शंघाई में ट्रांजिट के दौरान इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट ध्यान से देखने के बाद आपत्ति जताई। वजह थी, पासपोर्ट में दर्ज जन्मस्थान- Arunachal Pradesh! चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मानने से इंकार करता है और उसे “दक्षिण तिब्बत” कहकर अधिकार का दावा करता है। इसी कारण, अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को “इन्करेक्ट/अमान्य” बताते हुए आगे यात्रा करने से रोक दिया। इसके बाद उन्हें ट्रांजिट ज़ोन में ही रोककर पूछताछ की गई, और आगे के 18 घंटे का समय इसी तनाव में बीता।
प्रेमा का आरोप: ‘मुझे चीनी पासपोर्ट लेने को कहा गया’
सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में प्रेमा ने लिखा कि, “अधिकारियों ने कहा कि अरुणाचल भारत का हिस्सा नहीं है, तुम्हें चीनी पासपोर्ट लेना चा हिए।” उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और उन्हें यह नहीं बताया गया कि उन्हें कब छोड़ा जाएगा। कई घंटों तक उन्हें न खाना दिया गया, न ही उचित सुविधा। एयरपोर्ट स्टाफ उनके प्रति असहयोगी रहा और उन्हें ऐसा महसूस कराया गया जैसे उनका अपराध हो। उनका कहना है कि यह स्थिति न केवल अपमानजनक थी, बल्कि डरावनी भी।
अंतरराष्ट्रीय नागरिक होने के बावजूद रोक
प्रेमा यूके निवासी हैं और लंबे समय से वहां काम करती हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कभी ऐसे अनुभव की कल्पना भी नहीं की थी, खासकर जब उनके सभी दस्तावेज़, पासपोर्ट, वीज़ा, ट्रैवल बुकिंग पूरी तरह वैध थे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनसे बार-बार ऐसे सवाल पूछे गए जो सीधे तौर पर अरुणाचल प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर केंद्रित थे, न कि किसी सामान्य इमिग्रेशन प्रक्रिया पर।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
घटना सामने आने के बाद भारत सरकार ने इसका गंभीर संज्ञान लिया और चीन से औपचारिक विरोध दर्ज कराया। भारत ने स्पष्ट कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और किसी भी भारतीय नागरिक के साथ इस प्रकार का व्यवहार अस्वीकार्य है। किसी भारतीय पासपोर्ट को ‘अमान्य’ ठहराना भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने जैसा है। चीन से इस कार्रवाई का पूरा स्पष्टीकरण मांगा गया है। भारत ने यह भी जताया कि किसी भी देश में यात्रा कर रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
चीन का जवाब: ‘हमने कानून के अनुसार काम किया’
चीन की ओर से बयान आया कि उन्होंने किसी के साथ “उत्पीड़न” नहीं किया। उनके अधिकारी “स्थानीय कानूनों और नियमों” के मुताबिक ही काम करते हैं। यह प्रतिक्रिया भारत की आपत्ति को खारिज करने जैसा रही, जिससे विवाद और गहरा गया।
अरुणाचल प्रदेश के लिए इसका क्या अर्थ?
