आंध्र प्रदेश के कर्नूल ज़िले में स्थित यागन्ति उमा महेश्वर मंदिर अपने दिव्य वातावरण और प्राचीन स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसकी सबसे रहस्यमय पहचान है नंदी की बढ़ती हुई शिला-मूर्ति। सदियों से यह माना जाता रहा है कि इस नंदी का आकार लगातार बढ़ रहा है, और इसी रहस्य के साथ एक और लोकविश्वास गहराई से जुड़ी है पोटुलुरी वीर ब्रह्मेंद्र स्वामी की भविष्यवाणी!
जब आस्था करती है संवाद: यागन्ति मंदिर के बढ़ते रहस्यमय नंदी
आंध्र प्रदेश के कर्नूल ज़िले की पवित्र पहाड़ियों के बीच स्थित श्री यागन्ति उमा महेश्वर मंदिर सदियों से श्रद्धा और रहस्य का संगम बना हुआ है। शिव–पार्वती को समर्पित यह प्राचीन द्रविड़ स्थापत्य वाला मंदिर केवल अपनी आध्यात्मिक आभा के लिए ही प्रसिद्ध नहीं, बल्कि यहां मौजूद नंदी की बढ़ती हुई शिला-मूर्ति के कारण भी निरंतर चर्चा में रहता है। स्थानीय पुजारी, शोधकर्ता और श्रद्धालु, सभी इस अनोखी घटना को अपने-अपने तरीके से समझते और बताते हैं, पर सच यह है कि नंदी की मूर्ति के आकार में होने वाले बदलाव आज भी एक पहेली बने हुए हैं।
त्रेता युग के मंदिर की अनोखी कहानी
मंदिर के इतिहास के अनुसार, इसकी स्थापना त्रेतायुग से मानी जाती है और वर्तमान संरचना विजयनगर काल की देन है। यहां एक अद्भुत विशेषता यह भी है कि भक्त शिवलिंग को सीधा नहीं देखते, बल्कि नंदी के एक ओर से तिरछे दर्शन करते हैं क्योंकि परंपरागत शिव मंदिरों की तरह यहां नंदी सामने नहीं रखा गया। मान्यता है कि मंदिर के प्रारंभिक निर्माण के समय नंदी की मूर्ति अपेक्षाकृत छोटी थी और सामने स्थापित होने पर आगे चलकर रास्ता अवरुद्ध होने की आशंका थी। यह मान्यता अब और भी बल पकड़ चुकी है क्योंकि वर्षों से लोग दावा करते आए हैं कि नंदी का आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
Nandi Sculpture that grows in Size every year. The Temple staff has already removed a pillar as the size of Nandi (Holy Bull) is Increasing Sri Yaganti Uma Maheshwara Temple, Kurnool, Andhra Pradesh. In most of the ancient temples we find idols with such unique features pic.twitter.com/hP5wBZ5i1u
— Neha🇬🇧🇮🇳 (@Nehaaaa_c) May 25, 2023
बढ़ते नंदी- शिव की शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण
स्थानीय पुरोहितों के अनुसार, प्रतिवर्ष नंदी की मूर्ति की परिधि में माप योग्य बदलाव महसूस होते हैं। यही कारण है कि मूर्ति के चारों ओर लोहे की जाली लगाई गई थी ताकि बढ़ते आकार के कारण संरचना को कोई क्षति न पहुंचे और श्रद्धालु सुरक्षित दूरी से दर्शन कर सकें। मंदिर के महंतों का कहना है कि यह चमत्कार भगवान शंकर की शक्ति का प्रमाण है, जबकि कुछ विद्वान इसे प्राकृतिक शिला-संरचना के भीतर मौजूद खनिज विस्तार की प्रक्रिया बताते हैं। हालांकि अभी तक वैज्ञानिक स्तर पर कोई अंतिम निष्कर्ष सामने नहीं आया है, फिर भी मंदिर प्रशासन द्वारा की जाने वाली नियमित माप-जांच इस रहस्य को और रोमांचक बनाती है।
बढ़ते नंदी और वीर ब्रह्मेंद्र स्वामी की भविष्यवाणी का अद्भुत संगम
दक्षिण भारत में प्रचलित लोककथाओं के अनुसार, पोटुलुरी वीर ब्रह्मेंद्र स्वामी ने अपने “कालयज्ञानम्” में यागन्ति मंदिर से जुड़ी एक भविष्यवाणी का उल्लेख किया था। मान्यता यह है कि उन्होंने कहा था, “समय के साथ नंदी का आकार बढ़ेगा। जब नंदी आगे बढ़कर मार्ग को पूरी तरह ढक देगा, तब कलियुग का अंत होगा और एक नए युग की शुरुआत होगी।”
यह भविष्यवाणी पूरी तरह लोकविश्वासों पर आधारित है और इसका कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं, लेकिन आंध्र प्रदेश के कई गावों में इसे आज भी श्रद्धा के साथ सुनाया जाता है। भक्तों का कहना है कि स्वामी ने उस काल में ही संकेत दे दिया था कि युग परिवर्तन प्राकृतिक और आध्यात्मिक संकेतों से पहचाना जाएगा, जिनमें यागन्ति का रहस्यमय नंदी भी शामिल है।
नंदी के बढ़ने का विश्वास
मंदिर परंपराओं में कहा जाता है कि बीते दशकों में नंदी की शिला में सूक्ष्म वृद्धि दिखाई दी है। इसी कारण मूर्ति के चारों ओर जाली लगाई गई ताकि मूर्ति को स्थान मिल सके और सुरक्षा बनी रहे। स्थानीय पुरोहितों का कहना है कि इनके पूर्वजों के समय नंदी का आकार कहीं छोटा था। इन्हीं कथाओं के साथ वीर ब्रह्मेंद्र स्वामी की भविष्यवाणी और भी रहस्यमयी रूप से जुड़ गई है। लोगों की मान्यता है कि नंदी का बढ़ना केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि किसी बड़े समय-चक्र का संकेत है।
भविष्यवाणी और बढ़ते नंदी का संबंध- आस्था और श्रद्धा का ताना-बाना
दक्षिण भारत में यह कथा अक्सर सुनाई जाती है कि जब नंदी का आकार इतना बढ़ जाएगा कि वह सामने के गर्भगृह का दृश्य पूरी तरह ढक देगा, तब यह धर्म के पुनर्जागरण का समय माना जाएगा। स्वामी की भविष्यवाणी के अनुसार, यह किसी “धर्मस्थापना पुरुष” के आगमन का संकेत भी मानी जाती है। कई भक्त इसे कलियुग के अंत और सत्य-धर्म के उदय की रूपक-सूचना के रूप में देखते हैं। इन सब बातों को वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित नहीं किया जा सकता, परंतु आस्था और लोककथाओं की दुनिया में ये बातें एक जीवित धरोहर की तरह पीढ़ियों से चली आ रही हैं।
कौन थे पोटुलुरी वीर ब्रह्मेंद्र स्वामी?
