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September 6, 2025

अनन्त चतुर्दशी: गणेश विसर्जन का खास पर्व

The CSR Journal Magazine
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला अनन्त चतुर्दशी हिन्दू धर्म का बेहद खास त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और गणेशोत्सव का समापन भी इसी दिन होता है। इस साल यह पर्व शनिवार, 6 सितम्बर को मनाया जाएगा।

अनन्त सूत्र का महत्व

इस दिन 14 गांठों वाला धागा, जिसे अनन्त सूत्र कहा जाता है, हाथ में बांधा जाता है। पुरुष इसे दाहिने हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांधती हैं। 14 गांठें 14 लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं। मान्यता है कि इसे 14 साल तक लगातार बांधने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और दुख दूर होते हैं।

अनन्त चतुर्दशी की कथा

महाभारत काल में युधिष्ठिर ने जब अपने कष्टों का उपाय पूछा, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त व्रत करने की सलाह दी। इसी व्रत से उनके संकट दूर हुए।
एक कथा के अनुसार, ब्राह्मण सुमन्त की बेटी सुशीला ने अनन्त चतुर्दशी का व्रत किया और 14 गांठों वाला सूत्र बांधा। उसके पति ऋषि कौण्डिन्य ने इस डोरे का अपमान किया, जिसके बाद उन्हें भारी कष्ट उठाने पड़े। बाद में भगवान अनन्त के कहने पर उन्होंने 14 साल तक यह व्रत किया और सुख-समृद्धि वापस पा ली।

अनन्त चतुर्दशी पर ही क्यों होता है गणपति विसर्जन?

गणेशोत्सव हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और दस दिन तक चलता है। इसका समापन अनन्त चतुर्दशी के दिन होता है। मान्यता है कि भगवान गणेश धरती पर इन दस दिनों के लिए आते हैं और फिर वापस अपने कैलाश धाम लौट जाते हैं। इसलिए भक्त अनन्त चतुर्दशी के दिन बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। इसे गणपति विसर्जन कहा जाता है। विसर्जन का मतलब होता है मूर्ति को जल में समर्पित करना, ताकि प्रकृति के पंचतत्व में गणेश जी विलीन होकर अगले साल फिर से भक्तों के बीच आ सकें। इसी वजह से अनन्त चतुर्दशी का महत्व और भी बढ़ जाता है।

पूजा विधि

* सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
* पूजा स्थल पर कलश स्थापित कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र रखें।
* शेषनाग सहित भगवान विष्णु की पूजा करें।
* फल, फूल, धूप-दीप और प्रसाद चढ़ाएँ।
* अनन्त सूत्र तैयार कर हाथ में बाँधें।
* “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र का जाप करें।

गणेश विसर्जन का दिन

अनन्त चतुर्दशी के दिन ही गणेशोत्सव का समापन होता है और भक्त बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। इस वजह से यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टि से बेहद खास माना जाता है।
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