यह घटना केवल एक यात्राक्रम का विवाद नहीं है। यह उस व्यापक राजनीतिक तनाव की झलक है, जो चीन के अरुणाचल प्रदेश पर दावे से जुड़ा है। जब एक वैध भारतीय नागरिक, वैध दस्तावेज़ होने के बावजूद, केवल जन्मस्थान के आधार पर रोका जाता है, तो यह कूटनीतिक और मानवाधिकार दोनों ही स्तरों पर चिंताजनक है।
पहले भी चीन की सामने आई थीं ऐसी हरकतें
2022 Asian Games (हैंगझोऊ, चीन)- अरुणाचल प्रदेश के तीन वुशु खिलाड़ी (महिलाएं) को अन्य भारतीय खिलाड़ियों की तरह सामान्य वीज़ा नहीं दिया गया, बल्कि उन्हें “स्टेपल्ड वीज़ा” दिया गया। इस प्रकार के वीज़ा को एक तरह से अलग संवेदनशीलता दिखाने वाला माना जाता है। भारत सरकार ने इसे भेदभावपूर्ण कदम करार दिया। पूर्व में कई अरुणाचल निवासी खिलाड़ियों, अधिकारियों या छात्रों को चीन में प्रवेश या वीज़ा मिलने से इनकार किया जा चुका है या अनिश्चित वीज़ा (जैसे स्टेपल्ड वीज़ा) दी गई है। ये कदम आमतौर पर इस आधार पर लिए गए कि चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता। यही कारण है कि इस तरह की पिछली घटनाओं ने कभी-कभी द्विपक्षीय खेल, सांस्कृतिक या शैक्षणिक आदान-प्रदान को प्रभावित किया है, यानी अरुणाचल से आने वालों के लिए चीन जाना और वहां भाग लेना कठिन रहा है।
क्यों ऐसा बार-बार हो रहा ?
चीन की नीति है कि वह अरुणाचल प्रदेश को अपने क्षेत्र का हिस्सा, यानि दक्षिण तिब्बत मानता है। इसलिए अरुणाचल से आने वाले लोगों को कभी-कभी अलग तरीके से देखा जाता है। स्टेपल्ड वीज़ा देना, वीज़ा लेने से इनकार करना, या प्रवेश पर ही रोक देना, ये सब चीन की उस दावे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोहराने की कोशिश मानी जाती है।
खिलाड़ियों, नागरिकों और भारत-चीन सम्बन्ध पर प्रभाव
ऐसे मामलों से अरुणाचल के खिलाड़ियों और नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से अपमान, यात्रा में असुविधा और अवसर खोने का सामना करना पड़ा है। इससे भारत-चीन के बीच कूटनीतिक तनाव और नागरिकों के अधिकारों को लेकर सवाल उठते रहे हैं।अरुणाचल के लोगों की अंतरराष्ट्रीय यात्राओं या भागीदारी पर यह एक बार-बार आती चुनौती बन चुकी है, जिससे भविष्य की यात्रा, खेल या शिक्षा की योजनाओं पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में अरुणाचल प्रदेश से आने वाले यात्रियों को चीन या चीन के रास्ते जाने में इसी तरह की मुश्किलें आ सकती हैं।
प्रेमा की भावनात्मक प्रतिक्रिया
अपनी विस्तृत पोस्ट में प्रेमा ने लिखा कि, “मैं जन्म से और पहचान से भारती य हूं। अरुणाचल भारत का हिस्सा है । मुझे कोई भी मजबूर नहीं कर सक ता कि मैं अपनी पहचान बदलूं।” उन्होंने कहा कि यह अनुभव उस भेदभाव को दर्शाता है, जिसे अरुणाचल के लोग अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झेलते हैं। उन्होंने भारत सरकार और प्रवासी भारतीयों से आग्रह किया कि ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाया जाए ताकि कोई और यात्री ऐसी स्थिति का सामना न करे।
भारत- चीन तनाव फिर आया सामने
यह घटना सिर्फ एक यात्रा विवाद नहीं, बल्कि भारत-चीन संबंधों के संवेदनशील पहलू, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे, को एक बार फिर दुनिया के सामने ले आई है। प्रेमा की कहानी ने यह सवाल उठा दिया है कि अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में राजनीतिक विवाद किस हद तक व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। भारत सरकार ने घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और चीन की यह कार्रवाई अस्वीकार्य है। चीन ने हालांकि किसी भी दुर्व्यवहार से इनकार किया और कहा कि उसने “कानूनों के अनुसार” कदम उठाया। यह घटना एक बार फिर भारत-चीन तनाव और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद को सुर्खियों में ले आई है, साथ ही यह सवाल भी खड़ा करती है कि राजनीतिक विवाद व्यक्तिगत यात्राओं को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
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