1987 में भाई की हत्या के मामले में दोषी प्रदीप सक्सेना को अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सज़ा! पैरोल पर बाहर आने के बाद लापता हुआ आरोपी प्रदीप! 30 साल बाद पुलिस ने मुरादाबाद से किया गिरफ्तार !
30 साल बाद पकड़ा गया फरार सज़ायफ़्ता मुजरिम
बरेली/मुरादाबाद, यूपी- तीन दशक से फरार चल रहे उम्रकैद के सज़ायफ़्ता मुज़रिम प्रदीप सक्सेना को पुलिस ने आखिरकार मुरादाबाद से दबोच लिया। पुलिस के अनुसार, प्रदीप 1987 में अपने सगे भाई संजीव सक्सेना की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन 1989 में पैरोल पर बाहर आने के बाद वह वापस जेल नहीं लौटा। इसके बाद वह पहचान बदलकर मुरादाबाद में ‘अब्दुल रहीम’ नाम से रहने लगा और सामान्य नागरिक की तरह जीवन बिताता रहा।
हत्या से फरारी तक-30 साल लंबी तलाश
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, 1987 में बरेली जिले में पारिवारिक विवाद के दौरान प्रदीप सक्सेना पर अपने भाई की हत्या का आरोप लगा। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी। सजा काटते हुए 1989 में उसे पैरोल मिली, परंतु उसने पैरोल का दुरुपयोग करते हुए फरार होना बेहतर समझा।
नाम- पहचान बदलकर गुज़ारी ज़िंदगी
दो दशक से अधिक समय तक पुलिस टीमों ने उसकी तलाश की, लेकिन प्रदीप ने अपनी पहचान बदलकर न सिर्फ शहर बदल लिया बल्कि जीवनशैली भी पूरी तरह बदल ली। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह मुरादाबाद में ‘अब्दुल रहीम’ के नाम से छोटी-मोटी नौकरियां करता था और किराए के घर में शांत स्वभाव से रहता था। किसी को भी उसके आपराधिक अतीत के बारे में जानकारी नहीं थी।
पहचान उजागर होने के बाद गिरफ्तारी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एक पुराने इनपुट के आधार पर उसकी निगरानी शुरू की गई। दस्तावेज़ों के मिलान और स्थानीय स्तर पर की गई गोपनीय जांच के बाद यह पुष्टि हुई कि ‘अब्दुल रहीम’ वास्तव में वही प्रदीप सक्सेना है जो 30 वर्षों से फरार चल रहा था। पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद उसकी पहचान की आधिकारिक पुष्टि की और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया। अब उसे आगे की कानूनी प्रक्रिया के लिए कोर्ट में पेश किया जाएगा और शेष सजा को पूरा करने के लिए जेल भेजा जाएगा।
पुलिस की प्रतिक्रिया- झूठ के नहीं होते पांव
अधिकारियों का कहना है कि यह गिरफ्तारी उन पुराने मामलों की याद दिलाती है जिनमें आरोपी वर्षों तक फरार होकर नई पहचान बना लेते हैं। पुलिस के अनुसार, “चाहे कितने भी साल बीत जाएं, कानून से बच पाना संभव नहीं है।”
स्थानीय लोगों में चर्चा- गंभीर अपराधी, साधारण जीवन
गिरफ्तारी के बाद मुरादाबाद में यह खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। जिन लोगों ने उसे वर्षों तक ‘अब्दुल रहीम’ के रूप में जाना, वे हैरान हैं कि उनके बीच रहने वाला एक साधारण-सा व्यक्ति इतनी गंभीर सजा से बचकर जिंदगी गुजार रहा था। तीन दशक बाद इस पुराने मामले का खुलना पुलिस की लंबी जांच और धैर्य का परिणाम है। प्रदीप सक्सेना की गिरफ्तारी इस बात का उदाहरण है कि कानूनी प्रक्रिया से भागने के बावजूद सच एक दिन सामने आ ही जाता है।
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