आंध्र प्रदेश के कलबैरी स्वामी या पोटुलुरी वीर ब्रह्मेंद्र स्वा मी को दक्षिण भारत के सबसे रहस्यमय संतों में गिना जाता है। 17वीं शताब्दी में जन्मे इस महान योगी दरवेश और द्रष्टा ने अपनी साधना के दौरान ऐसे अनेक भविष्य कथन किए जिन्हें ‘कालयज्ञानम्’ के नाम से संकलित किया गया है। लोककथाओं, मंदिर परंपराओं और श्रद्धालु विश्वासों के आधार पर बनी ये भविष्यवाणियां आज भी उसी उत्सुकता से पढ़ी जाती हैं जैसे सदियों पहले। कहा जाता है कि वे एक अद्वैत ज्ञानी, सिद्ध योगी और लोककल्याण की भावना से प्रेरित संत थे। सरल जीवन, कठोर तपस्या और जनसेवा को उन्होंने अपना धर्म माना। उनकी शिक्षा, सामाजिक समानता, नैतिकता, सत्य, करुणा और धर्म की पुनर्स्थापना पर आधारित थीं। परंपरा कहती है कि उन्होंने ‘जीव समाधि’ ले ली थी, अर्थात वे जीवन अवस्थ में ही समाधि में प्रविष्ट हो गए।
क्यूं प्रसिद्ध हैं पोटुलुरी वीर ब्रह्मेंद्र स्वा मी की भविष्यवाणियां ?
वे भविष्य की अनेक घटनाओं की बात करते हैं- सामाजिक उथल-पुथल, प्राकृतिक बदलाव, नए युग का आगमन, शासन परिवर्तन, तकनीक का विकास आदि। इनका आधिकारिक प्रमाण साहित्य या इतिहास में दर्ज नहीं है, लेकिन लोकमान्यता में ये भविष्यवाणियां गहरे तक जुड़ी हैं। दक्षिण भारत के गावों, आश्रमों और कथा-परंपराओं में लोग इन्हें आज भी सुनाते हैं।
चमत्कार और आध्यात्मिक अनुभव से भरी यागंती गुफाएं
यागन्ति की गुफाओं, विशेषकर अगस्त्य गुफा और प्राकृतिक जलस्रोतों का वातावरण यहां आने वाले लोगों को एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभव देता है। मंदिर परिसर का जल भी अनोखा माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यह पानी पहाड़ों की प्राकृतिक संरचना के भीतर से छना हुआ निकलता है और हर मौसम में समान तापमान पर बहता है। कई भक्त इसे उपचारकारी मानते हैं। मंदिर से जुड़ी लोककथाओं में कहा जाता है कि यहीं प्राचीन काल में ऋषि अगस्त्य ने तपस्या की थी। कुछ किंवदंतियां यह भी बताती हैं कि प्रचलित ‘वृशभ’ ध्वनि, जिसके माध्यम से नंदी को शिव का संदेशवाहक माना जाता है, इन्हीं पहाड़ियों में प्रतिध्वनित होती रही है। इन कहानियों ने इस पवित्र स्थल को और रहस्यमय बना दिया है।
आस्था और विज्ञान का अद्भुत संगम- भारत भूमि
आज जब आधुनिकता और विज्ञान हर परंपरा को समझने का प्रयास कर रहे हैं, यागन्ति का नंदी मंदिर लोगों को याद दिलाता है कि भारत की मिट्टी में आस्था और रहस्य साथ-साथ चलते हैं। यहां आने वाला हर यात्री उस विशाल नंदी को निहारते हुए यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या वास्तव में पत्थर भी बढ़ सकता है, या यह केवल समय और विश्वास का चमत्कार है? जो भी हो, यागन्ति उमा महेश्वर मंदिर का नंदी हिंदू आस्था, वास्तुकला, लोकविश्वास और रहस्यमय प्राकृतिक घटनाओं का एक जीवंत संगम है और शायद इसी अनजानेपन में इसकी सबसे बड़ी शक्ति छिपी हुई है।
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