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June 16, 2025

अहमदाबाद विमान हादसे में सिर्फ इंसान नहीं बल्कि जानवरों, पशु-पक्षियों की भी हुई मौत, सदमे में Animal Lover

12 जून को हुए एयर इंडिया हादसे में 100 से ज़्यादा बेज़ुबान जानवरों और पक्षियों की गई जान Not only Humans but Animals and Birds died in Ahmedabad Air India Plane Crash

12 जून को जब एयर इंडिया का विमान अहमदाबाद में क्रैश हुआ, तो चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। मीडिया में हेडलाइंस बने घायल यात्री, राहत दल और विमान का मलबा। लेकिन इस हादसे की एक मौन त्रासदी (Silent Tragedy) भी थी, जो न किसी चैनल की ब्रेकिंग बनी, न किसी बुलेटिन का हिस्सा और वो थे वो बेज़ुबान जानवर और पक्षी, जिनकी उस दिन सांसें भी हादसे की चपेट में आ गईं। जब आग की लपटें उन तक पहुंचीं, तो वहां मौजूद हर परिंदा, हर जानवर Helpless और डर से कांपता रहा। किसी को उड़ने का वक्त नहीं मिला, किसी को भागने की दिशा नहीं मिली। सब कुछ बहुत तेजी से खत्म हो गया।

जब जानवर भी बन गए हादसे के शिकार, हादसे की मार झेलते रहे पेड़, परिंदे और पालतू कुत्ते

इस इलाके में मौजूद NGO ‘दर्शना एनिमल वेलफेयर’ के फाउंडर आकाश चावड़ा ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत में बताया कि, “हमने घटनास्थल पर पहुंच कर देखा कि चारों तरफ सिर्फ जले हुए पंख, अधजले शव और बिखरी हुई हड्डियां थीं। हमें पांच जख्मी कुत्ते और सात पक्षी जिंदा मिले, लेकिन उनकी हालत देखकर लगा मानो वो खुद भी समझ नहीं पा रहे थे कि हुआ क्या है।” एनजीओ के मुताबिक, हादसे में 100 से ज्यादा पशु-पक्षियों की मौत हो चुकी थी। इनमें कुत्ते, मोर, कबूतर, पतंग (Kite Birds), चील, चमगादड़ और आसपास रहने वाले अन्य पक्षी व छोटे जानवर शामिल थे। उनके अवशेष विमान के मलबे के नीचे, पेड़ों की जड़ों में और झाड़ियों के बीच मिले। Dog, Pigeon, Peacock, Birds, Bats died in in Ahmedabad Air India Plane Crash.

Ahmedabad Plane Crash में बर्बाद हो गया एक पूरा इकोसिस्टम

यह इलाका जहां हादसा हुआ, वह घने वृक्षों और जैव विविधता से भरा हुआ था। यह न सिर्फ इंसानों से दूर एक शांत जैविक क्षेत्र था, बल्कि दर्जनों प्रजातियों के घोंसलों, बिलों और जीवन का आधार भी। लेकिन हादसे की आग और धमाके ने इस पूरी शांति को राख कर दिया। Birds Migration Pattern, Animal Nesting सब कुछ प्रभावित हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि इकोसिस्टम को सामान्य होने में महीनों लग सकते हैं, और कुछ प्रजातियां इस आघात से शायद ही उबर पाएं।

किसी ने बेजुबान जानवरों की की चीखें नहीं सुनी, जब मौत इंसानों के साथ जंगल के जीवों पर भी टूटी, दर्द जो कोई नहीं सुनता

आकाश चावड़ा बताते हैं, “जब हम पहुंचे तो कुछ परिंदों के पंख जलकर आधे हो चुके थे, वे उड़ नहीं सकते थे। एक घायल कुत्ता तीन घंटे तक एक पेड़ के नीचे पड़ा तड़पता रहा, पर मदद की आवाज़ न निकल पाई, न किसी ने सुनी। हादसों में इंसानों की चीखों के लिए एंबुलेंस दौड़ती है, पर इन मासूमों की तकलीफ पर कोई नहीं रोता।”

सरकारी राहत टीमों में ‘जानवरों के लिए कुछ नहीं’

हादसे की मार्मिकता और भी गहरी हो जाती है जब ये देखा जाए कि सरकारी राहत और आपदा प्रबंधन टीमों में पशु-पक्षियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं होती। न कोई प्राथमिक पशु चिकित्सा होता है, न रेस्क्यू टीम में वेटरनरी एक्सपर्ट। इससे स्पष्ट होता है कि Disaster Management Plans in India में जानवरों के जीवन को अभी तक कोई स्थान नहीं दिया गया है। ‘दर्शना एनिमल वेलफेयर’ और अन्य एनजीओज की ओर से सरकार से अपील की गई है कि Air Crash या Natural Disaster जैसी घटनाओं में Animal Rescue Units को भी शामिल किया जाए। साथ ही, पशु अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा जाए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों में जानवरों की जान भी बचाई जा सके।

ये सिर्फ इंसानों की त्रासदी नहीं थी

यह हादसा सिर्फ एक प्लेन क्रैश नहीं था, यह एक जैविक आपदा (Ecological Disaster) थी। इसमें इंसानों के साथ-साथ उन बेज़ुबानों की भी जान गई, जो बिना किसी गलती के आग में झुलस गए। उन्होंने न तो कोई टिकट खरीदा था, न उड़ान में सवार थे बस वो उसी धरती के हिस्से थे, जिसे हमने विकास के नाम पर कुचल दिया। अहमदाबाद हादसे ने हमें सिखाया है कि “प्रकृति की हर चीख मायने रखती है, चाहे वो इंसान की हो या किसी चिड़िया की।”

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