क्या अब हर मंत्री के शहर में कदम रखते ही स्कूलों के दरवाज़े बंद हो जाएंगे? क्या शिक्षा, सुरक्षा व्यवस्था की आड़ में ‘VVIP कल्चर’ के नीचे दबा दी जाएगी? पुणे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर ठीक यही सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि शाह के एक दिन के पुणे प्रवास के चलते कोंढवा, उंड्री और आसपास के कई स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा कर दी या क्लासेस ऑनलाइन मोड में ले लीं।
“VVIP Movement” का असर, बच्चों की पढ़ाई पर पहरा VVIP culture in Pune
इन बड़े स्कूलों की सूची देखिए जो रहेंगे बंद या फिर शुरू होगी ऑनलाइन क्लास –
Euro School – पूरा दिन ऑनलाइन क्लास
संस्कृति स्कूल – आधे दिन की छुट्टी
St. Mathews Academy, पूरे दिन के लिए छुट्टी
Bishop School – क्लासेस जारी, लेकिन सुरक्षा गाइडलाइंस के तहत सतर्कता
VVIP Movement effect on Education
इन स्कूलों ने आधिकारिक रूप से गृह मंत्री का नाम नहीं लिया, लेकिन ‘VVIP मूवमेंट’ और “ट्रैफिक डिसरप्शन” को कारण बताया गया। अब सवाल ये है कि क्या ये सुरक्षा है या अति-समर्पण? पुणे के एक उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारडा ने इस पर खुलकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि “जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पुणे आए, तब स्कूलों की छुट्टियां नहीं हुईं। फिर गृह मंत्री के दौरे पर ऐसा क्यों? क्या अब उन्हें भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से ऊपर माना जा रहा है? क्या VVIP Movement अब बच्चों की पढ़ाई से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया है?”
Oxford of the East को VVIP कल्चर का बोझ? Amit Shah Pune visit
‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ के नाम से मशहूर पुणे में अगर शिक्षा जैसी मूलभूत जरूरत को VVIP मूवमेंट की वजह से प्रभावित किया जाएगा, तो इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था बल्कि प्रशासन की प्राथमिकताओं पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े होंगे।
अमित शाह के पुणे दौरे में क्या रहा शेड्यूल?
गृह मंत्री शाह के कार्यक्रम बेहद व्यस्त रहे, जिसमें शामिल हैं:
NDA खड़कवासला में पेशवा बाजीराव की 13.5 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण
कोंढवा बुद्रुक में जयराज स्पोर्ट्स एंड कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन
वडाचिवाड़ी रोड पर पुणा हेल्थ रिसर्च सेंटर की आधारशिला
Online Classes due to Amit Shah Visit
इन कार्यक्रमों के चलते ट्रैफिक डायवर्जन, सड़कों की नाकाबंदी और सुरक्षा कारणों से पूरे क्षेत्र में स्कूलों को ‘सावधानीवश’ बंद या आंशिक रूप से ऑनलाइन मोड में ले जाया गया। शहर के कई अभिभावकों ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई। भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां मंत्री, नेता जनता के सेवक माने जाते हैं। लेकिन जब उनकी मौजूदगी आम जनता की दिनचर्या — खासतौर पर बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करने लगे, तो यह सवाल जरूर खड़ा होता है कि “हम किस दिशा में जा रहे हैं?” क्या वाकई एक मंत्री की सुरक्षा और शोभा यात्रा के लिए स्कूलों को ताले लगाने की जरूरत है? क्या हम इतने असुरक्षित हैं कि बच्चों को स्कूल भेजना भी खतरे से खाली नहीं? या फिर यह सब सिर्फ सत्ता के “VVIP प्रभामंडल” को बनाए रखने का तरीका है?